बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर बीते 2 जनवरी से पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन कर रहे जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को सोमवार तड़के करीब 4 बजे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने बताया है कि प्रशांत और उनके समर्थक गांधी मैदान पर धरना दे रहे थे और उन्हें इसकी इजाज़त नहीं थी इसलिए प्रशांत किशोर को गिरफ्तार किया गया है। जन सुराज ने ‘X’ पर पोस्ट कर दावा किया है कि प्रशासन-पुलिस ने पहले तो एम्स ले जाकर प्रशांत का अनशन तुड़वाने की कोशिश की लेकिन जब प्रशासन इसमें सफल नहीं हो सका तो उन्हें अज्ञात जगह ले जाने की कोशिश की गई। कुछ देर बाद जन सुराज ने एक और पोस्ट कर बताया कि पुलिस कई घंटे से प्रशांत किशोर को लेकर घूम रही है उन्हें, थाने नहीं ले जाया गया है।
वहीं, प्रशांत को पुलिस ने पटना के सिविल कोर्ट में पेश किया जहां कोर्ट ने उन्हें ज़मानत 25,000 रुपए के निजी मुचलके पर ज़मानत देने को कहा है। कोर्ट ने इस शर्त के साथ प्रशांत को ज़मानत देने की बात कही थी कि वे आगे से कोई धरना प्रदर्शन नहीं करेंगे। हालांकि, प्रशांत ने बेल बॉन्ड भरने से मना कर दिया है और उनका कहना है कि वे बिना किसी शर्त के बेल चाहते हैं।
क्या है मामला?
13 दिसंबर को BPSC की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा हुई थी और पटना के बापू परीक्षा परिसर में अभ्यर्थियों ने प्रश्न पत्र लेट मिलने, क्वेश्चन पेपर कटे-फटे मिलने और पेपर की सील टूटी होने के आरोप लगाए थे जिसे लेकर लगातार हंगामा शुरू हुआ था। अभ्यर्थियों ने पेपर लीक होने का दावा कर फिर से पूरी परीक्षा कराए जाने की मांग की थी। छात्रों के आंदोलन के बीच आयोग ने बापू सेंटर पर हुई परीक्षा को रद्द कर फिर से कराने का फैसला लिया लेकिन छात्र पूरी परीक्षा फिर से कराने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन करते रहे। छात्रों के प्रदर्शन के दौरान बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, पप्पू यादव और प्रशांत किशोर समेत विपक्ष के कई नेता भी इन छात्रों के समर्थन में आ गए। प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर कई बार लाठीचार्ज किया गया और इसके बाद खान सर समेत कई अन्य लोग भी इनके समर्थन में आए। 29 दिसंबर को गांधी मैदान पर छात्र एक बार फिर जुटे और उन्होंने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और इसके बाद 2 जनवरी से प्रशांत किशोर गांधी मैदान में धरने पर बैठे थे।
क्या है थप्पड़ मारे जाने का सच?
प्रशांत को जब सोमवार सुबह गिरफ्तार किया तो पुलिस ने उन्हें उठाने में ज़ोर-ज़बरदस्ती भी की और इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ और दावा किया गया कि प्रशांत को पुलिस ने थप्पड़ मार दिया है। हालांकि, वीडियो की पड़ताल करने पर नज़र आया कि पुलिस ने दरअसल प्रशांत को थप्पड़ नहीं मारा है। जब पुलिस ज़ोर-ज़बरदस्ती कर प्रशांत को उठा रही थी तो उनके साथ बैठे लोगों ने प्रशांत को बचाने की जद्दोजहद की और इसी बीच उनके साथ बैठे एक कार्यकर्ता ने पीछे से आकर प्रशांत को पकड़ लिया। पुलिस ने कार्यकर्ता को हटाने के लिए उसके सिर पर थप्पड़ मारा। इस बीच प्रशांत ने उसे बचाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया जिससे लोगों को भ्रम हुआ कि पुलिस ने थप्पड़ प्रशांत किशोर को मारा था।