नागालैंड की एक विशेष अदालत (PMLA) ने बुधवार को ₹2,200 करोड़ के ‘HPZ टोकन’ घोटाले (HPZ Token Scam) के मुख्य आरोपी भूपेश अरोड़ा को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया है। इस घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) के लिए यह फैसला एक बड़ा कदम है, क्योंकि अब वह विदेश में मौजूद ₹35 करोड़ की संपत्तियों को जब्त कर भारत वापस ला सकेगी। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि संपत्तियों की जब्ती फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स एक्ट (FEOA), 2018 के तहत की जाएगी और इसे ED के अनुरोध पर आगे बढ़ाया जाएगा।
The Hon’ble Special Court (PMLA), Dimapur Nagaland has declared Bhupesh Arora as Fugitive Economic Offender as per the provisions of the Fugitive Economic Offenders Act,(FEOA) 2018 in the HPZ Token & Others case vide order dated 22.02.2025 based on the application filed by the…
— ED (@dir_ed) January 23, 2025
क्या है HPZ टोकन घोटाला?
HPZ टोकन घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नागालैंड के कोहिमा स्थित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के आधार पर शुरू की, जहां भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।
जांच के दौरान ED को पता चला कि इस घोटाले में निवेशकों को ₹57,000 के निवेश पर तीन महीने तक रोज़ ₹4,000 का रिटर्न देने का वादा किया गया था। इसके बाद, लोगों से करीब ₹2,200 करोड़ की रकम जुटाई गई, जिसे बाद में फर्जी योजनाओं के जरिए शेल कंपनियों और निजी फर्मों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।
ED की जांच में यह भी सामने आया कि इस घोटाले के पीछे भूपेश अरोड़ा और उनके कुछ करीबी सहयोगी थे। PMLA के तहत दर्ज किए गए बयानों से यह खुलासा हुआ कि अरोड़ा के सहयोगियों ने उनके निर्देशों पर काम किया और निवेशित धन को विभिन्न धोखाधड़ीपूर्ण लेन-देन के माध्यम से छुपा लिया। अंततः यह पैसा हवाला के जरिए भारत से बाहर भेजा गया।
अप्रैल 2023 में ED ने मुंबई, गुड़गांव और बेंगलुरु में तीन स्थानों पर छापेमारी भी की थी, जहां आरोपियों के खाते थे। अब तक PMLA न्यायाधिकरण से मंजूरी मिलने के बाद ED ने ₹497.20 करोड़ की संपत्तियां जब्त की हैं।