गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों को एलान किया है। केंद्र सरकार ने राजस्थान के नागौर की रहने वाली बतूल बेगम (Batool Begum) को पद्मश्री दिए जाने का एलान किया है। बतूल बेगम को 8 वर्ष की उम्र से ही केराप गांव के ठाकुर जी के मंदिर में भजन गायकी का शौक लगा गया था और वे पूरा जीवन इसी में रमी रहीं। बतूल बेगम मांड और फाग गायकी की के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। समाज में हाशिए पर रहे मिरासी समुदाय से आने वालीं बतूल बेगम राजस्थान की एकमात्र महिला हैं जिन्होंने पेरिस के प्रतिष्ठित टाउन हॉल में अपनी गायिका का प्रदर्शन किया है।
कठिनाई में बीता बचपन
बेगम बतूल की ज़िंदगी संघर्षों से भरी रह हैं पांचवी कक्षा में ही उनकी पढ़ाई छूट गई थी लेकिन उन्होंने हालातों से कभी हार नहीं मानी है। बतूल की शादी 16 साल की उम्र में उनकी शादी फिरोज खान से हुई थी जो रोडवेज बस में कंडक्टर थे। शादी के बाद भी उनके जीवन में कई तकलीफें आईं लेकिन उन्हें उनके आगे कभी हार नहीं मानी। बेगम बतूल ने मांड और फाग गायकी को अपनाया और इसे अपनी पहचान बना लिया था।
आज वह फाग गायकी का एक बड़ा नाम हैं। उनकी आवाज ने न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में मांड और फाग संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उनकी गायकी की खासियत यह है कि उनकी आवाज जितनी प्रभावशाली मांड गायकी में है, उतनी ही असरदार फाग गायकी में भी। बिना माइक के तबला और हारमोनियम के साथ फाल्गुन के लोक गीतों को गाने की उनकी कला दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। उनके पति फिरोज ने एक बातचीत में बताया था, “बतूल की शादी के बाद हम मेहनत मज़दूरी कर गुजारा करते थे। छत टपकती थी लेकिन बतूल उन दिनों में भी गाना नहीं भूलती थीं।”
‘गायिकी मेरी पूजा है’
बतूल को अपनी गायिकी से इतना प्यार है कि वे इसे पूजा के समान मानती हैं। बतूल ने कहा था, “मुझे भले कई दिन तक खाने को नहीं दो, पर गाने से मना कभी नहीं करना। यही मेरी पूजा है, इसी से मुझे ऊर्जा मिलती है।” कठिनाइयों से जीवन गुज़ारने के बावजूद उन्हें कभी जीवन से शिकायत नहीं रही। वे बताती हैं कि पानी के लिए उन्हें मीलों दूर पैदल जाना होता था और खेती-मज़दूरी के अलावा कोई काम नहीं था। इसके बाद जब उन्हें घर के काम से फुर्सत मिलती थीं तो वे कभी गांव के मंदिर और कभी कभी शादी-ब्याह के कार्यक्रम में जाकर गाना-बजाना करती थी। भजन गायिकी भी उनकी दिनचर्या में हमेशा शामिल रही है।
55 से ज़्यादा देशों में दी प्रस्तुति, मिले कई अवॉर्ड्स
बेगम बतूल अब तक 55 से अधिक देशों में अपनी परफॉर्मेंस दे चुकी हैं जिनमें इनमें इटली, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ट्यूनेशिया और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं। बतूल बेगम को भारतीय लोक संगीत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ले जाने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। बेगम बतूल को फ्रांस और ट्यूनेशिया की सरकार ने भी सम्मानित किया है। बतूल को 2021 में GOPIO अचीवर्स अवार्ड से और सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।