गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की घोषणा की और पाँच नियम बनाए जिनमें सभी को केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण रखना होता था...
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    सीपी राधाकृष्णन की जीत: राष्ट्रवादी संदेश, विपक्षी प्रतिक्रिया और भारतीय राजनीतिक परिदृश्य

    सीपी राधाकृष्णन की जीत: राष्ट्रवादी संदेश, विपक्षी प्रतिक्रिया और भारतीय राजनीतिक परिदृश्य

    उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

    उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

    नेपाल की गलती: चीन का सहारा, भारत से दूरी और पहचान का संकट

    नेपाल की गलती: चीन का सहारा, भारत से दूरी और पहचान का संकट

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    पंजाब की बाढ़: खेतों में उतरे केंद्रीय कृषि मंत्री, उम्मीद की डोर थामे किसान

    पंजाब की बाढ़: खेतों में उतरे केंद्रीय कृषि मंत्री, उम्मीद की डोर थामे किसान

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    हिमाचल में वेतन कटौती का संकट: सरकार की नीतियां और जनता की तकलीफ़

    हिमाचल में वेतन कटौती का संकट: सरकार की नीतियां और जनता की तकलीफ़

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    चीन दुनिया के सामने खुद को शक्तिशाली दिखाता है, जबकि अपने ही देशवासियों से असुरक्षित महसूस करता है

    चीन भले ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शक्ति हो- लेकिन ड्रैगन के इस ‘शक्ति प्रदर्शन’ के पीछे  नागरिकों के उत्पीड़न की अंतहीन कहानियां छिपी हैं

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    जेन-ज़ी की डिजिटल क्रांति: क्या सोशल मीडिया नेपाल में सरकार बदल सकती है — और भारत को क्या करना चाहिए?

    जेन-ज़ी की डिजिटल क्रांति: क्या सोशल मीडिया नेपाल में सरकार बदल सकती है-और भारत को क्या करना चाहिए?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

    उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

    नेपाल की गलती: चीन का सहारा, भारत से दूरी और पहचान का संकट

    नेपाल की गलती: चीन का सहारा, भारत से दूरी और पहचान का संकट

    लालू का चारवाहा विद्यालय: गरीबों के सपनों का कब्रिस्तान

    लालू का चारवाहा विद्यालय: गरीबों के सपनों का कब्रिस्तान

    बंगाल फ़ाइल्स: सत्य, राजनीतिक चुप्पी और विस्थापित इतिहास की पुकार

    बंगाल फ़ाइल्स: सत्य, राजनीतिक चुप्पी और विस्थापित इतिहास की पुकार

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    सीपी राधाकृष्णन की जीत: राष्ट्रवादी संदेश, विपक्षी प्रतिक्रिया और भारतीय राजनीतिक परिदृश्य

    सीपी राधाकृष्णन की जीत: राष्ट्रवादी संदेश, विपक्षी प्रतिक्रिया और भारतीय राजनीतिक परिदृश्य

    उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

    उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

    नेपाल की गलती: चीन का सहारा, भारत से दूरी और पहचान का संकट

    नेपाल की गलती: चीन का सहारा, भारत से दूरी और पहचान का संकट

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    पंजाब की बाढ़: खेतों में उतरे केंद्रीय कृषि मंत्री, उम्मीद की डोर थामे किसान

    पंजाब की बाढ़: खेतों में उतरे केंद्रीय कृषि मंत्री, उम्मीद की डोर थामे किसान

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    हिमाचल में वेतन कटौती का संकट: सरकार की नीतियां और जनता की तकलीफ़

    हिमाचल में वेतन कटौती का संकट: सरकार की नीतियां और जनता की तकलीफ़

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    चीन दुनिया के सामने खुद को शक्तिशाली दिखाता है, जबकि अपने ही देशवासियों से असुरक्षित महसूस करता है

    चीन भले ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शक्ति हो- लेकिन ड्रैगन के इस ‘शक्ति प्रदर्शन’ के पीछे  नागरिकों के उत्पीड़न की अंतहीन कहानियां छिपी हैं

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    जेन-ज़ी की डिजिटल क्रांति: क्या सोशल मीडिया नेपाल में सरकार बदल सकती है — और भारत को क्या करना चाहिए?

    जेन-ज़ी की डिजिटल क्रांति: क्या सोशल मीडिया नेपाल में सरकार बदल सकती है-और भारत को क्या करना चाहिए?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

    उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

    नेपाल की गलती: चीन का सहारा, भारत से दूरी और पहचान का संकट

    नेपाल की गलती: चीन का सहारा, भारत से दूरी और पहचान का संकट

    लालू का चारवाहा विद्यालय: गरीबों के सपनों का कब्रिस्तान

    लालू का चारवाहा विद्यालय: गरीबों के सपनों का कब्रिस्तान

    बंगाल फ़ाइल्स: सत्य, राजनीतिक चुप्पी और विस्थापित इतिहास की पुकार

    बंगाल फ़ाइल्स: सत्य, राजनीतिक चुप्पी और विस्थापित इतिहास की पुकार

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

क्यों सोने के तीर से दुश्मनों का वध करते थे गुरु गोबिंद सिंह, भगवा पगड़ी-ध्वज देकर शुरू किया खालसा पंथ: मुगलों से लड़े 14 युद्ध

गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की घोषणा की और पाँच नियम बनाए जिनमें सभी को केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण रखना होता था

khushbusingh1 द्वारा khushbusingh1
6 January 2025
in इतिहास, चर्चित
गुरु गोबिंद सिंह के उद्घोष 'वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह' आज भी सिखों में ऊर्जा और निडरता का संचार करता है

गुरु गोबिंद सिंह के उद्घोष 'वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह' आज भी सिखों में ऊर्जा और निडरता का संचार करता है

Share on FacebookShare on X

सिख धर्म में प्रकाश पर्व का विशेष महत्व है। सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव और खालसा पंथ के संस्थापक एवं सिखों के दसवें एवं अंतिम गुरु गोबिंद सिंह के जन्म दिवस को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस बार गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व 6 जनवरी 2025 को है। गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म 22 दिसंबर 1666 में हुआ था। हालाँकि, हिंदी मास के अनुसार ही यह पर्व मनाया जाता है।

गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें एवं आखिरी गुरु थे। वे सिर्फ 10 वर्ष की उम्र में गुरु बन गए थे। हालाँकि, पंथ के लिए गुरु चुनने की प्रक्रिया उन्होंने बंद कर दी और गुरु ग्रंथ साहिब को ही सिखों के गुरु के रूप में सुशोभित किया। गुरुग्रंथ साहिब सिख पंथ का सबसे पवित्र पुस्तक है। इसमें गुरु नानक के वचनों के साथ-साथ अन्य धर्मों के महत्वपूर्ण बातों को शामिल किया गया है। इस आशय से उन्हें बेहद दूरदर्शी एवं समदृष्टि कहा जा सकता है। ‘बिचित्र नाटक’ गुरु गोबिंद सिंह के बारे में जानकारी का सबसे बड़ा स्रोत है। इसे उनकी आत्मकथा कहा जाता है। ‘बिचित्र नाटक’ पुस्तक ‘दसम ग्रंथ’ का एक भाग है।

संबंधितपोस्ट

बंगाल फ़ाइल्स: सत्य, राजनीतिक चुप्पी और विस्थापित इतिहास की पुकार

काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन

एक जंग में फ्रांस मेडागास्कर के राजा का सिर काट कर अपने देश ले गए थे, अब 128 साल बाद लौटाईं तीन खोपड़ियां

और लोड करें

गुरु गोबिंद सिंह ना सिर्फ एक आध्यात्मिक नेता थे बल्कि वे रणकुशल सेनापति भी थे। इसके साथ ही वे सरल हृदय कवि, लेखक, परमात्मा के भक्त और न्याय के सबसे बड़े झंडाबरदारों में से एक थे। वे कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने अनेकों ग्रंथों की रचना की। उनके द्वारा रचित ग्रंथों में जाप साहिब, अकाल उस्तति और चंडी दी वार प्रमुख हैं। उनके दरबार में 52 संत कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी। यही कारण है कि उन्हें ‘संत सिपाही’ भी कहा जाता है। उन्होंने सदा प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया। दूसरे तरफ, वे आतंक को अपने पराक्रम से खत्म करने के लिए भी जाने जाते हैं।

गुरु गोबिंद सिंह सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर और माता गुजरी के इकलौती संतान थे। उनका बचपन का नाम गोविंद राय था। बेहद कम उम्र में गुरुजी को आत्मज्ञान हो गया था। इसके बावजूद उनके गुरु तेगबहादुर ने उनके सैन्य कौशल को निखारने के लिए एक क्षत्रिय बजर सिंह राठौड़ को उनका गुरु बनाया। बजर सिंह राठौड़ ने उन्हें युद्ध कला में पारंगत बनाया। हालाँकि, उनके पिता गुरु तेगबहादुर स्वयं शूरवीर थे। गुरु तेगबहादुर गुरु बने तो उन्होंने क्षत्रियों की ‘शस्त्र पूजा’ और ‘चंडी पूजा’ को अपनाया। इसके साथ ही बलिदान के इस्तेमाल किए जाने वाले केसरिया ध्वज को भी अपने खालसा पंथ में शामिल किया। खुशवंत सिंह अपनी पुस्तक ‘द हिस्ट्री ऑफ़ द सिख्स’ में लिखा है, “उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथों की कई कहानियों को अपने शब्दों में लिखा। उनकी पसंदीदा कहानी माता चंडी की थी, जो राक्षसों का विनाश करती थीं।” गुरु गोबिंद सिंह के बारे में यह विख्यात है कि उनके तीरों की नोक सोने की बनी होती थी, ताकि मरने वाले के परिवार का ख़र्च उसको बेचकर चल सके।

गुरु गोबिंद सिंह सिर्फ 9 साल के थे तभी मुस्लिम आक्रांता औरंगज़ेब ने गुरु तेगबहादुर को युद्ध के दौरान पकड़ लिया और उन पर इस्लाम अपनाने का दबाव बनाने लगा। हालाँकि, गुरु तेगबहादुर इसके लिए तैयार नहीं हुए। अंत में औरंगज़ेब ने उनका सिर कटवा दिया। गुरु गोबिंद सिंह इन बातों को समझ चुके थे और भविष्य के खुद को अपने आपको तैयार करने लगे। सन 1685 में पड़ोसी सिरमौर राज्य के राजा मेदिनी प्रकाश ने गुरु गोबिंद सिंह को अपने यहाँ आतिथ्य के लिए बुलाया। गुरु गोबिंद सिंह वहाँ तीन साल तक रहे। इसके बाद उन्होंने अपने रहने के लिए यमुना नदी के किनारे एक जगह पंवटा को चुना। यहीं उनके सबसे बड़े बेटे अजीत सिंह का जन्म हुआ।

उन्होंने मुगलों से लड़ने के लिए एक सैन्य पंथ स्थापित करने की सोची। उन्होंने सन 1699 में बैसाखी के मौके पर सभी सिखों को आनंदपुर में जुटने के लिए कहा। ये वहीं आनंदपुर था, जिसे उनके पिता ने बसाया था और औरंगज़ेब द्वारा काटे को उनके पिता के सिर को वहाँ स्थापित किया गया था। बैसाखी के दिन जब सिख आनंदपुर इकट्ठा हुए तो गुरु गोबिंद सिंह ने अपनी म्यान से तलवार निकाली और उसे हवा में लहराकर ऐलान किया कि ऐसे पाँच लोग सामने आएँ, जो धर्म की रक्षा के लिए अपनी बलिदान दे सकते हैं। पतवंत सिंह अपनी किताब ‘द सिख्स’ में लिखते हैं कि गुरु के आदेश पर सबसे पहले लाहौर के दयाराम आगे आए। गुरु जी उनको एक तंबू में ले गए। उनके बाद हस्तिनापुर के धरमदास, फिर द्वारका के मोहकम चंद, फिर जगन्नाथ के हिम्मत और अंत में बीदर के साहिब चंद आगे आए।

गुरु गोबिंद सिंह ने उन्हें केसरिया रंग के कपड़े और पगड़ी दी और उनका नाम ‘पंजप्यारे’ रखा। अलग-अलग हिंदू जातियों के इन लोगों को गुरु ने पीने के लिए जल दिया और फिर उनका उपनाम ‘सिंह’ दिया। इसके साथ ही उन्होंने खालसा पंथ की घोषणा की। खालसा पंथ के लिए पाँच नियम बनाए गए। यानी सभी को केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण रखना होगा। ये सभी ‘क’ से शुरू होते थे। इसलिए इन्हें पंच ककार कहा गया। खालसा पंथ का मुख्य उद्देश्य अन्याय, अत्याचार और अंधकार को समाप्त करना था।

खालसा पंथ और गुरु गोबिंद सिंह सिंह के पराक्रम की जानकारी औरंगज़ेब को हुई तो उनसे गुरुजी को एक पत्र भेजा। इसमें लिखा था, “आपका और मेरा धर्म एक ईश्वर में विश्वास करता है। ऐसे में आपस में गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। अगर आपको कोई शिकायत है तो मेरे पास आइए। मैं आपके साथ एक धार्मिक व्यक्ति की तरह बर्ताव करूँगा। आप मेरी प्रभुसत्ता मान लें, जो अल्लाह ने मुझे दी है। अगर मेरी सत्ता को चुनौती दी मैं खुद हमले का नेतृत्व करूँगा।”

इसके जवाब में गुरु गोबिंद सिंह ने लिखा था, “दुनिया में केवल एक सर्वशक्तिमान ईश्वर है। इसी पर हम दोनों आश्रित हैं, लेकिन आप इसे नहीं मानते। आप उन लोगों के साथ भेदभाव करते हैं, उन्हें नुक़सान पहुँचाने की कोशिश करते हैं, जिनका धर्म आपसे अलग है। ईश्वर ने मुझे न्याय बहाल करने के लिए इस दुनिया में भेजा है। हमारे बीच शांति कैसे हो सकती है जब मेरे और आपके रास्ते अलग हैं?”

इससे गुस्साए औरंगज़ेब ने दिल्ली, लाहौर और सरहिंद के अपने गवर्नरों को गुरु गोबिंद सिंह जी के पीछे लगा दिया। दिसंबर 1704 में सरहिंद के गवर्नर वज़ीर ख़ाँ के नेतृत्व में यह आक्रमण तय किया गया। हमले की सूचना पाकर गुरुजी ने अपनी सारी सेना को जानकारी दी। चूँकि मुगल सैनिक अधिक थे तो उनसे खुले में लड़ने के बजाय गुरु जी ने दूसरी रणनीति अपनाई। उन्होंने सबको किले में ही रहने का हुक्म दिया। मुगलों का मुकाबला करने के लिए अपनी सेना को 6 भागों में विभाजित कर दिया। इनमें से पाँच टुकड़ियों को किले की रक्षा में लगाया गया और छठी टुकड़ी को रिजर्व रखा गया। उन्होंने आनंदगढ़ की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली। फ़तेहगढ़ की रक्षा की ज़िम्मेदारी उदय सिंह को, नालागढ़ की जिम्मेदारी मक्खन सिंह को, केशगढ़ की जिम्मेदारी अपने बड़े बेटे अजीत सिंह को और लोहागढ़ की जिम्मेदारी अपने उनके छोटे भाई जुझार सिंह को दी।

मुगल सेना ने पाँचों किलों पर हमला कर दिया और पाँचों कमांडरों ने बेहद बहादुरी से उनका मुकाबला किया। इतनी सी सेना ने लड़ाई के पहले दिन 900 मुगलों को मार गिराया। अगले दिन गुरु गोबिंद सिंह ख़ुद शामिल हुए। दूसरे दिन का युद्ध बेहद भयानक रहा। इस युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए। अंत में मुगलों ने अपनी रणनीति बदली और लड़ने के बजाय किले की घेराबंदी कर दी। कुछ समय के बाद किले में अनाज खत्म हो गया तो बाहर निकलने का निर्णय लिया गया। अंत में पहाड़ी राजा अजमेर चंद के प्रस्ताव पर गुरु गोबिंद सिंह आनंदपुर जाने के लिए तैयार हो गए। पहले जत्थे में महिलाएँ, बच्चे, गुरु की माँ गुजरी और चार बेटे भी शामिल थे। यह जत्था जब एक छोटी नदी सरसा के किनारे पहुँचा तो मुगल सैनिकों ने उन पर हमला बोल दिया। इस लड़ाई में गुरु गोबिंद सिंह के सबसे सक्षम कमांडर उदय सिंह मारे गए। हालाँकि, उन्होंने तब तक मुग़लों का रास्ता रोक कर रखा जब तक गुरु गोबिंद सिंह वहाँ से सुरक्षित नहीं निकल गए।

इस लड़ाई में गुरु गोबिंद सिंह की माँ और उनके दो छोटे बेटे ज़ोरावर सिंह और फ़तह सिंह बिछड़ गए। इस दौरान गुरु गोबिंद सिंह के अपने सैनिकों की संख्या 500 से घटकर केवल 40 रह गई। गुरुजी अपने बाकी दो बेटों और 40 सैनिकों के साथ चमकौर पहुँचे। हालाँकि, संधि प्रस्तावों के खिलाफ विश्वासघाती मुगल सैनिक गुरुजी के पीछे पड़े रहे। यहाँ चमकौर की प्रसिद्ध लड़ाई हुई, जिसमें उनके दो बड़े बेटे- अजीत सिंह और जुझार से बलिदान हो गए। इसके साथ ही पंजप्यारों में से दो- मोहकम सिंह और हिम्मत सिंह भी वीरगति को प्राप्त हो गए। हालाँकि, गुरु गोबिंद सिंह चमकौर से निकलने में कामयाब रहे। वहाँ से वे जटपुरा गाँव पहुँचे।

इस बीच मुगल सेना की एक टुकड़ी माता गुजरी और उनके पोते यानी गुरु गोबिंद सिंह के दोनों बेटों के खोजबीन में जुटी रही। इसी दौरान गुरु गोबिंद सिंह के यहाँ 20 साल से रसोइया का काम करने वाला पंडित गंगा दत्त उर्फ पंडित गंगू ने माता गुजरी और उनके दोनों पोतों- 8 साल के जोरावर सिंह और 6 साल के फतेह सिंह को अपने घर छिपने का निमंत्रण दिया। माता गुजरी के पास गहने और सोने के सिक्के थे। साथ ही मुगल सैनिकों ने इनके बारे में सूचना देने वालों को इनाम देने की भी घोषणा की थी। गंगू पंडित का मन लालच से भर आया। वह मोरिण्डा नगर गया और उसने शहर के मुगल कोतवाल बता दिया कि गुरु गोबिंद सिंह की माता और उनके दो बेटे उसके यहाँ छिपे हुए हैं। कोतवाल उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। सुबह सरहिंद के गवर्नर वजीर खाँ ने दोनों साहिबजादों को पेश होने का आदेश दिया। उसने दोनों को इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए कहा। जब दोनों साहिबजादे नहीं माने तो उन्हें दीवार में जिंदा चुनवा दिया। वहीं, गुरु गोबिंद सिंह की बुजुर्ग माता गुजरी को सरहिंद के किले के बुर्ज से नीचे फेंक दिया गया। इस तरह गुरु गोबिंद सिंह का पूरा परिवार धर्म के लिए बलिदान हो गया।

जटपुर में ही गुरु गोबिंद सिंह को अपनी माँ और दोनों बेटों के बलिदान होने की सूचना मिली। एक समय ऐसा भी ऐसा जब औरंगज़ेब ने उनके समक्ष समझौते की पेशकश की। इसमें सेनापति राजा जय सिंह की कूटनीति मानी जाती है। आखिर में गुरु गोबिंद सिंह औरंगज़ेब से मिलने के लिए निकले और जैसे ही वे राजपूताना (आज का राजस्थान) पहुँचे, वैसे ही उन्हें औरंगज़ेब की मौत का समाचार मिला।

उधर, औरंगज़ेब की मौत के बाद उसके बेटे मुअज़्ज़म और आजम के बीच उत्तराधिकार को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। इस बीच औरंगज़ेब के बेटे मुअज़्ज़म ने अपने भाइयों के ख़िलाफ़ लड़ाई में गुरु गोबिंद सिंह की मदद माँगी। गुरु गोबिंद सिंह ने इस मौके को लपक लिया और कुलदीपक सिंह के नेतृत्व में मुअज़्ज़म के सहयोग के लिए सिख लड़ाकों का एक जत्था भेजा। यह लड़ाई जून 1707 में आगरा के पास जजाऊ में हुई। इसमें आज़म मारा गया। मुअज़्ज़म मुगलों की गद्दी पर बैठा और उसने अपना नाम बदल कर बादशाह बहादुर शाह रख लिया। अब मुगलों की ओर से फिलहाल कोई खतरा नहीं था।

इधर, अपना सब कुछ खोकर गुरु गोबिंद सिंह ने दक्षिण का रुख किया। वे जीवन के अपने अंतिम पड़ाव में गोदावरी नदी के किनारे बसे शहर नांदेड़ में थे। उन्होंने अपने सुरक्षाकर्मियों को आदेश दिया था कि उनसे मिलने आने वाले किसी भी व्यक्ति को रोका ना जाए। उधर सरहिंद का गर्वनर वजीर खाँ अभी भी गुरु जी के पीछे पड़ा था। उसने अताउल्ला ख़ाँ और जमशेद ख़ाँ को गुरुजी को मारने के लिए भेजा था। 20 सितंबर, 1708 की शाम जब गुरु गोबिंद सिंह प्रार्थना के बाद अपने बिस्तर पर आराम कर रहे थे, उसी समय ये दोनों पठान अंदर तंबू में घुसे और गुरुजी के पेट में छुरा भोंक दिया। हालाँकि, गुरु गोबिंद सिंह ने दोनों को वहीं मार डाला। फिर भी उन्हें गहरा जख्म लगा और आखिरकार इसकी वजह से 6 अक्तूबर 1708 को परलोक सिधार गए।

गुरुजी ने मुगलों तथा उनके सहयोगियों के साथ 14 युद्ध लड़े। उन्होंने कभी अन्याय के आगे सिर नहीं झुकाया और ना ही अपने अनुयायियों को झुकने दिया। उन्होंने सिखों को आत्मसम्मान और निडरता का पाठ पढ़ाया। उनका उद्घोष ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह’ आज भी सिखों में ऊर्जा और निडरता का संचार करता है। उन्होंने धर्म की रक्षा एवं मानवता के लिए उन्होंने अपने पूरे परिवार का बलिदान तक दे दिया। इसके चलते उन्हें ‘सरबंसदानी’ (सर्व वंशदानी) भी कहा जाता है।

स्रोत: गुरु गोबिंद सिंह, सिख धर्म, खालसा पंथ, प्रकाश पर्व, औरंगज़ेब, इतिहास, गुरुग्रंथ साहिब, Guru Gobind Singh, Sikhism, Khalsa Panth, Prakash Parv, Aurangzeb, History, Guru Granth Sahib,
Tags: AurangzebGuru Gobind SinghGuru Granth SahibHistoryKhalsa PanthPrakash ParvSikhismइतिहासऔरंगजेबखालसा पंथगुरु गोबिंद सिंहगुरुग्रंथ साहिबप्रकाश पर्वसिख धर्म
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

‘न हिंदुत्व ना हिंदुस्तान, ये महायुद्ध…’ महाकुम्भ 2025 को लेकर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने फिर दी धमकी , जानें क्या है महाकुम्भ में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

अगली पोस्ट

प्रशांत किशोर को मिली बिना शर्त ज़मानत, अब जेल से आएंगे बाहर; पार्टी बोली-अनशन जारी रहेगा

संबंधित पोस्ट

संजय कपूर की संंपत्ति को लेकर फिर उठा विवाद: करिश्मा कपूर के बच्चों ने मांगा प्रापर्टी में हिस्सा
चर्चित

संजय कपूर की संंपत्ति को लेकर फिर उठा विवाद: करिश्मा कपूर के बच्चों ने मांगा प्रापर्टी में हिस्सा

10 September 2025

बॉलीवुड एक्ट्रेस करिश्मा कपूर के एक्स-हसबैंड और मशहूर बिजनेसमैन संजय कपूर का 12 जून को लंदन में पोलो खेलते समय अचानक निधन हो गया। उनकी...

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व
इतिहास

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और योगी आदित्यनाथ का सक्रिय नेतृत्व

10 September 2025

कानपुर के बाहरी इलाके की गलियों में पुलिस की टुकड़ी एक मिशनरी संगठन के ठिकानों पर पहुंची। गरीब और कमजोर हिंदू परिवारों को झूठे वादों...

नेपाल की गलती: चीन का सहारा, भारत से दूरी और पहचान का संकट
इतिहास

नेपाल की गलती: चीन का सहारा, भारत से दूरी और पहचान का संकट

10 September 2025

काठमांडू की गलियों में जलते टायरों का धुआं अभी तक छंटा नहीं है। संसद भवन की टूटी खिड़कियां और सर्वोच्च न्यायालय के बाहर गुस्साई भीड़...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

‘The Bengal Files’ Exposing Bengal’s Darkest Chapter – What Mamata Won’t Show!

‘The Bengal Files’ Exposing Bengal’s Darkest Chapter – What Mamata Won’t Show!

00:05:37

Why Periyar Is No Hero: The Anti-Hindu Legacy That Stalin & DMK Ecosystem Want You To Forget

00:06:26

Why Hindus Should Reclaim The Forgotten Truth of Onam | Sanatan Roots vs Secular Lies

00:07:03

Suhana Khan in Trouble? Alleged Fake Farmer Claim and the ₹22 Crore Land Deal

00:05:55

IAF’s Arabian Sea Drill: Is it A Routine exercise or Future Warfare Preparation?

00:05:26
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited