उसने जिद थी कि वो जब भी धनुर्विद्या सीखेगा, गुरु द्रोणाचार्य से ही। उस समय मगध की हस्तिनापुर और मथुरा से शत्रुता चलती थी, ऐसे में अगर ये बात फैलती कि हस्तिनापुर के किसी शत्रु को द्रोणाचार्य ने अपना शिष्य बना लिया, तो उन्हें निश्चित ही नुकसान होता।
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन को क्यों है भारत से उम्मीद? क्या खालिस्तान पर लगाम कसेंगे स्टार्मर ?

    अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन को क्यों है भारत से उम्मीद? क्या खालिस्तान पर लगाम कसेंगे स्टार्मर ?

    तेजस्वी यादव का नौकरी वादा: सपने की उड़ान या बिहार की आर्थिक हकीकत से टकराता भ्रम?

    तेजस्वी यादव का नौकरी का वादा: सपने की उड़ान या बिहार की आर्थिक हकीकत से टकराता भ्रम?

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारत की बढ़ी ताकत: जल्द ही सेना में शामिल होगी 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल

    भारत की बढ़ी ताकत: जल्द ही सेना में शामिल होगी 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल, अब कांपेंगे चीन और पाकिस्तानू

    भारत इज़राइल रणनीतिक साझेदारी

    बदलते वैश्विक समीकरणों और क्षेत्रीय संघर्षों के बीच कैसे बदल रही है भारत-इज़राइल के बीच रणनीतिक साझेदारी ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन को क्यों है भारत से उम्मीद? क्या खालिस्तान पर लगाम कसेंगे स्टार्मर ?

    अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन को क्यों है भारत से उम्मीद? क्या खालिस्तान पर लगाम कसेंगे स्टार्मर ?

    तेजस्वी यादव का नौकरी वादा: सपने की उड़ान या बिहार की आर्थिक हकीकत से टकराता भ्रम?

    तेजस्वी यादव का नौकरी का वादा: सपने की उड़ान या बिहार की आर्थिक हकीकत से टकराता भ्रम?

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारत की बढ़ी ताकत: जल्द ही सेना में शामिल होगी 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल

    भारत की बढ़ी ताकत: जल्द ही सेना में शामिल होगी 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल, अब कांपेंगे चीन और पाकिस्तानू

    भारत इज़राइल रणनीतिक साझेदारी

    बदलते वैश्विक समीकरणों और क्षेत्रीय संघर्षों के बीच कैसे बदल रही है भारत-इज़राइल के बीच रणनीतिक साझेदारी ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

हस्तिनापुर से वफादारी, अर्जुन से प्रेम… द्रोणाचार्य ने क्यों माँगा एकलव्य का अँगूठा? राहुल गाँधी फैला रहे झूठ, कहानी में ‘जाति’ कहीं नहीं

उसने जिद थी कि वो जब भी धनुर्विद्या सीखेगा, गुरु द्रोणाचार्य से ही। उस समय मगध की हस्तिनापुर और मथुरा से शत्रुता चलती थी, ऐसे में अगर ये बात फैलती कि हस्तिनापुर के किसी शत्रु को द्रोणाचार्य ने अपना शिष्य बना लिया, तो उन्हें निश्चित ही नुकसान होता।

Anupam K Singh द्वारा Anupam K Singh
15 December 2024
in इतिहास, चर्चित, ज्ञान, राजनीति
राहुल गाँधी, द्रोणाचार्य, एकलव्य

एकलव्य और द्रोणाचार्य की कहानी के जरिए राहुल गाँधी ने की भ्रम फैलाने की कोशिश (फोटो साभार: संसद TV, Bing AI)

Share on FacebookShare on X

भारत के पौराणिक इतिहास को लेकर हमारी कई पीढ़ियों के भीतर एक तरह की हीन-भावना भर दी गई है। हमारी पुरातन शिक्षा पद्धति को निम्न बता कर गुरुकुल परंपरा को खत्म कर दिया गया। हमारे धार्मिक साहित्य को समाज विरोधी बता कर मनुस्मृति को जलाया जाता है। मुस्लिम हर शुक्रवार को मस्जिद जाते हैं, ईसाई प्रत्येक रविवार को चर्च जाते हैं, लेकिन हिन्दुओं का मंदिर जाना आधुनिकता विरोधी बता दिया गया। संसद से लेकर सड़क तक, हिन्दुओं को अपने ही देश में दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया गया। अब राहुल गाँधी को ही देख लीजिए। संसद में हिन्दू विरोधी बयान देने का उन्होंने रिकॉर्ड सा बना दिया है।

पिछली बार कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष ने भगवान शिव की तस्वीर संसद में दिखा कर उनके बारे में उलटी-सीधी बातें की थीं। उन्होंने कहा था कि भगवान शिव अपनी त्रिशूल को अलग रख देते हैं और अभय मुद्रा दिखाते हैं। इस्लाम को लेकर वो ऐसी कोई तस्वीर दिखाने की हिम्मत नहीं कर पाए। अब राहुल गाँधी का ताज़ा बयान ले लीजिए। संसद में बहस हो रही थी संविधान पर, लेकिन शनिवार (14 दिसंबर, 2024) को उन्होंने बयान दिया हिन्दू धर्म के खिलाफ। अबकी वो द्रोणाचार्य और एकलव्य की कहानी लेकर आ गए।

संबंधितपोस्ट

महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

अमेरिकी सिंगर मैरी मिलबेन: जिसने राहुल गांधी को सुनाई खरी-खोटी और भारत के लिए जताया प्रेम

राहुल गांधी का विदेशी भाषण: भारत की आलोचना का ‘इम्पोर्टेड एजेंडा’ और आत्मघाती राजनीति की परंपरा

और लोड करें

द्रोणाचार्य-एकलव्य को लेकर राहुल गाँधी ने गढ़ी कहानी

राहुल गाँधी ने कहा, “जैसे हिंदुस्तान पहले चलाया जाता था, वैसे ही आप हिंदुस्तान को चलाना चाहते हैं। हजारों साल पहले एक जंगल में एक 6-7 साल का बच्चा रोज सुबह 4 बजे उठ कर तपस्या करता था। वो धनुष उठा कर तीर-कमान चलाता था। घंटों, सालों उसने तपस्या की। लड़के का नाम एकलव्य था, उसने गुरु के पास जाकर कहा – ‘मैं सालों से धनुष चलाना सीख रहा हूँ। मैंने अपनी पूरी शक्ति इसमें डाली है। आप मेरी मदद कीजिए।’ द्रोणाचार्य ने एकलव्य से कहा – ‘आप ऊँची जाति के नहीं हो, आप द्विज नहीं हो। मैं आपका गुरु नहीं बनूँगा। तुम यहाँ से चले जाओ।’ एकलव्य चला गया और उसने फिर से तपस्या शुरू की।”

राहुल गाँधी ने अपनी महाभारत की ‘शिक्षा’ देते हुए आगे कहा, “कुछ वर्षों बाद द्रोणाचार्य पांडवों के साथ उसी जंगल से गुजरे। एक कुत्ता भौंक रहा था, अचानक उसकी आवाज़ शांत हो गई। द्रोणाचार्य और पांडव जब पास गए तो देखा कि बाणों के जाल में वो कुत्ता फँसा हुआ था, एक तीर मुँह में थी और वो शांत था। लेकिन, कुत्ते को चोट नहीं लगी। एकलव्य ने अहिंसा से कुत्ते को शांत किया। द्रोणाचार्य ने अब एकलव्य से पूछा कि उसने ये कैसे सीखा, तब एकलव्य ने जवाब दिया कि उसने उनकी मिट्टी की मूर्ति बना कर प्रैक्टिस की। द्रोणाचार्य खुश नहीं हुए। उन्होंने कहा कि तुम्हें गुरुदक्षिणा देनी होगी। द्रोणाचार्य ने कहा कि मुझे तुम्हारा अँगूठा चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे तुम्हारा भविष्य, तुम्हारा अँगूठा चाहिए। एकलव्य ने अँगूठा काट कर उन्हें दे दिया। जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काटा, आप वैसे ही आप पूरे देश का अँगूठा काटने में व्यस्त हैं।”

क्या राहुल गाँधी ने सही बोला? चूँकि राहुल गाँधी ने ऐसा बोला है, इसकी उम्मीद नहीं ही है। फिर भी, हम बता देते हैं कि सच्चाई क्या है क्योंकि राहुल गाँधी व कांग्रेस का इकोसिस्टम झूठ फैलाता है और हिन्दू उनके झाँसे में आ जाते हैं। जैसे, लोकसभा चुनाव 2024 के समय ये झूठ फैलाया गया कि भाजपा आरक्षण खत्म कर देगी और संविधान बदल देगी। भाजपा को सीटों का नुकसान हुआ। बाद में पता चला ये सब झूठ है। इसी तरह, कांग्रेस पार्टी के हर झूठ की पड़ताल आवश्यक है। हमारी युवा पीढ़ी हमारे ही इतिहास को लेकर हीनभावना से ग्रसित हो जाए – यही उनकी साजिश है। आइए, आपको बताते हैं कि द्रोणाचार्य और एकलव्य की पूरी कहानी क्या है। असल में क्या हुआ था।

कौन था एकलव्य, क्यों द्रोणाचार्य ने माँगा अँगूठा

राहुल गाँधी ने इसी साल सितंबर महीने में अमेरिका के ऑस्टिन स्थित ‘यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास’ में छात्रों के साथ संवाद करते हुए भी द्रोणाचार्य-एकलव्य की कहानी को ग़लत तरीके से पेश किया था। आज बहुत संविधान-संविधान की बातें की जाती हैं। प्राचीन काल में भी संविधान होते थे। उसके तहत सामान्यतः एक नियम यह भी होता था कि राजपरिवार के छात्रों को शिक्षा दे रहा गुरु किसी अन्य को शिक्षा नहीं दे सकता है। ऐसा करने पर द्रोणाचार्य को संदेह से देखा जाता। उनकी निष्ठा हस्तिनापुर के प्रति थीं। वहीं एकलव्य मगध के राजा जरासंध के सेनापति हिरण्यधनु का बेटा था।

उसने जिद थी कि वो जब भी धनुर्विद्या सीखेगा, गुरु द्रोणाचार्य से ही। उस समय मगध की हस्तिनापुर और मथुरा से शत्रुता चलती थी, ऐसे में अगर ये बात फैलती कि हस्तिनापुर के किसी शत्रु को द्रोणाचार्य ने अपना शिष्य बना लिया, तो उन्हें निश्चित ही नुकसान होता। उनकी वफादारी पर सवाल उठते। हस्तिनापुर में उन्हें शक की निगाह से देखा जाता। इसीलिए, उन्होंने एकलव्य से गुरुदक्षिणा में अँगूठा माँग कर हस्तिनापुर के प्रति अपनी वफादारी भी सिद्ध कर दी और अपने उस ‘शिष्य’ का नाम भी इतिहास में अमर कर दिया। ऐसा नहीं था कि एकलव्य उसके पाद एकदम से पंगु बन गया। उसने इसके बाद भी कई युद्ध लड़े।

हम ये सुनी-सुनाई बातें नहीं बता रहे बल्कि वही कह रहे जो महाभारत में लिखा है। द्रोणाचार्य ने अर्जुन को आशीर्वाद दिया था कि विश्व में उसे बड़ा धनुर्धर कोई नहीं होगा। राहुल गाँधी ने जो कहानी कही, उसमें वो ये बताना भूल गए कि जब एकलव्य को पांडवों ने वन में देखा तो अर्जुन नाराज़ हो गया था। उसने द्रोणाचार्य से जाकर कहा था कि निषादराज का पुत्र आपका शिष्य है और मुझसे अधिक श्रेष्ठ है, ये कैसे संभव हुआ। गुरु द्रोण जिस राजपरिवार के प्रति वफादार थे, जिस शिष्य से वो सबसे अधिक प्रेम करते थे – उसे नाराज़ नहीं कर सकते थे। अतः, इसे जातिगत भेदभाव का मामला न जान कर इस रूप में भी देखा जा सकता है।

महाभारत के ‘आदि पर्व’ के 123वें अध्याय के इस श्लोक को देखिए:

नन्वहं परिरभ्यैकः प्रीतिपूर्वमिदं वचः।
भवतोक्तो न मे शिष्यस्त्वद्विशिष्टो भविष्यति॥
अथ कस्मान्मद्विशिष्टो लोकादपि च वीर्यवान् ।
अस्त्यन्यो भवतः शिष्यो निषादाधिपतेः सुतः ॥

इसका अर्थ है, अर्जुन अपने गुरु द्रोणाचार्य से कह रहे हैं, “हे आचार्य, पूर्व में अपने एकांत में मुझे गले लगाते हुए प्रेम से कहा था कि मेरा कोई भी शिष्य तुमसे श्रेष्ठ नहीं होगा। फिर, वीर्यवान निषादराज का पुत्र आपका दूसरा शिष्य होकर सिर्फ मुझसे ही नहीं बल्कि वरन् संपूर्ण लोगों से श्रेष्ठ कैसे हो गया?”

अगर आप ये पढ़ने के बावजूद द्रोणाचार्य और एकलव्य की कहानी को जाति वाले कोण से देख रहे हैं तो कहीं न कहीं आपकी समझ में कमी है। हाँ, द्रोणाचार्य ने सही किया या गलत इस पर बहस हो सकती है। लेकिन, उन्होंने जाति के कारण ऐसा नहीं किया। ये उनके शिष्य के प्रति अत्यधिक प्रेम के कारण हो सकता है, ये हस्तिनापुर के कारण उनकी वफादारी के कारण हो सकता है – जाति इसमें कहीं है ही नहीं।

एकलव्य की वीरता देख द्रोणाचार्य से नाराज़ हो गया था अर्जुन

Mediterranean Draw: आधुनिक तीरंदाजी, अँगूठे का इस्तेमाल नहीं

एकलव्य ने मगध की तरफ से कई सैन्य अभियानों में भाग लिया, कटा अँगूठा होने के बावजूद। आजकल ओलंपिक में भी तीरंदाजी का खेल होता है। इसमें सामान्यतः अँगूठे का इस्तेमाल नहीं किया जाता। तीरंदाजी की आधुनिक तकनीक में अँगूठे का इस्तेमाल नहीं होता। इसमें Mediterranean Draw तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिसमें तर्जनी और मध्यम उँगली का इस्तेमाल कर के बाण का संधान किया जाता है। पश्चिमी दुनिया में तीरंदाजी के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल होता है। जबकि, एशिया में Thumb Draw, यानी अँगूठे से तीर का संधान किए जाने की तकनीक रही है।

Mediterranean Draw: यूरोपियन तकनीक में तीरंदाजी में अँगूठे का नहीं होता है इस्तेमाल (फोटो साभार: YouTube/NUSensei)

इसे सामान्यत: उच्च स्तर की आर्चरी में इस्तेमाल किया जाता है और यह तकनीक विश्वभर में काफी प्रचलित है। इसमें सामान्यतः अँगूठे का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ये एशिया में धनुर्विद्या की तकनीक से अलग है। ये बताने का कारण ये है कि एकलव्य ने ज़रूर अँगूठा कट जाने के बाद भी अपने लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया होगा, जिससे वो अन्य युद्धों में भी सफल रहा।

बाद में भी एकलव्य ने लड़े कई युद्ध, राजा भी बना

ऐसे में संभावना ये भी जताई जाती है कि एकलव्य की निष्ठा को देखकर द्रोणाचार्य ने थोड़े कड़े तरीके से ही सही लेकिन उसकी तकनीक को ठीक कर दिया। कारण – एकलव्य ने कटे अँगूठे के साथ जिन युद्धों में भाग लिया उसमें उसने बेहतर प्रदर्शन किया। उदाहरण के लिए, उसने श्रीकृष्ण एवं बलराम की सेना के साथ युद्ध के दौरान कई यदुवंशी योद्धाओं को मार गिराया। ये बताता है कि उसकी तकनीक बेहतर ही हुई थी। एक माहौल बनाया जाता है कि एकलव्य का जैसे उसके बाद सब कुछ खत्म ही हो गया हो। लेकिन, ऐसा कुछ भी नहीं था। अब थोड़ी और पौराणिक इतिहास की बात कर लेते हैं।

राहुल गाँधी की नहीं, बल्कि वेद व्यास द्वारा रचित असली वाले महाभारत में एकलव्य को ‘निषादराज का पुत्र’ कह कर संबोधित किया गया है, अर्थात उसके पिता निषादों के राजा थे। महाभारत में ये भी वर्णित है कि युधिष्ठिर द्वारा आयोजित राजसूय यज्ञ में वो राजा के रूप में पहुँचा था। यानी, जो लोग कहते हैं कि एकलव्य तथाकथित निम्न जाति का था और उस समय ऐसे लोगों को ब्राह्मणों या क्षत्रियों के साथ बैठने की अनुमति नहीं थी, उन्हें ये इतिहास जान कर धक्का लगेगा। एकलव्य न केवल उस समारोह का हिस्सा बना था, बल्कि उसने उपहार के रूप में युधिष्ठिर को जूते भी भेंट किए थे।

महाभारत के स ‘सभा पर्व’ के द्यूतपर्व के अध्याय 49 में वर्णित इस श्लोक को देखिए:

मत्स्यस्त्वक्षानवाबध्नादेकलव्य उपानहौ।
आवन्त्यस्त्वभिषेकार्थमापो बहुविधास्तथा॥

इसका भावार्थ इस प्रकार है, “मत्स्यराज ने रथ में घोड़ों को जोड़ा। एकलव्य दोनों जूते उठा लाया। अवंती के राजा अभिषेक के लिए बहुविधि के जल लेकर आए।”

दुर्योधन अपने पिता धृतराष्ट्र से युधिष्ठिर की राजसभा की शोभा का वर्णन करते हुए ऐसा कह रहा है। इसी में एकलव्य का भी जिक्र है। अर्थात, साफ़ है कि एकलव्य को वनवासी होने के बावजूद भी न केवल राजसभाओं में आने का अधिकार था, बल्कि उसका भी उतना ही सम्मान था जितना बाकी के राजाओं का। एकलव्य ने भी युधिष्ठिर का अधिपत्य स्वीकार किया था। उस समय के जो राजनीतिक हालात थे, विभिन्न राज्यों की के बीच जो छद्मयुद्ध चल रहे थे, उसे जाति का रंग देकर हिन्दू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की जाती है। ऐसा वही लोग करते हैं जिन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं।

इंद्रप्रस्थ में युधिष्ठिर के राज्याभिषेक में जूते लेकर आया एकलव्य

उस राजसूय यज्ञ में आए जिन राजाओं के नाम हैं, उसमें एकलव्य भी आता है। यानी, उस समय कोई निषाद भी राजा बन सकता था। आजकल भ्रम फैलाया जाता है कि उस काल में भारत में महिलाओं को अधिकार नहीं थे, दलितों को अधिकार नहीं थे – ये सब झूठ है। राहुल गाँधी इसी झूठ को आगे बढ़ा रहे हैं।

स्रोत: Rahul Gandhi, राहुल गाँधी, एकलव्य, Eklavya, Dronacharya, द्रोणाचार्य, अँगूठा, Thumb, महाभारत, Mahabharat
Tags: DronacharyaEklavyaparliamentRahul GandhiThumbअँगूठाएकलव्यद्रोणाचार्यराहुल गाँधीसंसद
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

हमले के दिन संसद में क्या-क्या हुआ?; कैसे रोका गया था लोकतंत्र की आत्मा पर सबसे बड़ा हमला?

अगली पोस्ट

बीवी, सास और साला हुए गिरफ्तार, लेकिन 4 साल के बेटे का कोई अता-पता नहीं: अतुल सुभाष के लैपटॉप से कई फोल्डर भी गायब

संबंधित पोस्ट

गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत
इतिहास

गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

22 October 2025

जून 2025 में सऊदी अरब ने आधिकारिक रूप से अपने विवादित कफाला प्रणाली को समाप्त करने की घोषणा की। यह एक ऐसा कदम था, जिसे...

महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने
चर्चित

महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

22 October 2025

बिहार की राजनीति इस वक्त फिर उसी पुराने मोड़ पर लौटती दिखाई दे रही है, जहां गठबंधन एकता का ढोल तो पीट रहा है, लेकिन...

जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?
इतिहास

जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

22 October 2025

दिवाली की अगली सुबह आए अख़बारों में जो ख़बर पहले पेज में सबसे प्रमुखता के साथ छपी है, उसके अनुसार दिल्ली देश का ही नहीं...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why India’s 800-km BrahMos Is a Nightmare for Its Adversaries

Why India’s 800-km BrahMos Is a Nightmare for Its Adversaries

00:06:22

The Congress Party’s War on India’s Soldiers: A History of Betrayal and Fear

00:07:39

How Bursting Firecrackers on Deepavali Is an Ancient Hindu Tradition & Not a Foreign Import

00:09:12

This is How Malabar Gold Betrayed Indians and Preferred a Pakistani

00:07:16

What Really Happened To the Sabarimala Temple Gold Under Left Government?

00:07:21
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited