अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन () ने पद छोड़ने और डोनाल्ड ट्रंप के प्रेसीडेंट के रूप में पदभार ग्रहण करने से कुछ दिन पहले शनिवार (4 जनवरी 2025) को विवादित उद्योगपति जॉर्ज सोरोस को देश का सर्वोच्च सम्मान दे दिया। व्हाइट हाउस में आयोजित समारोह में 19 लोगों को अमेरिका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ़्रीडम’ से सम्मानित किया। इनमें से एक 94 वर्षीय प्रमुख कारोबारी जॉर्ज सोरोस भी एक हैं। हालाँकि, यह सम्मान लेने के लिए जॉर्ज सोरोस खुद नहीं आए थे। उनकी जगह उनके बेटे एलेक्स सोरोस ने उनके लिए यह सम्मान ग्रहण किया। हालाँकि, जॉर्ज सोरोस ने अपने बयान में इस पुरुस्कार के लिए जो बाइडन सरकार का आभार जताया। जॉर्ज सोरोस को अमेरिका का सर्वोच्च सम्मान देने पर विवाद हो गया है। बाइडन सरकार की इस कदम का ट्रंप के MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) समर्थकों और रिपब्लिकन नेताओं ने जमकर आलोचना की है।
व्हाइट हाउस की विज्ञप्ति में कहा गया है कि जॉर्ज सोरोस को दिया गया ‘मेडल ऑफ फ़्रीडम’ दुनिया में समानता और न्याय को बढ़ावा देने के लिए उनके परोपकारी कार्यों के लिए एक सम्मान है। इसमें कहा गया है, “हंगरी में एक यहूदी परिवार में जन्मे जॉर्ज सोरोस नाज़ी कब्जे से बचकर अपने और दुनिया भर के अनगिनत लोगों के लिए आज़ादी की ज़िंदगी बनाने अमेरिका आए थे। इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे अमेरिका में बस गए। वे एक निवेशक और परोपकारी व्यक्ति बन गए, जिन्होंने खुले समाज, मानवाधिकार और न्याय, समानता, वर्तमान और भविष्य में स्वतंत्रता के प्रमुख स्तंभों का समर्थन किया।”
सोरोस को पुरस्कृत करने के निर्णय की आलोचना करते हुए जीओपी नेता निक्की हेली ने कहा, “जॉर्ज सोरोस को राष्ट्रपति पदक देना, हत्यारों की सजा कम करने और उनके बेटे को माफ़ करने के बाद अमेरिका के चेहरे पर एक और तमाचा है।” वहीं, टेस्ला एवं स्पेस एक्स के संस्थापक तथा डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगी एलन मस्क ने सोरोस को यह सम्मान देने को ‘हास्यास्पद’ बताया। मस्क ने कहा कि सोरोस ‘मानवता से नफरत करने वाले शख्त हैं’। उन्होंने कहा, “वह ऐसी चीज़ें कर रहे हैं जो सभ्यता के ताने-बाने को नष्ट कर रही हैं।” वे क्लिप में कहते हैं। इतना ही नहीं, कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी सोरोस को सर्वोच्च सम्मान दिए जाने पर अपना गुस्सा जाहिर किया। ऑनलाइन टिप्पणीकार ब्लेक हैबियन ने लिखा, “क्या मज़ाक़ है- इन लोगों ने पुरस्कार के उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत काम किया है।” नताली एफ. डेनलीशन ने लिखा कि पृथ्वी पर सबसे बुरे लोगों में से दो को यह पुरस्कार दिया गया है। बता दें कि जॉर्ज सोरोस के अलावा हिलेरी क्लिंटन को भी यह पुरस्कार दिए जाने की आलोचना हो रही है।
सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन नाम का एक गैर-लाभकारी संगठन चलाते हैं, जो दुनिया भर में राष्ट्रवादी एवं आतंकवाद से लड़ने वाली स्थिर सरकारों को अस्थिर करने के लिए फंडिंग करता है। यह सब कुछ लोकतंत्र बचाने और मानवाधिकार की रक्षा करने एवं सामाजिक न्याय को मजबूत करने की आड़ में करते हैं। उनका यह संगठन कई बार विवादों में आ चुका है। वे बाइडन के राजनीतिक दल डेमोक्रेट को सबसे अधिक दान करते हैं। इसकी वेबसाइट के अनुसार, सोरोस ने 1984 से ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को $32 बिलियन से अधिक का दान दिया है।
कौन हैं जॉर्ज सोरोस?
जॉर्ज सोरोस एक विवादास्पद अमेरिकी अरबपति हैं। वे आमतौर पर कानून का अपने तरीके से इस्तेमाल करके लाभ कमाते हैं। खासकर वे स्टॉक मार्केट में निवेश एवं शॉर्ट सेलिंग करके लाभ कमाते हैं। इसके लिए ज़रूरत पड़ती है तो वे किसी कंपनी के बारे में नाकरात्मक खबरें भी प्रसारित करवाते हैं और जब कंपनी के शेयर प्राइस गिरने लगते हैं तो वे इसे शॉर्ट (पहले बेचना और फिर बिक्री से कम रेट पर खरीदना) करके भारी मुनाफा कमाते हैं। इसके अलावा, भी वे कई राजनीतिक दलों को फंडिंग करके अलग-अलग तरीके से फायदा उठाते हैं।
जॉर्ज सोरोस का जन्म 1930 में यूरोपीय देश हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में एक यहूदी परिवार में हुआ था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब नाजियों द्वारा यहूदियों पर अत्याचार किए जा रहे थे, तब उन्होंने भागकर परिवार सहित अपनी जान बचाई थी। उन्होंने गलत पहचान पत्र बनवाया था। सन 1947 में वे इंग्लैंड की राजधानी लंदन चले गए। वहाँ उन्होंने रेलवे स्टेशन पर कुली काम किया। इस दौरान वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की। खर्चे के लिए वे वेटर का काम करते रहे। डिग्री मिलने के बाद वे कुछ समय तक लंदन मर्चेंट बैंक में भी काम किया।
साल 1956 में वे अमेरिका आ गए। यहाँ उन्होंने खूब कमाई की। सन 1973 में उन्होंने सोरोस फंड मैनेजमेंट की स्थापना की। अत्याचार पीड़ितों की मदद के नाम पर वे ब्लैक लोगों की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप देने लगे। सन 1984 में उन्होंने ओपन सोसायटी नामक संस्था की स्थापना की। आज यह संस्था 70 से अधिक देशों में कार्यरत है। साल 17 फरवरी 2023 तक उनके पास 6.7 बिलियन डॉलर (लगभग 55,455 करोड़ रुपए) की संपत्ति है।
आत्महत्या में की माँ की मदद, कई देश किए बर्बाद
हालाँकि, मानवीय सेवा, मानवाधिकार, लोकतंत्र की रक्षा, पीड़ितों की सहायता आदि ये सब उनके ढकोसला हैं। यह उनका ऊपरी चेहरा है, जहाँ सिर्फ अच्छाइयों का चोला है। इसके पीछे उनका एक विकृत चेहरा है। उनका चेहरा कितना विकृत है इसकी अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने साल 1994 में कहा था कि उन्होंने अपनी माँ को आत्महत्या करने में मदद की थी। जिसने अपनी माँ का ख्याल नहीं रखा, वो देश-दुनिया के लोगों का क्या रखेगा। सोरोस ने लाभ कमाने के लिए कई देशों की संस्थानों को बर्बाद कर दिया। इसके कारण उन देशों में वित्तीय संकट खड़ा हो गया। उन्हें वित्तीय युद्ध अपराधी तक कहा गया। यहाँ तक की अपने अपने प्रोपगेंडा से कई देशों की सरकारों को मुश्किल में डाल दिया। इन सब कामों के उन्होंने अथाह फंडिंग की।
जॉर्ज सोरोस ने अपने फायदे के लिए यूनाइटेड किंगडम के केंद्रीय बैंक ‘बैंक ऑफ इंग्लैंड’ तक को बर्बाद कर दिया। हेज फंड मैनेजर के रूप में जॉर्ज सोरोस ने साजिशें रचीं और ब्रिटेन की मुद्रा पाउंड की वैल्यू को ही गिरा दिया था। इससे उन्होंने लगभग 1 बिलियन डॉलर यानी करीब 8277 करोड़ रुपए कमाए थे।
इसी तरह का काम उन्होने साल 1997 में थाईलैंड में किया। थाईलैंड की मुद्रा बाहत पर सट्टेबाजी की थी, जिसके कारण बाहत का वैल्यू गिरता चला गया। इसके कारण उस साल एशिया के अधिकांश देशों में वित्तीय संकट छा गया था। मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहम्मद ने भी वहाँ की मुद्रा रिंगित की गिरावट के लिए सोरोस को जिम्मेदार ठहराया था।
नैतिकता की अब बात करने वाले जॉर्ज सोरोस ने साल 2002 में अनैतिक तरीके से फ्रांस में पैसा कमाया था। फ्रांस की अदालत ने उन्हें अधिकृत ट्रेडिंग का दोषी पाते हुए 23 लाख अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया था। उन्होंने खेलों को भी अपने सटोरेबाजी में नहीं छोड़ा। अमेरिका में बेसबॉल खेलों में पैसा लगाकर सोरोस ने अनैतिक तरीके से लाभ कमाया था। इसी तरह इटली की फुटबॉल टीम एएस रोमा को लेकर भी सोरोस विवादों में आए थे।
अमेरिका तक को नहीं छोड़ा
ऐसा नहीं जॉर्ज सोरोस ने अपने निजी लाभ के लिए दुनिया भर के देशों में वित्तीय गड़बड़ी और अपने देश अमेरिका को छोड़ दिया। जिस देश ने उन्हें बुलंदियों पर पहुँचाया था, सोरोस ने उसे भी नहीं बख्शा। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को हटाने के लिए सोरोस ने अपनी तिजोरी खोल दी थी। उन्होंने अथाह धन खर्च किया था। बुश को हराने के लिए उन्होंने 250 करोड़ रुपए से ज़्यादा खर्च किए थे। इस बात का खुलासा सोरोस ने खुद किया था। साल 2003 में सोरोस ने कहा था कि जॉर्ज डब्ल्यू बुश को हटाना उनके लिए ‘जिंदगी और मौत का सवाल’ था। उन्होंने कहा था कि अगर बुश को सत्ता से हटाने की अगर कोई गारंटी लेता तो वे अपनी पूरी संपत्ति उस पर लुटाने को तैयार थे। दरअसल, बुश आतंकवाद के खिलाफ तगड़ा ऐक्शन लिया था और जॉर्ज सोरोस ने इसका जमकर विरोध किया था।
जॉर्ज सोरोस ने डोनाल्ड ट्रंप को हराने के लिए भी उन्होंने जमकर पैसे उड़ाए। वे डोनाल्ड ट्रंप को ठग कहते हैं। वे सिर्फ ट्रंप का ही नहीं, बल्कि रूस में व्लादिमीर पुतिन और भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करते रहे हैं। वे पीएम मोदी को तानाशाह कहते हैं। इतना ही नहीं, पीएम मोदी को क्रोनी कैपिटलिज्म को बढ़ावा देने वाला नेता बताते हैं। उन्हें राष्ट्रवाद पसंद नहीं है। राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए उन्होंने 100 अरब डॉलर की फंड की स्थापना की है। इसका इस्तेमाल प्रोपगेंडा फैलाने के लिए किया जाता है।
अभी हाल में केंद्रीय मंत्री स्मृति ने आरोप लगाया था कि राहुल गाँधी अमेरिका गए थे और जॉर्ज सोरोस की एक महिला प्रतिनिधि से मिले थे। स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया था कि जून 2023 में राहुल गाँधी की अमेरिका यात्रा के सुनीता विश्वनाथ नाम की एक महिला साथ ही। वह जॉर्ज सोरोस के लिए काम करती है। जॉर्ज सोरोस ने विभिन्न माध्यमों से भारत की मोदी सरकार के खिलाफ प्रोपगेंडा खोल रखा है। समय-समय पर सरकार को बदनाम करने के लिए उन्होंने कई तरह के काम किए।
पिछले साल दिसंबर में सत्ताधारी भाजपा ने सोनिया गाँधी पर जॉर्ज सोरोस से संबंध रखने का आरोप लगाय था। भाजपा ने कहा था कि सोनिया गाँधी का संबंध ‘फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक’ (FDL-AP) से है। जॉर्ज सोरोस ओपन सोर्स फाउंडेशन इस संस्था को वित्तीय मदद देता है। उस समय यह भी आरोप लगाया गया कि FDL-AP कश्मीर को भारत से अलग करने की वकालत करता है।
भारत सरकार के खिलाफ प्रोपगेंडा
राफेल डील में जाँच के लिए फंडिंग: भारत द्वारा फ्रांस से खरीदे गए 36 राफेल विमानों में घोटाले का आरोप लगाकार राहुल गाँधी ने हंगामा किया था। सुप्रीम कोर्ट ने जब इन आरोपों को खारिज कर दिया तो इस मामले को फ्रांस में उठाया गया। फ्रांस की एनजीओ शेरपा एसोसिएशन ने इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जाँच की माँग की थी। इस एनजीओ को जॉर्ज सोरोस की ‘ओपन सोसाइटी फाउंडेशन’ से फंड मिलता है।
भारत जोड़ो यात्रा और सोरोस: कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने जब भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी तो उसमें जॉर्ज सोरोस से जुड़ा एक शख्स भी शामिल हुआ था। 31 अक्टूबर 2022 को राहुल गाँधी की यात्रा में सलिल शेट्टी नाम का शख्स शामिल हुआ था। उस समय यह यात्रा कर्नाटक के हरथिकोट में चल रही थी। सलिल शेट्टी को जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन का वैश्विक उपाध्यक्ष बताया जाता है।
कश्मीर से धारा 370 का खात्मा: जब मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किया था तो जॉर्ज सोरोस ने इस फैसले का विरोध किया था। सोरोस ने कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है।