‘जनजातीय हिंदू नहीं’ बोलने वाले हेमंत सोरेन की आस्था का दिखावा? – देवघर के बाद अब उज्जैन महाकाल की शरण में झारखंड CM

तुष्टिकरण की राजनीति या आस्था की नाटकबाज़ी

धर्मपत्नी के साथ महकाल के दरबार में झारखण्ड सीएम सोरेन

धर्मपत्नी के साथ महकाल के दरबार में झारखण्ड सीएम सोरेन

2021 में जनजातीयों को हिंदू मानने से इनकार करने वाले झारखंड CM हेमंत सोरेन, जिन्होंने कहा था कि “जनजातीय कभी हिंदू नहीं थे और न ही अब हैं,” अब अपनी चौथी पारी की सफलता के लिए मंदिर-मंदिर भटक रहे हैं। तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले सोरेन ने पहले देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पूजा की और फिर उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में ‘जय महाकाल’ का जयकारा लगाकर आशीर्वाद प्राप्त किया।

धर्मपत्नी के साथ महकाल के दरबार में झारखण्ड सीएम सोरेन

महाकाल की शरण में सीएम सोरेन

झारखंड में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हेमंत सोरेन, जो जनजातीयों को हिंदू पहचान से अलग बताने का दावा करते थे, अब अपनी चौथी पारी की सफलता के लिए मंदिर-मंदिर भटक रहे हैं। धर्मपत्नी कल्पना सोरेन के साथ धार्मिक यात्रा पर निकले सोरेन ने दो दिन पहले देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर झारखंड की सुख-समृद्धि की कामना की। इसके बाद सोमवार, 17 दिसंबर को वे उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे, जहां चांदी द्वार से भगवान महाकाल की पूजा की और नंदी हॉल में अपनी धर्मपत्नी के साथ रूद्र पाठ किया। इसके बाद सीएम सोरेन ने नंदी जी के कानों में अपनी मनोकामना व्यक्त की। इसके उपरांत श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी धर्मपत्नी को बाबा महाकाल का दुपट्टा, स्मृति चिन्ह एवं प्रसादी भेंट स्वरूप देकर उनका सम्मान किया।

झारखण्ड में भी होगा महाकाल लोक?

मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद सोरेन ने मीडिया से कहा कि भगवान महाकाल का साम्राज्य पूरी पृथ्वी पर है। हमारी भी इच्छा है कि हम उन जगहों पर जाएं, जहां पूरी दुनिया का सिर झुकता है। जैसे-जैसे समय मिलता है, हम इन पवित्र स्थलों पर जाना पसंद करते हैं। साथ ही उन्होंने महाकाल लोक की तर्ज पर झारखंड में भी कुछ बेहतर करने की बात कही है ।

लेकिन सवाल यह उठता है कि जो हेमंत सोरेन ‘जनजातीय हिंदू नहीं हैं’ का दावा करते हैं, वे अब बार-बार हिंदू मंदिरों में आस्था क्यों दिखा रहे हैं? क्या यह केवल वोटबैंक की राजनीति के लिए की जा रही दिखावा यात्रा है? देवघर से लेकर उज्जैन तक सोरेन की यह ‘आस्था यात्रा’ उनके बयानों के खोखलेपन और तुष्टिकरण की राजनीति के दोहरे चरित्र को उजागर करती है।

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