दुनिया भर में अलग-अलग धार्मिक प्रथा-मान्यताएं हैं और इनमें से कई प्रथाएं ऐसी हैं जिनके लिए लोगों को बेइंतहा दर्द से गुज़रना होता है। इस्लाम में खतना की प्रक्रिया भी ऐसी ही है जिसमें लोग दर्द से गुज़रते हैं। यह प्रथा जहां एक और पुरुषों में आम हैं तो वहीं कई देशों में महिलाओं को भी इसके दर्द से गुज़रना होता है। दुनिया के कई देशों में महिलाओं का खतना (Female genital mutilation) करने पर प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन यह प्रक्रिया रूढ़ीवादी मुस्लिमों में चलती रहती है। मुस्लिमों के एक तबके में महिलाओं को तब तक ‘अशुद्ध’ माना जाता है जब तक कि उनका खतना ना किया जाए। पड़ोसी देश पाकिस्तान में आमतौर पर मुस्लिम महिलाओं का खतना किए जाने के मामले सामने नहीं आते हैं लेकिन असल में ‘गुपचुप’ तरीके से वहां महिलाओं का खतना किया जा रहा है।
महिलाओं का असहनीय दर्द
पाकिस्तान की रहने वालीं और दाऊदी बोहरा समुदाय से आने वालीं 27 वर्षीय मरियम (बदला हुआ नाम) नामक महिला ने अल-जज़ीरा से बताया है कि उसका 7 वर्ष की उम्र में ज़बरदस्ती खतना किया गया था। मरियम का कहना है, “मुझे आज भी ऐसा लगता है कि मेरे भीतर कुछ कमी है, ऐसा लगता है कि मेरे शरीर से कुछ निकाल दिया गया है और यह मेरे शरीर का एक नकारात्मक पहलू जैसा बन गया है।” मरियम का कहना है कि जो महिलाएं इस प्रथा की खिलाफत करती हैं उन्हें समुदाय से बाहर करने की धमकी दी जाती है।
पाकिस्तान की ही 26 वर्षीय आलिया (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि खतना उनके लिए एक बुरे सपने के जैसा है, ऐसा लगा ही नहीं कि यह सब भी हो सकता है। उन्होंने कहा है, “मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि एक पूरी पीढ़ी अपने बच्चों का खतना करा रही हैं और उन्हें यह भी नहीं पता कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं।” वहीं, डॉक्टर इस प्रक्रिया को खतरनाक मानते हैं। कराची में जिन्ना पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सेंटर में स्त्री रोग विशेषज्ञ आसिफा मल्हान का कहना है कि लड़कियों को इससे मूत्र नलिका में गंभीर समस्याएं होती हैं। बकौल मल्हान, इससे लड़कियों का यौन स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है और उन्हें डिस्पेर्यूनिया (सेक्स के ठीक पहले, दौरान या बाद में जननांग में होने वाला दर्द) हो सकता है।
85% महिलाएं कराती हैं खतना
दाऊदी बोहरा समुदाय गुजरात क्षेत्र के शिया मुसलमानों का एक संप्रदाय है और इस समुदाय में खतना एक आम प्रथा है। अल-जज़ीरा की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान में दाऊदी बोहरा समुदाय की 75 प्रतिशत से 85 प्रतिशत महिलाएं खतना कराती हैं। इसका एक दर्दनाक पहलू यह भी है कि यह खतना आम तौर पर घरों में बुज़ुर्ग महिलाओं द्वारा किया जाता है और इसमें किसी एनेस्थीसिया का प्रयोग भी नहीं किया जाता है। साथ ही, जिन उपकरणों के ज़रिए यह प्रक्रिया की जाती है उन्हें भी कीटाणु रहित नहीं किया जाता है। ऐसे में यह प्रक्रिया जानलेवा या शरीर पर गंभीर असर करने वाली हो सकती है। इन सबके बावजूद पाकिस्तान के लोगों को यह अनुमान तक नहीं है कि उनके देश में यह प्रक्रिया इतनी आम है।
‘हराम की बोटी’ क्या है?
महिलाओं का खतना किए जाने के समर्थकों का कहना है कि यह किए जाने की असली वजह उनका स्वास्थ्य नहीं है। इनका कहना है कि क्लाइटोरिस (वह हिस्सा जिसे खतना के दौरान हटाया जाता है) को ‘हराम की बोटी’ कहा जाता है। क्लाइटोरिस से ही महिलाओं को सर्वाधिक यौन सुख मिला है और खतना के समर्थकों का मानना है कि इससे महिलाएं भटक सकती हैं।
आलिया कहती हैं कि जब हमारे क्लाइटोरिस को ‘हराम की बोटी’ कहा जाता है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि खतना ‘स्वच्छता या सफाई’ के उद्देश्य से नहीं किया जाता है बल्कि यह महिला की कामुकता को खत्म करने के लिए किया जाता है। कराची की एक लाइफ स्टाइल कोच का कहना है कि जन लड़कियों का क्लाइटोरिस हटा दिया जाता है उन्हें एक खास तरह के यौन सुख का अनुभव नहीं होता है। उनके मुताबिक, बिना क्लाइटोरिस के यौन संबंध बनाना लड़कियों के लिए खतरनाक हो सकता है।
कितने तरह से होता है महिलाओं का खतना?
महिलाओं का खतना अफ्रीका और मध्य पूर्व में सबसे आम है और इन क्षेत्रों में 15-49 वर्ष की उम्र की 12.5 करोड़ महिलाओं का खतना किया गया है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 14 करोड़ महिलाओं का खतना किया गया है। 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने महिलाओं के खतना को 4 अलग-अलग प्रकारों में बांटा था।
1: क्लाइटोरल ग्लांस (क्लाइटोरिस का बाहरी और संवेदनशील हिस्सा, जो यौन सुख देता है) और/या क्लाइटोरल हुड (क्लाइटोरिस को ढकने वाली त्वचा) का आंशिक या पूरी तरह से हटाया जाना। यह 2 तरह से किया जाता है-
- केवल क्लिटोरल हुड को हटाया जाना।
- क्लिटोरल ग्लांस और क्लिटोरल हुड दोनों को हटाया जाना।
2: इसमें क्लाइटोरल ग्लांस और लेबिया मिनोरा (योनि की अंदरूनी त्वचा) का आंशिक या पूर्ण हटाया जाता है। इस प्रक्रिया में कभी-कभी लेबिया मेजोरा (योनि की बाहरी त्वचा) को भी हटाया जाता है। यह 3 तरह से किया जाता है-
- केवल लेबिया मिनोरा को हटाया जाना।
- क्लाइटोरल ग्लांस और लेबिया मिनोरा दोनों को आंशिक या पूर्ण रूप से हटाया जाना।
- क्लाइटोरल ग्लांस, लेबिया मिनोरा और लेबिया मेजोरा को आंशिक या पूर्ण रूप से हटाया जाना।
3: इस प्रक्रिया को इंफिबुलेशन कहा जाता है और इसे सबसे दर्दनाक प्रक्रिया के तौर पर देखा जाता है। इसमें योनि के खुलने वाले हिस्से को या तो संकुचित कर दिया जाता है या उसे सील कर दिया जाता है। इसमें लेबिया मिनोरा या लेबिया मेजोरा को काटा जाता है और उन्हें पुन: स्थित करके किया जाता है। इसमें क्लाइटोरल ग्लांस और क्लाइटोरल हुड को भी हटाया जा सकता है। यह प्रक्रिया सामान्यत: 2 तरह से की जाती है-
- लेबिया मिनोरा को हटाना और पुनः स्थिति देना।
- लेबिया मेजोरा को हटाना और पुनः स्थिति देना।
4: इन प्रक्रियाओं के अलावा महिलाओं महिला का खतना करने के लिए उनके जननांगों पर अन्य कई तरह की हानिकारक प्रक्रियाएं की आजमाई जाती हैं जिनमें सूई चुभाना, छेद करना, काटना, खुरचना या जलाना या दागना शामिल हैं।
इनमें से इंफिबुलेशन को बाद में खोल दिया जाता है जिसे डिइंफिबुलेशन कहा जाता है। डिइंफिबुलेशन इसलिए किया जाता है ताकि महिला यौन संबंध बना सके और बच्चे को जन्म दे सके।
दुनिया भर में की जाने वाली इन प्रक्रियाओं को लेकर सबसे खतरनाक चीज़ यही है कि इन प्रक्रियाओं को सामान्यत: बिना किसी चिकित्सीय सहायता के किया जाता है। इसके चलते महिलाओं को गंभीर बीमारी होने का खतरा लगातार बना रहता है।