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‘साँपों के गाँव’ तक सड़क, LAC के करीब पुल… इंफ़्रास्ट्रक्चर पर मोदी सरकार के वो 10 कार्य, जिन्होंने उड़ा दी चीन की नींद

सीमा पर मोदी सरकार के विकास कार्यों से उड़ी हुई है शी जिनपिंग की नींद

Akash Sharma Nayan द्वारा Akash Sharma Nayan
6 January 2025
in भू-राजनीति, विश्व, साउथ एशिया
नरेंद्र मोदी, शी जिनपिंग

इंफ़्रास्ट्रक्चर पर मोदी सरकार के वो 10 कार्य, जिन्होंने उड़ा दी चीन की नींद

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भारत और चीन के बीच सीमा विवाद आजादी के बाद से ही चला आ रहा है। 1962 के युद्ध के बाद से शांति के लिए दोनों देशों की ओर से कई बार प्रयास किए गए हैं। हालांकि इसके बाद भी कहानी जस की तस ही रही। साल 2020 में पैंगोंग झील के पास दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई झड़प के बाद से भारत-चीन संबंध और भी अधिक खराब हुए हैं। इसके अलावा भारत के करीब आने के लिए चीन तिब्बत समेत अन्य क्षेत्रों में गांव व सैन्य अड्डे स्थापित कर रहा है। भारत चीन सीमा विकास 

इन सबके बीच भारत भी चीन को करारा जवाब देता रहा है। पैंगोंग झील के पास हुई झड़प में भी भारतीय सेना ने चीन 40 जवान मार गिराए थे। इसके अलावा चीनी सीमा के पास भी भारत लगातार विकास करता आ रहा है। इसमें सड़क बनाने से लेकर पुल और सुरंग व अन्य विकास शामिल हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में बीते 10 साल में चीन सीमा पर भारत द्वारा किए गए 10 बड़े विकास कार्यों की सूची आपके लिए लेकर आए हैं।

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1.) सिक्किम में बनाया पुल:

सीमा सड़क संगठन (BRO) ने सिक्किम के मंगन जिले के जीमा में एक नया बेली पुल बनाया है। इससे लाचेन घाटी के साथ ही सड़क मार्ग से चीन सीमा तक पहुंचना आसान हो गया है। मई 2024 में लाचेन चू नदी में आई भारी बाढ़ के चलते बेली पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद सीमा सड़क संगठन ने 24 अगस्त, 2024 से नए बेली पुल का निर्माण शुरू किया और एक महीने से भी कम समय में 16 सितंबर को पुल बनकर तैयार हो गया था।

2.) अरुणाचल में बनी दुनिया की सबसे लंबी दो लेन वाली सुरंग:

चीन के साथ सीमा विवाद में अरुणाचल प्रदेश हमेशा ही बड़ा मुद्दा रहा है। चीनी सीमा तक सेना की आसानी से पहुंच के लिए मोदी सरकार हमेशा ही प्रतिबद्ध रही है। ऐसे में अरुणाचल प्रदेश में अत्याधुनिक सेला सुरंग का निर्माण किया गया है। सेला सुरंग की आधारशिला साल 2019 में प्रधानमंत्री ने मोदी ने ही रखी थी। इसका उद्देश्य अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है।

तवांग अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से 448 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में स्थित है और पूर्वोत्तर में चीनी सीमा के भी करीब है। सेला सुरंग दुनिया की सबसे लंबी दो लेन वाली सुरंग है। यह सुरंग 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसमें दो सुरंगें और एक कनेक्टिंग रोड शामिल है।

3.) अरुणाचल प्रदेश में नेचिपु सुरंग:

सितंबर 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नेचिपु सुरंग का उद्घाटन किया था। नेचिपु सुरंग अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में बालीपारा-चारदुआर-तवांग सड़क पर नेचिपु दर्रे के पास स्थित है।

नेचिपु सुरंग भारतीय सेना के लिए सभी मौसमों में चीन से सटे सीमावर्ती इलाकों में आवाजाही के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सुरंग है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह सुरंग चीन से होने वाले किसी भी खतरे को बेअसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

सीमा सड़क संगठन (BRO) ने चीन सीमा के पास बने बेस की ओर जाने वाले सैन्य वाहनों के लिए यात्रा का समय कम करने के लिए इस सुरंग को बनाया है। मुख्य रूप से इसका उद्देश्य सैन्य वाहनों द्वारा लगने वाले समय और दूरी (करीब 6 किलो मीटर की दूरी और 20 मिनट का समय) को कम करने के लिए किया गया है।

4.) सियोम पुल:

अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग और ऊपरी सियांग जिलों के बीच आलो-यिंगकिओंग रोड पर 100 मीटर लंबा ‘क्लास-70’ स्टील आर्क सुपरस्ट्रक्चर सियोम पुल बनाया गया है। चीन सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए बीआरओ द्वारा पूरी की गई 28 परियोजनाओं में से एक है। सियोम पुल से हजारों सैनिकों समेत, हॉवित्जर जैसे भारी तोप और वाहनों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास पहुंचने में मदद मिलेगी।

5.) 20 किमी लंबा किमिन-पोटिन रोड:

असम के लखीमपुर में साल 2021 में किमिन-पोटिन रोड का उद्घाटन हुआ था। सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा निर्मित डबल-लेन 20 किमी रोड अरुणाचल प्रदेश में प्रस्तावित औद्योगिक बेल्ट के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाली है। साथ ही यह रोड असम से निचले सुबनसिरी जिले के लिए मुख्य धमनी के रूप में भी काम कर रही है।

इस सड़क का उद्घाटन करते समय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, “पूर्वोत्तर का रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्व है, इसका भूगोल बेजोड़ है। ऐसे में यह सड़क विकास के साथ-साथ सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।” चूंकि यह रोड भारत-चीन सीमा के पास स्थित है। ऐसे में यह सैन्य सहायता के लिए भी कारगर साबित होगी।

6.) दापोरिजो नदी पर LAC के करीब बना पुल:

कोरोना काल में जब पूरे देश में लॉक डाउन लगा हुआ था, तब सीमा सड़क संगठन (BRO) अरुणाचल प्रदेश की सुबनसिरी नदी पर दापोरिजो पुल का निर्माण कर रहा था। यह पुल भारत और चीन के बीच LAC के लिए एक बड़ी रणनीतिक कड़ी है। चीन सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों के लिए सभी रसद, राशन, निर्माण सामग्री और दवाइयां इसी पुल से होकर गुज़रती हैं।

पहले इस स्थान पर बने पुल की क्षमता 20 टन के आसपास थी। अब इसे अपग्रेड कर 40 टन तक कर दिया गया है। इस पुल के बनने के बाद से सुबनसिरी जिले के विकास में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

7.) अरुणाचल प्रदेश में बना रबंग पुल:

दिसंबर में सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाए गए अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में रबंग पुल का उद्घाटन हुआ था। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह पुल भारत-चीन सीमा के साथ ही गेलिंग और बिशिंग में चौकियों तक कनेक्टिविटी को बेहतर बनाता है, जिससे सेना को आवाजाही में मदद मिलेगी।

8.) चीन सीमा तक सड़क:

सीमा सड़क संगठन ने मई 2018 में, लाइमकिंग से आगे और तामा चुंग चुंग (टीसीसी)-ताकसिंग तक चीन सीमा तक सड़क संपर्क स्थापित करके इतिहास रच दिया था।80 किलोमीटर की यह सड़क लाइमकिंग से सड़क अब तामा चुंग चुंग को ताक्सिंग से जोड़ती है। यह सड़क इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सेना सीधे चीन सीमा तक आसानी पहुंच सकती है।

9.) चीन सीमा तक बनी डिफेंस रोड:

4 सितंबर 2017 को BRO ने अरुणाचल प्रदेश के कुरुंग कुमे में चीन सीमा तक जाने वाली 71.3 किलोमीटर लंबी डिफेंस ROD का निर्माण पूरा किया । यह सड़क सैन्य गतिविधियों में सहायता करती है और स्थानीय गांवों के सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायता करती है। 

10.) ‘सांपों के गाँव’ तक बनी सड़क:

16 अप्रैल 2016 को, बीआरओ ने प्रोजेक्ट अरुणांक के अंतर्गत अरुणाचल प्रदेश के तामे चुंग चुंग गांव को सड़क से जोड़ दिया। आजादी के बाद पहली बार यह गाँव सड़क से सीधे तौर पर जुड़ा था। अरुणाचल प्रदेश में सुदूर चीन सीमा से बेहद करीब स्थित इस गाँव के हर घर में सांप रहते हैं, इसलिए इसे सांपों का गाँव का भी कहा जाता है।

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