एक तरफ जहां कलकत्ता हाई कोर्ट ने मालदा जिले के चांचल उपमंडल अधिकारी (SDO) से रिपोर्ट मांगी है कि TMC-नेतृत्व वाले रशीदाबाद ग्राम पंचायत के मुखिया लवली खातून एक बांग्लादेशी घुसपैठिया हैं, जो अवैध रूप से देश में दाखिल हुई हैं। वहीं, आज खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वीकार कर लिया कि बांग्लादेशी घुसपैठ ने बंगाल में अपनी जड़ें जमा ली हैं। दरअसल चुनावों के दौरान बांग्लादेशियों का “खुले दिल से स्वागत” करने की बात कहने वाली ममता बनर्जी अब BSF पर आरोप लगा रही हैं कि वे बांग्लादेशियों की घुसपैठ में मदद कर रहे हैं।
उनके इस बयान ने न सिर्फ भारतीय जवानों की निष्ठा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि उनके दोहरे चरित्र को भी उजागर कर दिया है। क्या अब ममता बनर्जी वोट बैंक की राजनीति से आगे बढ़कर घुसपैठ को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगी, या यह बयान भी मात्र एक राजनीतिक हथकंडा बनकर रह जाएगा?
मुख्यमंत्री ममता का आरोप
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार (2 जनवरी 2025) को दावा किया कि बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) बांग्लादेशी घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा, “BSF का काम बॉर्डर पर अवैध घुसपैठ रोकना है, लेकिन इसके बजाय, इस्लामपुर, सीताई और चोपड़ा जैसे इलाकों से बांग्लादेशियों को भारत में आने की इजाजत दी जा रही है। BSF महिलाओं के साथ अत्याचार कर रही है। ये लोग घुसपैठ कराते हैं और फिर TMC पर दोष मढ़ते हैं।”
लेकिन सवाल यह है कि क्या ममता बनर्जी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही हैं, या यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है? खासतौर पर जब उनकी ही पार्टी की नेता लवली खातून पर गंभीर आरोप लगे हैं। बता दें कि मालदा जिले के रशीदाबाद ग्राम पंचायत की प्रधान लवली खातून पर आरोप है कि वह मूल रूप से बांग्लादेश की नागरिक हैं और अवैध रूप से भारत में रह रही हैं। खबरों के अनुसार, उनका असली नाम नासिया शेख है और उन्होंने बिना वैध दस्तावेजों के भारत में प्रवेश किया।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चांचल के SDO से रिपोर्ट भी मांगी है। यह मामला बंगाल में घुसपैठ के बढ़ते खतरे और ममता सरकार के इस पर ढुलमुल रवैये को उजागर करता है।
ममता बनर्जी का यह बयान तब आया है जब राज्य में उनकी सरकार की साख पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। घुसपैठ को लेकर जहां पहले वह “बंगाल के दरवाजे हर असहाय के लिए खुले हैं” जैसे बयान देती थीं, आज वही घुसपैठियों को लेकर BSF पर आरोप लगा रही हैं। सवाल उठता है कि अब जब उन्होंने घुसपैठ के मुद्दे को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लिया है, तो क्या वह NRC जैसी ठोस कार्रवाई के लिए तैयार हैं? या फिर यह सब सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के तहत दिया गया बयान है?




























