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महाकुंभ को लेकर प्रसारित की जा रही झूठी ख़बरों का पंचनामा

महापर्व को किन गिद्धों की लगी नज़र

khushbusingh1 द्वारा khushbusingh1
30 January 2025
in फैक्ट चेक
Mahakumbh 2025

महाकुंभ 2025 को लेकर प्रसारित की जा रहीं फर्जी खबरें, हिन्दुओं को बदनाम करने की साजिश

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प्रयागराज महाकुंभ (MahaKumbh 2025) को गिद्धों की नजर लग गई। मंगलवार-बुधवार (28-29 जनवरी) की रात अचानक हुई भगदड़ में कई लोगों के हताहत होने की खबर है। बुधवार की शाम को जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार, भगदड़ की चपेट में आने से 90 लोग घायल हो गए थे, जिनमें 30 लोगों की मौत हो गई है। वहीं 60 लोग घायल हैं। मृतकों में 25 लोगों की पहचान की गई है, जबकि 5 शवों की पहचान अभी बाकी है। कर्नाटक के चार और गुजरात के एक श्रद्धालु की भी पहचान की गई है। डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि कुछ श्रद्धालु बैरिकेड तोड़कर आगे जाना चाहते थे। वे सो रहे श्रद्धालुओं को कुचल दिए। डीआईजी ने यह भी बताया कि जिस जगह पर यह हादसा हुआ, वहाँ कोई वीआईपी प्रोटोकॉल नहीं था। हालाँकि, अगर पिछले कुछ दिनों के माहौल को देखे तो साफ बता चलेगा कि मेले में माहौल को बिगाड़ने की लगातार कोशिश की जा रही थी।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 144 साल बाद लगने वाले इस महाकुंभ का जिस तरह भव्य एवं दिव्य आयोजन हुआ है, उसकी प्रशंसा मुक्तकंठ से हर किसी ने किया। चाहे वो बॉलीवुड ऐक्टर हो, उद्योगपति हो, नेता हो या विदेशी पर्यटक, हर किसी ने यही कहा कि दुनिया के इस सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के लिए किए गए इंतजाम बेहद शानदार हैं। हर चीज अपनी नियत समय एवं तय मार्ग से हो रहा है। इसे देखकर दुनिया भी हैरान थी।

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इसी बीच विपक्षी दलों ने अपने IT सेल के माध्यम से इसका दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया। बड़े-बड़े नेता और उनसे सहानुभूति रखने वाले यूट्यबर एवं पत्रकार, जो योगी आदित्यनाथ की सरकार में अपनी दलाली करने में कामयाब नहीं हो रहे थे, उन्होंने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर कुंभ को लेकर झूठ फैलाना शुरू कर दिया। इन सबमें समाजवादी पार्टी के नेता और उनकी IT सेल से जुड़े लोग शामिल रहे।

मेला स्थित अस्पताल में आग की झूठी खबर

उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार से खुन्नस खाए लोगों ने अपने-अपने यूट्यूबरों को काम पर लगा दिया और छोटी-छोटी को बतंगड़ बनाने के अलावा, वे फर्जी खबरें फैलाने लगे। इसी तरह की एक फर्जी खबर कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें प्रशासन गंभीर स्थिति से निपटने के लिए ड्रिल कर रहा था। फर्जी खबरों को फैलाने वाले सोशल मीडिया हैंडलों ने इस वीडियो को अपने यूट्यूबरों के माध्यम से हासिल कर प्रचारित किया कि कुंभ मेले में स्थित अस्पताल में आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई है।

इस फर्जी खबर को बड़े पैमाने पर प्रसारित करके कुंभ मेले में अफरा-तफरी फैलाने की कोशिश की गई। इसके बाद यूपी पुलिस ने अफवाह नहीं फैलाने की चेतावनी देते हुए कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी। फिर सोशल मीडिया पर दावा किया जाने लगा कि कुंभ में नहाने के दौरान स्नान से 10 से अधिक लोगों का हार्ट अटैक हो गया। इस तरह की फर्जी खबरे पिछले कुछ दिन से लगातार प्रसारित कर लोगों में फैलाई जा रही हैं।

ये सिर्फ विपक्षी दलों के IT सेलियों का ही कमाल नहीं था, बल्कि अभिषेक उपाध्याय जैसे यूट्यूबर और ममता त्रिपाठी जैसी जातीय रंग चश्मे से देखने वाली कथित पत्रकार भी इसमें शामिल रहीं। ये लोग लगातार फर्जी नैरेटिव गढ़ करके मेला क्षेत्र में आए लोगों में अफवाह फैलाने की कोशिश करते रहे। बदइंतजामी के नाम पर सरकार को घेरने के बजाय बाढ़ की पानी में खड़े होकर फर्जी रिपोर्टिंग करने के लिए सोशल मीडिया पर अक्सर ट्रोल होने वाले अभिषेक उपाध्याय ने इसके लिए तमाम जतन किए।

उपाध्याय ना सिर्फ छोटे-मोटे संतों को अपने यूट्यूब चैनल पर लाकर उनके जरिए सरकार को घेरने की झूठी कोशिश की, बल्कि एक नैरेटिव भी गढ़ने की कोशिश की कि यूपी सरकार ने महाकुंभ में आने वाले लोगों किस तरह की बदइंतजामी का सामना करना पड़ रहा है। मीडिया में चेहरा दिखाने का लोभ लिए कुछ भगवाधारी कथित संत इसमें उपाध्याय की खूब मदद करते दिखे।

यही काम ममता त्रिपाठी ने भी पूरे जतन से किया। इन लोगों ने सोशल मीडिया पर ऐसा माहौल बनाया कि जैसे कुंभ क्षेत्र में जाने का मतलब ही मौत है। ये व्यक्तिगत खुन्न्नस में पत्रकारिता के धर्म को भी भूल गए और इस बड़े आयोजन में खलल डालने की अपनी चाल चलते रहे। रोज किसी ना किसी का हवाले देकर इस तरह के झूठी नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की गई।

कुंभ जैसा विशाल आयोजन, जिसमें एक दिन में करोड़ों लोग आ रहे हैं, वहाँ दुनिया की कोई भी सरकार, किसी भी तरह की तकनीक का इस्तेमाल करके भीड़ को जबरन नियंत्रित नहीं कर सकती। अगर कहीं अनुशासन है तो वह स्वयंनियंत्रण के कारण ही है, जो आस्था और विश्वास से उपजता है। यूट्यूबर और विपक्षी दलों से सहानुभूति रखने वाले पत्रकार इन लोगों को रास्ते में पकड़-पकड़कर पूछते कि आपको क्या दिक्कत है। ये उनकी आस्था या विश्वास या श्रद्धा या उपलब्ध कराए गए संसाधनों को लेकर कोई बात नहीं करते।

श्रद्धालुओं को उकसाने की कोशिश

इस बीच 28 जनवरी को केंद्रीय गृहमंत्री का कुंभ स्नान आयोजित हुआ। प्रोटोकॉल के तहत उन्हें सुरक्षा के तहत सारे मानकों के अनुसार कुंभ स्नान एवं हनुमान मंदिर का दर्शन करवाया गया। इसके लिए कुछ जगहों पर रास्तों को बंद किया गया तो कुछ रास्तों को बदला गया। यह आम बात है। किसी VVIP के आगमन पर प्रोटॉकॉल के तहत ऐसा करना प्रशासन का दायित्व है। चूँकि अगले दिन यानी 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का स्नान था, इसलिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उससे एक दिन पहले 28 जनवरी को ही प्रयागराज के लिए उमड़ पड़ी, ताकि अगले दिन वे मौनी अमावस्या के अवसर पर स्नान कर सकें।

एक तरफ भारी भीड़ और दूसरी तरफ केंद्रीय गृहमंत्री के आगमन के कारण कुछ जगहों पर जाम लगा और श्रद्धालुओं को परेशानी हुई। चूँकि तीर्थयात्रा का नाम ही परेशानी सहकर अपने इष्ट का दर्शन करना होता है, लेकिन इस दौरान भी विपक्षी दलों से हमदर्दी रखने वाले यूट्यूबरों ने लोगों को उकसाना शुरू कर दिया। इसके परिणाम ये हुआ कि श्रद्धालु कई जगहों पर गुस्सा प्रदर्शित करते नजर आए। ये लोगों आने वाले श्रद्धालुओं को बार-बार उकसाते। चूँकि मेला क्षेत्र में पहुँचने के लिए 10 किलोमीटर के आसपास चलना ही होता है तो थके-हारे लोगों को लगता था कि ये सब कुछ VVIP के कारण हो रहा है।

ऐसे में थके-हारे तीर्थयात्रियों की भावनाओं को भड़काने का काम इन यूट्यूबरों और IT सेलियों ने शुरू कर दिया। इसका परिणाम ये हुआ लोग इनके बहकावे में आने लगे और तीर्थयात्रा की अपनी आस्थामयी आनंद को परे कुछ कठोर बयान देने लगे। यह सब वही था, जो विरोधी चाह रहे थे। ये सब कुछ 28 जनवरी की शाम 5-6 बजे तक जोर-शोर से प्रसारित किया जाता रहा कि कुंभ में किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई। लोगों का ध्यान नहीं रखा गया।

हालाँकि, सच्चाई इसके उलट है। यह लेखिका खुद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ी है और साल 2001 के पूर्णकुंभ को बहुत नजदीक से देखा है, जब रेलवे स्टेशन से लेकर संगम तक लोगों को पैदल जाना पड़ता था। वहाँ पहुँचने पर किसी तरह की कोई सुविधा नहीं होती थी, सिवाय कुछ पुलिस वालों के। अस्पताल, विश्रामगृह, मुफ्त खाना आदि की बात ही दूर है। तब इतनी भीड़ भी नहीं होती थी और लोग तीर्थयात्रा को लेकर इतने जागरूक भी नहीं होते थे। उस समय ये हाल होता था।

इस बार जबकि प्रदेश की योगी सरकार ने कदम-कदम पर लोगों को पानी-खाने की व्यवस्था की है। बीमार लोगों के लिए अस्पताल की व्यवस्था की है। ठहरने के लिए सरकारी एवं निजी स्तर पर टेंट आदि की व्यवस्था की है। महिलाओं को स्नान के बाद कपड़े बदलने के लिए टेंट लगाए गए हैं। भारी संख्या में पुलिस, जल पुलिस, आपदा प्रबंधन टीम से लेकर तमाम तरह की व्यवस्थाएँ है, फिर भी लोग संतुष्ट नहीं है।

मानव शरीर आरामतलबी होता है। उसे जितना अधिक आराम दिया जाए वो उसे उतनी कम लगता है तथा और अधिक आराम की अपेक्षा करता है। वही हाल इस बार भी है। अगली बार के कुंभ में और अधिक की अपेक्षा की जाएगी, लेकिन चाहे जितनी भी अपेक्षाएँ की जाएँ वो करोड़ों लोगों के लिए घर की तरह पूर्ति करना संभव नहीं है। ऐसे में विरोधियों द्वारा लोगों को भड़काने के बावजूद उन्हें अपने पुण्य के लिए की जानी वाली शारीरिक एवं मानसिक परिश्रण पर ध्यान देना चाहिए।

श्रद्धालु निर्मल हृदय के लोग हैं, जो मोक्ष के मार्ग को तलाश के लिए देश के कोने कोने से प्रयागराज तक पहुँचे। इन्हें जैसा बताया जाएगा वो वैसा सोचेंगे और वे वैसा चाहेंगे। इसी फायदा सरकार विरोधी षडयंत्रकारियों ने उठाया। 28 जनवरी की शाम को जिस तरह श्रद्धालुओं को उकसाया गया था और उनके वीडियो सामने आ रहे थे, वो बहुत कुछ कह रहे थे। इसके बावजूद पुलिसकर्मी और प्रशासन के लोग बेहद विनम्रता के साथ उन्हें समझाते हुए आगे बढ़ा रहे और बुजुर्ग-महिला से लेकर बच्चे और युवा तक उनकी बात मानकर आगे की बढ़ते जा रहे थे।

इसी बात रात में मेला कमिश्नर विजय विश्वास पंत ने माइक से सोए हुए लोगों को हटाने के लिए अनाउंसमेंट करना शुरू कर दिया है। उन्होंने लोगों से कहा कि जागते रहिए, भगदड़ होने की संभावना है। हालाँकि, एक बड़े अधिकारी को इस तरह का डर लोगों में नहीं फैलाना चाहिए था, ऐसी बातें सोशल मीडिया पर की जा रही हैं। लोगों का कहना है कि अधिकारियों का काम है बुरी स्थिति में भी लोगों को शांति और धैर्य बनाए रखने के लिए कहना होता है। यहाँ तो उल्टा ही किया गया। सोए हुए लोगों को जगाकर कहा जाने लाग कि उठिए भगदड़ होने की संभावना है। ऐसी स्थिति में लोगों में एक अनजाना डर बैठ गया।

कुछ घंटों के बाद यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। हालाँकि, सचेत प्रशासन ने माहौल को तुरंत नियंत्रित कर लिया, जिससे कोई बड़ी दुर्घटना होने से बच गई। वहीं, कुंभ मेले के डीआईजी वैभव कृष्ण ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि चेंजिंग रूम के गेट पर भीड़ टकराने से भगदड़ मच गई। गेट गिरने से कई लोग घायल हो गए और प्रशासन ने तुरंत उन्हें अस्पताल पहुँचाया। इस घटना को लेकर लल्लनटॉप ने कुछ तीर्थयात्रियों से इसके बारे में पूछा तो कुछ पुरुष और महिलाओं ने कहा कि हाथ में लाल झंडा लिए हुए कुछ लोग अचानक धक्का-मुक्की करने लगे, इसके कारण लोग एक दूसरे पर गिरने लगे। वहीं, भगदड़ में घायल होने के बाद अपने बच्चे का इलाज करा रही एक महिला ने बताया, कुछ लोग हमें धक्का दे रहे थे और हँस रहे थे। हम उनसे अपने बच्चों के प्रति दया की भीख माँग रहे थे।”

ऐसे में सवाल उठना है कि पिछले कुछ दिनों से सरकार के खिलाफ माहौल बनाने अभिषेक उपाध्याय और ममता त्रिपाठी जैसे लोग किनके इशारे पर ये माहौल बना रहे थे। ये दोनों विपक्षी समाजवादी पार्टी से व्यक्तिगत सहानुभूति रखते हैं। वहीं भाजपा की सारे नेताओं की भी खूब चापलूसी करते हैं, सिवाय योगी आदित्यनाथ की कटु आलोचना करने के। सरकार के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाने के जुर्म में इन दोनों पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। उसके बाद से दोनों की वही पुरानी आदतें शुरू हो गईं।

अब जबकि कुंभ के श्रद्धालुओं का साफ कहना है कि हाथ में झंडा लिए कुछ अराजक तत्वों में मेले में जानबूझकर धक्का-मुक्की की थी, जिसके कारण यह भारी दुर्घटना हुई। वहीं, दूसरी ओर VVIP के नाम पर लोगों को उकसाने वाले कुछ यूट्यूबर और सरकाकर के खिलाफ लगातार फर्जी खबरे फैलाने वाले उपाध्याय और त्रिपाठी जैसे लोगों से कठोरता से सवाल कर मामले की गंभीरता से जाँच की जानी चाहिए।

Abhishek Upadhyay On Mahakumbh

Abhishek Upadhyay On Mahakumbh

किसी के पूर्वाग्रह, जातीय द्वेष और राजनीतिक झुकाव की नींव लोगों की लाश नहीं बन सकती, खासकर तब जब वह कुंभ जैसे आस्था की नगरी में पहुँचकर खुद को पवित्र करने की कोशिश में लगा हुआ है।

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