देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस ने अपना मुख्यालय बदल लिया है। 24 अकबर रोड की जगह अब नया पता 9A कोटला रोड हो गया है। करीब 46 साल बाद कांग्रेस ने अपना पता बदला है। नए मुख्यालय का नाम पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर ‘इंदिरा भवन’ रखा गया है, जिनके कार्यकाल में देश ने आपातकाल के काले अध्याय और लोकतंत्र पर लगाए गए तानाशाही के धब्बे को झेला। हालाँकि, इस मुख्यालय का नाम सरदार मनमोहन सिंह के नाम पर रखने की माँग करते हुए कुछ पोस्टर भी लगे थे, जिसको लेकर विवाद भी हुआ। इसी के बीच वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई (Rajdeep Sardesai) भी सोशल मीडिया पर घिर गए, जब उनके ही पोस्ट का स्क्रीनशॉट लेकर लोगों ने उनपर तंज कसना शुरू कर दिया।
दरअसल, कॉन्ग्रेस की यह बिल्डिंग दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर ही है, जहाँ से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर भाजपा का मुख्यालय है। हालाँकि, वैचारिक एवं राजनीतिक मतभेद के कारण कॉन्ग्रेस कॉन्ग्रेस अपने पता में भाजपा के दिवंगत नेता दीन दयाल उपाध्याय का नाम नहीं जोड़ना चाहती थी। इसलिए उसने अपनी बिल्डिंग का मेन गेट दीन दयाल उपाध्याय पर खोलकर दूसरी तरफ कोटला रोड पर रखा है। इसके साथ ही उसने संबंधित प्राधिकरण से बात करके भी यह इसका पता बदलवा कर 9A कोटला रोड करा लिया है।
ऐसा है कॉन्ग्रेस का नया मुख्यालय
कॉन्ग्रेस का यह मुख्यालय 5 मंजिला इमारत है, जो आधुनिक सुख-सुविधाओं से पूरी तरह लैस है। इसे जिसे कॉरपोरेट स्टाइल में प्राचीन यूरोपीय शैली में बनाया गया है। अंदर और बाहर से देखने पर यह इमारत किसी पाँच सितारा होटल की तरह दिखता है। इसमें प्रशासनिक, संगठनात्मक और रणनीतिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए आधुनिक सुविधाएँ हैं। इसमें टेक्नोलॉजी का भी ध्यान रखा गया है। कॉन्ग्रेस मुख्यालय में बैठक कक्ष, पुस्तकालय, सम्मेलन कक्ष, मीडिया सेंटर और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर विंग बनाया गया है। इसमें सोलर पैनल और वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जैसी सुविधाएँ जोड़ी गई हैं। लगभग 252 करोड़ रुपए में बनी इस इमारत को की आधारशिला साल 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए की प्रमुख सोनिया गाँधी ने रखी थी।
इतना भव्य इमारत बनाने के लिए कॉन्ग्रेस ने पानी की तरह पैसा बहाया है। कुछ लोग इसे पैसे का बेढब प्रदर्शन भी बता रहे हैं। सोशल मोडिया यूजर इसको लेकर सवाल भी उठा रहे हैं। हालाँकि, कॉन्ग्रेस की इस भव्यता के प्रदर्शन को लेकर राजदीप सरदेसाई जैसे लुटियंस पत्रकार भी चुपी साधे हुए हैं। ये वही राजदीप हैं, जिन्होंने साल 2018 में भाजपा मुख्यालय के उद्घाटन को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने इससे जुड़ी इंडियन एक्सप्रेस की खबर को सोशल मीडिया साइट एक्स (उस समय ट्विटर) पर शेयर करते हुए लिखा था, “इस खबर ने मेरा ध्यान खींचा है। सत्ता में रहना ‘फायदेमंद’ होता है।” इतना ही नहीं, राजदीप के साथ-साथ यूट्यूबर बने रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, अजीत अंजुम जैसे लुटियंस पत्रकार और वामपंथी गिरोह ने खूब हाय-तौबा मचाया था। वे बार-बार सवाल कर रहे थे कि 5 साल की सत्ता में भाजपा के पास इतना पैसा कहाँ से आया कि भाजपा 700 करोड़ रुपए का मु्ख्यालय बनवा रही है। अब कॉन्ग्रेस की इमारत पर इन पत्रकारों ने चुप्पी साध रखी है। कॉन्ग्रेस नेता कमलनाथ ने भी सवाल उठाया था कि भाजपा 700 करोड़ की भारी-भरकम राशि खर्च कर मुख्यालय बनवाई है।
भाजपा IT सेल के प्रमुख ने आर सरदेसाई पर साधा निशाना
इसको लेकर भाजपा IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी सवाल किया है। अमित मालवीय ने राजदीप सरदेसाई के उस पुराने ट्वीट के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए लिखा, “कुछ साल पहले जब भाजपा ने दिल्ली में अपना राष्ट्रीय मुख्यालय बनाया था तो कॉन्ग्रेस के चाटुकार राजदीप सरदेसाई और उनके जैसे लोगों ने बहुत रोना रोया था। कॉन्ग्रेस द्वारा अपने राष्ट्रीय कार्यालय के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली इमारत का उद्घाटन करने के बाद वे चुप हैं। विपक्ष में रहते हुए कॉन्ग्रेस एक इमारत बनाई, लेकिन सोनिया गाँधी के संदिग्ध धन स्रोतों पर कोई सवाल या व्यंग्यात्मक टिप्पणी नहीं की गई। गाँधी परिवार का गुलाम बनना ‘फायदेमंद’ है। पद्म सम्मान से लेकर राज्यसभा नामांकन तक, कोई भी व्यक्ति सभी की आकांक्षा कर सकता है।”
Congress doormat Rajdeep Sardesai and his ilk whined endlessly when the BJP built its national headquarter in Delhi, a few years ago. They are conspicuously silent, after the Congress inaugurated the odious building, meant to serve as its national office. The Congress managed to… pic.twitter.com/oTjqWJDYvu
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 17, 2025
ये वही पत्रकार हैं, जिन्होंने कॉन्ग्रेस के शासनकाल में विशेष होने का लुत्फ उठाया। प्रधानमंत्री के साथ मुफ्त विदेश यात्रा, तमाम तरह के विशेषाधिकार, सत्ता के गलियारे तक में गहरी पैठ इनकी विशेषता रही है। इन पत्रकारों ने कॉन्ग्रेस की नीतियों और उसके घोटाले तथा कुशासन के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला। ये वही राजदीप सरदेसाई हैं जिन्होंने भाजपा नेता विनोद तावड़े पर पैसे बाँटने का झूठे आरोप लगने के बाद ताबड़तोड़ ट्वीट किए थे, लेकिन कॉन्ग्रेस की सहयोगी शरद पवार वाली एनसीपी की नेता सुप्रिया सुले पर बिटकॉइन घोटाले का पैसे इस्तेमाल करने का आरोप पर एक शब्द नहीं बोला था। इसको लेकर इंडिया टुडे के पत्रकार राजदीप सरदेसाई पर लोगों ने पक्षपाती होने का स्पष्ट शब्दों में आरोप लगाया था।
राजदीप सरदेसाई कॉन्ग्रेस के प्रति इस तरह के पक्षपाती हैं कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया है तो वो बिलबिला उठे थे। राजदीप सरदेसाई ने तो आपातकाल का खुलकर समर्थन कर दिया था। 12 जुलाई 2024 को राजदीप ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा था, “संविधान को सही मायने में बचाने/सम्मान करने का एकमात्र तरीका संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करना है। पहला कदम: हर सरकार, चाहे वह केंद्र हो या राज्य, एजेंसियों का दुरुपयोग बंद करे! 75 के आपातकाल की निंदा करने और फिर उसके मुख्य पापों को दोहराने का कोई मतलब नहीं है! सुर्खियाँ बटोरने वाली नौटंकी कम, ज़्यादा सारगर्भित बातें!”
राजदीप सरदेसाई ने तो एक मीडिया को इंटरव्यू देते हुए यहाँ तक कह दिया था कि आपातकाल उत्तर भारत के लिए मुद्दा था। इंदिरा गाँधी दक्षिण भारत में उस समय भी जीत गई थीं। इस तरह उन्होंने भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय को भी सही ठहराते हुए कॉन्ग्रेस का बचाव करने की कोशिश की थी। जाहिर है कि कॉन्ग्रेस की सरकारों में सुविधाभोगी रहे इन पत्रकारों का कॉन्ग्रेस से अभी भी मोह खत्म नहीं हुआ है और उन्हें अभी भी लगता है कि उनके भी दिन जरूर लौटेंगे।