बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सत्ता में आते ही हालात बिगड़ने लगे हैं। अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं, पर हमले बढ़ गए हैं, और कट्टरपंथी ताकतें खुलकर अपनी मंशा जाहिर कर रही हैं। Buddhist Unity Council की रिपोर्ट बताती है कि अगस्त 2024 में 1,769 सांप्रदायिक घटनाएं दर्ज हुईं, लेकिन बांग्लादेशी प्रशासन इसे सिर्फ “राजनीतिक तनाव” बताकर नजरअंदाज कर रहा है। इस अशांति का असर भारत पर भी साफ नजर आ रहा है। बड़ी संख्या में लोग बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे पहले से मौजूद रोहिंग्या घुसपैठ का संकट और गहरा रहा है। इस बढ़ती घुसपैठ पर रोक लगाने और भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मोदी सरकार इस बजट सत्र में ‘इमिग्रेशन और विदेशियों’ विधेयक (Immigration and Foreigners Bill) लाने की तैयारी में है। इससे अवैध घुसपैठियों पर सख्ती से कार्रवाई की जा सकेगी और देश की संप्रभुता को सुरक्षित रखा जाएगा।
मोदी सरकार लाएगी ‘इमिग्रेशन और विदेशियों’ विधेयक
मोदी सरकार आगामी बजट सत्र में 62 नए विधेयकों को पेश करने की तैयारी में है, जिनमें से सबसे अहम ‘इमिग्रेशन और विदेशियों’ विधेयक माना जा रहा है। इसके अलावा, आधिकारिक गोपनीयता विधेयक, PMLA संशोधन विधेयक, संसद (अयोग्यता निवारण) विधेयक, बैंकिंग और बीमा से जुड़े संशोधन, अनिवासी भारतीय (NRI) विवाह पंजीकरण विधेयक और उच्च शिक्षा आयोग विधेयक भी इस सूची में शामिल हैं।
सूत्रों की मानें तो ‘इमिग्रेशन और विदेशियों’ विधेयक सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। हालांकि, इसके प्रावधान फिलहाल सार्वजनिक नहीं किए गए हैं और कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही पूरी जानकारी सामने आएगी। भारत में विदेशी नागरिकों के प्रवेश, निवास और निर्वासन को नियंत्रित करने के लिए कई पुराने कानून मौजूद हैं, जैसे विदेशी अधिनियम, 1946, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 और विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939।
इसके अलावा, ग्रामीण विकास मंत्रालय के ‘पंजीकरण संशोधन विधेयक 2013’ और नौवहन मंत्रालय से जुड़े तीन विधेयकों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। पंजीकरण संशोधन विधेयक में सभी अचल संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य करने का प्रस्ताव है, चाहे लीज की अवधि कितनी भी हो।
अवैध घुसपैठ और जनसांख्यिकीय असंतुलन को रोकने के लिए यह विधेयक बेहद अहम माना जा रहा है। विशेष रूप से रोहिंग्या और अन्य अवैध घुसपैठियों पर कड़ी कार्रवाई के लिए यह एक मजबूत कानून साबित हो सकता है। यह कदम भारत की सुरक्षा को मजबूत करने और देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए मोदी सरकार का बड़ा प्रयास है।