पूरी दुनिया इस्लामिक आतंकियों और कट्टरपंथियों से त्रस्त चल रही है। जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने, ‘सर तन से जुदा’ की धमकियों से लेकर हत्या करने तक कट्टरपंथियों के कई चेहरे हैं। सच जानने के बाद भी ज्यादातर इस्लामवादी खुलकर कट्टरपंथियों के खिलाफ बोलने तक से डरते रहे हैं। हालांकि इसके बाद भी कुछ मौलानाओं और इस्लामवादियों ने कट्टरपंथ के खिलाफ बोलने की हिम्मत दिखाई है। मुस्लिम कट्टरपंथियों
1.) पाकिस्तानी मौलाना ने किया नूपुर शर्मा का समर्थन:
पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी को लेकर जब भारत समेत दुनिया भर के इस्लामवादी नूपुर शर्मा का विरोध कर रहे थे और उन्हें जान से मारने की धमकियां दी जा रही थीं। तब भारत का कोई भी मौलाना नूपुर शर्मा का समर्थन करने सामने नहीं आया था। यहां तक कि नूपुर शर्मा का समर्थन करने के चलते लोगों की हत्या तक हो रही थी, तब भी किसी मौलाना ने इसके खिलाफ एक भी शब्द बोलने की हिम्मत नहीं दिखाई थी।
हालांकि पाकिस्तानी मौलाना इंजीनियर मोहम्मद अली ने खुलकर नूपुर शर्मा का समर्थन किया था। मोहम्मद अली ने कहा था कि मुस्लिम पैनलिस्ट ने पहले नूपुर शर्मा को भड़काया था। इसके जवाब में नूपुर शर्मा ने पैगंबर को लेकर टिप्पणी की थी। पाकिस्तानी मौलाना ने कहा था कि पहला मुजरिम वह मुस्लिम है जिसने लाइव टीवी में किसी के धर्म के बारे में बात की। मौलाना ने यह भी कहा था कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, उन्हें नूपुर शर्मा के बयान को देखने से यह पता चल जाएगा कि उनके धर्म को लेकर कुछ बोला गया था तो वह भी सिर्फ पलटवार कर रही थीं।
2.) बांग्लादेशी लेखिका ने इस्लाम को शांतिपूर्ण कहने पर उठाए सवाल:
बांग्लादेश से निर्वासन झेल रहीं लेखिका तस्लीमा नसरीन इस्लामिक कट्टरपंथियों पर लगातार हमलवार रही हैं। महिलाओं के उत्पीड़न और इस्लाम से जुड़ी कुछ सच्चाइयों को अपनी किताब में लिखने के कारण ही उन्हें बांग्लादेश से बाहर किया गया है। साथ ही कट्टरपंथी उन्हें जान से मारने की धमकी भी देते रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी तस्लीमा नसरीन इस्लाम को लेकर अपनी राय रखती रहीं हैं।
1 जुलाई 2016 को बंगलदेश की राजधानी ढाका में हुए हमले के बाद तस्लीमा ने 3 जुलाई, 2016 को एक्स पर एक पोस्ट कर कहा था, “मानवता की खातिर कृपया यह मत कहिए कि इस्लाम शांति का मजहब है। यह सब अब और नहीं।”
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा था, “ढाका में हमला करने वाले सभी आतंकी अमीर घरों से थे, उनकी पढ़ाई अच्छी स्कूलों में हुई थी। इसलिए यह कहना बंद करें कि गरीबी और अशिक्षा लोगों को इस्लामी आतंकवादी बनाती है।” इसके अलावा भी तस्लीमा नसरीन इस्लामिक आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ लगातार बोलती रही हैं।
सितंबर 2024 में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था, “80 के दशक तक मजहब की उतनी चर्च नहीं होती थी, मस्जिद में सिर्फ बड़े-बूढे जाते थे। अब तो बच्चे, युवा सब जा रहे हैं। रोड ब्लॉक कर नमाज पढ़ रहे है। पहले लोग कट्टरपंथी बनते हैं, फिर आतंकवाद शुरू होता है। एक दिन में कोई आतंकवादी नहीं बनता। लंबे समय तक इस्लामी ब्रेनवॉश होता है।”
3.) डॉ. वफ़ा सुल्तान ने की इस्लामी आतंकवाद की आलोचना:
अरब-अमेरिकी मनोचिकित्सक और इस्लामी स्कॉलर डॉ. वफ़ा सुल्तान ने 15 जुलाई 2024 को अमेरिका में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस्लामी आतंकवाद की आलोचना की थी। उन्होंने कट्टरपंथी इस्लामवादियों पर इस्लाम को मजहब के तौर में नहीं , बल्कि आतंक के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।
डॉक्टर वफा सुल्तान ने वही सच्चाई उजागर की है जो पूरी दुनिया को पता है।
बात अमेरिका के लिए कह रही हैं लेकिन लागू सभी गैर मुस्लिम देशों के लोगों के लिए होता है।
ये सभी देश गहरी नींद में सो रहे हैं। जब जागेंगे तो सब कुछ उजड़ चुका होगा।
ये इस्लाम को धर्म के लिए नहीं, हथियार के तौर… pic.twitter.com/SewIZ5zsEj
— P.N.Rai (@PNRai1) July 15, 2024
डॉ. सुल्तान ने इस बात पर जोर दिया कि ये कट्टरपंथी डर फैलाते हैं, लोकतांत्रिक सरकारों को हटाते हैं और जबरन धर्मांतरण करवाते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि लाखों कट्टरपंथी मरने के लिए तैयार हैं, इससे दुनियाभर में इस्लामी कट्टरपंथ को लेकर डर बढ़ता जा रहा है।
4.) आरिफ मोहम्मद खान ने शरिया कानून पर सवाल उठाए
नूपुर शर्मा का समर्थन करने को लेकर उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या के बाद बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने 4 जुलाई 2022 को एक इंटरव्यू में इस्लामिक कट्टरपंथ की आलोचना की थी। इस दौरान उन्होंने कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने में मदरसों की भूमिका पर भी चिंता जताई थी।
साथ ही शरिया कानून को लेकर भी कई तरह के सवाल उठाए थे। ‘सर तन से जुदा’ नारे का जिक्र करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि शरिया की वकालत करने वालों को उन देशों में चले जाना चाहिए जहां शरिया पहले से ही लागू है।
5.) पाकिस्तानी इस्लामी स्कॉलर ने की मदरसा की आलोचना:
पाकिस्तानी के इस्लामी स्कॉलर जावेद अहमद ग़ामिदी ने 3 सितंबर 2024 को एक इंटरव्यू के दौरान आतंकवाद की जड़ों को लेकर अपनी राय व्यक्त की थी। जावेद ने कहा था कि आतंकवाद की जड़ मदरसों और कुछ मौलानाओं द्वारा दी जा रही तालीमों में है। कुछ मौलाना कट्टरपंथी विचारधारा का समर्थन करते हैं।
ग़ामिदी ने इस्लाम की विवादास्पद मान्यताओं का जिक्र करते हुए था, “लोगों को बताया जाता है कि अगर कोई इस्लाम छोड़ देता है तो उसकी सजा मौत है और सज़ा देने का हक हमें है। दुनिया में राज करने का हक सिर्फ मुस्लिमों को मिला है। गैर मुस्लिमों की हुकूमत नाजायज़ है। जब हमे ताकत मिलेगी, पलट देगें। दुनिया में सिर्फ एक ही हुकूमत होनी चाहिए, वह है खिलाफत की हुकूमत । नेशनलिस्ट सरकारें कुफ्र हैं, इस्लाम में इसकी इजाजत नहीं है।”
6.) मौलाना ने की शिया मुस्लिमों पर हमले की निंदा:
पाकिस्तान के खुर्रम में हुए आतंकवादी हमले में 100 शिया मुसलमानों की मौत के बाद ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने 21 नवंबर 2024 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हिंसा की निंदा की थी। अब्बास ने इस घटना को मानवता पर हमला बताया और इस्लामिक आतंकवाद की विश्व स्तर पर निंदा करने का आग्रह किया था। उन्होंने सऊदी अरब के पेट्रो डॉलर से आतंकवाद को मिल रहे समर्थन की भी आलोचना की थी। साथ ही इस्लाम के नाम पर हिंसा को जायज ठहराने वाले आतंकवादियों को ‘मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन’ बताया था,
7.) सऊदी अरब के मौलवी ने की इस्लामिक कट्टरपंथ की आलोचना:
सऊदी अरब के मौलवी और इस्लामी स्कॉलर शेख असिम अल-हकीम ने 19 अक्टूबर 2024 को इस्लामी कट्टरपंथ की आलोचना की थी। साथ ही उन्होंने स्वीकार किया था कि हिंसा की योजना बनाने के लिए मस्जिदों का इस्तेमाल होता है। मौलवी ने कहा था, “इस्लाम में, मस्जिदें गैर-मुसलमानों के खिलाफ युद्ध की योजना बनाने और हिंसा करने का स्थान बन गई हैं।”
“इस्लाम में, मस्जिदें गैर-मुसलमानों के खिलाफ युद्ध की योजना बनाने और शुरू करने के लिए हैं”
– इस्लामिक विद्वान, शेख असीम अल-हकीम pic.twitter.com/5rMLK3rLqe
— Dr. Anita Vladivoski (@anitavladivoski) October 19, 2024
8.) मौलानाओं ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की निंदा की:
9 दिसंबर 2024 को बिहार के किशनगंज में स्थित जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की निंदा की थी। साथ ही इस प्रकार की घटनाओं को इस्लाम विरोधी बताया था। इस दौरान एक अन्य मौलाना महमूद सैयद असद मदनी ने भी हिंसक घटनाओं को गलत बताते हुए शांति बरतने का आग्रह किया था।
9.) मोहसिन रजा ने ‘न्यू ईयर’ के खिलाफ फतवे की आलोचना की:
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मुस्लिमों को ‘न्यू ईयर’ मनाने से रोकने के लिए फतवा जारी किया था। इस्लामिक स्कॉलर मोहसिन रजा ने 30 दिसंबर, 2024 को इस फतवे की आलोचना करते हुए इसे कट्टरपंथी सोच बताया था। साथ ही कहा था कि इस तरह की हरकतें एकता को नुकसान पहुंचाती हैं। उन्होंने लोगों से ऐसे चरमपंथियों से दूरी बनाए रखने का आग्रह किया था। इतना ही नहीं, देश की एजेंसियों से राष्ट्रीय सद्भाव और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्तियों पर नज़र रखने का भी आग्रह किया था।
10.) गिलानी ने की कट्टरपंथी मुस्लिमों की निंदा:
इस्लामिक स्कॉलर और हिमाचल प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण परिषद के प्रदेश अध्यक्ष एसएनए गिलानी ने 31 दिसंबर 2024 को मीडिया से बात करते हुए प्रदेश में इस्लामी कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव की निंदा की थी। इस दौरान उन्होंने कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा फैलाए जा रहे आतंक पर भी चिंता व्यक्त की थी। इतना ही नहीं, गिलानी ने कट्टरपंथियों पर हिंदू महिलाओं को जबरन धर्मांतरित करने और राज्य से बाहर ले जाने का आरोप लगाया था।
Respected Himachal Pradesh Islamic scholar SNA Gilani:
Radical muslims from outside have become nuisances in HP. Hindu women are being converted and taken outside. Famous Jama Masjid Dharampur has become den of terrorists. They pose threat to defence establishments near it! pic.twitter.com/ZFVDBOM9Xu
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) January 1, 2025
इस दौरान गिलानी ने दावा किया कि कट्टरपंथी मुस्लिम हजारों हिंदू महिलाओं को अपने साथ दूसरे राज्यों में ले गए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित धरमपुर जामिया मस्जिद को राज्य में हो रही सभी हिंदू विरोधी गतिविधियों का मुख्यालय भी बताया। मुस्लिम कट्टरपंथियों मुस्लिम कट्टरपंथियों मुस्लिम कट्टरपंथियों मुस्लिम कट्टरपंथियों मुस्लिम कट्टरपंथियों मुस्लिम कट्टरपंथियों मुस्लिम कट्टरपंथियों