जर्मनी में शुक्रवार शाम एक दिल दहला देने वाली घटना ने 2016 के क्रिसमस बाजार के आतंकी हमले की भयावहता को फिर से सामने ला दिया है। बेकाबू BMW ने बाजार में 68 निर्दोष लोगों को कुचल दिया, जिसमें 2 की मौत हो गई। आरोपित तालेब ए., सऊदी अरब का 50 वर्षीय डॉक्टर है जिस पर पहले ही आतंकवाद और मध्य-पूर्व की लड़कियों को यूरोप में तस्करी करने जैसे घिनौने आरोप लग चुके हैं, फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में है।
यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि कट्टरपंथी विचारधारा का खतरनाक चेहरा है, जो दुनिया में नफरत और हिंसा का जहर घोल रही है। तालेब जैसे दरिंदे धर्म और राजनीति का इस्तेमाल करके निर्दोष लोगों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। फ्रांस में चर्चों पर हमले, बांग्लादेश में धार्मिक हिंसा और अन्य देशों में बढ़ती आतंकी घटनाएं इनकी जहरीली सोच का प्रमाण हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक
मैगडेबर्ग के हमलावर की पहचान सऊदी अरब के 50 वर्षीय डॉक्टर तालेब के रूप में हुई, जिसने किराए की BMW का इस्तेमाल कर इस वारदात को अंजाम दिया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया। शुरुआती जांच में पता चला है कि वह करीब 20 साल से जर्मनी में स्थायी निवासी के रूप में रह रहा था। जर्मन पुलिस ने हमलावर को पकड़ने का वीडियो भी जारी किया है।
यह घटना 2016 में बर्लिन के क्रिसमस मार्केट पर हुए उस खौफनाक आतंकी हमले की याद दिलाती है, जब एक ट्रक ने भीड़ पर चढ़ाई कर 12 लोगों की जान ले ली थी। हालाँकि, मैगडेबर्ग की इस घटना में पुलिस ने इसे एक अलग मामला बताया है और आगे किसी खतरे से इनकार किया है।
कट्टरपंथी विचारधारा का वैश्विक खतरा
यह घटना केवल एक हमला नहीं, बल्कि कट्टरपंथी विचारधारा का खतरनाक संकेत है, जो पूरी दुनिया के लिए एक स्थायी खतरा बन चुकी है। फ्रांस में हाल के वर्षों में कट्टरपंथ का चेहरा जलते हुए चर्चों और नष्ट होती सभ्यता के रूप में सामने आया है। 2020 में फ्रांस में हुई सैमुअल पैटी की निर्मम हत्या ने दिखाया कि कट्टरपंथी सोच कैसे एक शिक्षक को उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए मार सकती है।
वहीं, बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा, मंदिरों और घरों को जलाने की घटनाएं, और महिलाओं के साथ अत्याचार इन कट्टरपंथियों की असली सच्चाई को उजागर करते हैं। दुनिया यह देख रही है कि किस तरह धार्मिक कट्टरता हर सीमा को पार कर चुकी है, और यह सिर्फ किसी एक देश या समुदाय तक सीमित नहीं है। कट्टरपंथ केवल उन देशों तक सीमित नहीं है जहाँ यह पैदा होता है; यह उन देशों को भी अपने चपेट में ले रहा है, जहाँ यह विचारधारा शरण पाती है। जर्मनी, फ्रांस, बांग्लादेश और भारत जैसे देशों में कट्टरपंथ की बढ़ती घटनाएँ इस बात का सबूत हैं कि यह विचारधारा पूरी दुनिया के लिए खतरा है।



























