उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सोमवार (13 जनवरी) से शुरु हुए महाकुंभ में 14 जनवरी को मकर संक्रति पर पहला अमृत स्नान सुबह 6 बजे से शुरू हो गया है। संन्यासियों और श्रद्धालुओं के जत्थे हाथों में त्रिशूल और डमरू लिए हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए गंगा में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, आस्था के इस महाकुंभ में 14 जनवरी को दोपहर 2 बजे तक करीब 2 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं। पहले दिन भी करीब 1 करोड़ लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई थी। 144 वर्षों बाद आयोजित किया जा रहा यह महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा और इसमें करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। आस्था के इस महापर्व से आर्थिक मोर्चे पर भी बड़ा फायदा होने का अनुमान है।
धार्मिक आयोजन आर्थिक गतिविधियों को भी बड़ा केंद्र रहे हैं और दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ से भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने का अनुमान है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस महाकुंभ से 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने का अनुमान है और इससे नॉमिनल और रियल जीडीपी दोनों में 1% से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है। सरकारी अनुमानों के मुताबिक, अगर 40 करोड़ श्रद्धालुओं में से प्रत्येक औसतन 5,000 रुपए खर्च करता है, तो महाकुंभ से 2 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हो सकता है। उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रति व्यक्ति औसत व्यय 10,000 रुपए तक बढ़ सकता है, जिससे कुल व्यापार बढ़कर 4 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) से लेकर फार्मास्युटिकल सेक्टर तक ने अपने मार्केटिंग बजट में कटौती की है और इसे महाकुंभ के लिए इस्तेमाल होने का अनुमान है। एक अनुमान के मुताबिक, महाकुंभ में ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर 3,000 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च हो सकता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश अवस्थी के अनुसार, इस मेले में सरकार का करीब 16,000 करोड़ रुपये निवेश होगा और इसके बदले सरकार को केवल जीएसटी से 50,000 करोड़ रुपये की कमाई की उम्मीद है।
साथ ही, आयकर और अन्य अप्रत्यक्ष करों को मिलाकर महाकुंभ से सरकार का कुल राजस्व 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। आस्था का महाकुंभ अर्थव्यवस्था के लिए भी वरदान की तरह है हज़ारों छोटे-बड़े व्यवसायों पर इसका सकारात्मक असर लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करेगा। अयोध्या, मथुरा और काशी जैसी नगरियों में तीर्थाटन के चलते बड़ा आर्थिक प्रभाव पड़ रहा है।