भारतीय सभ्यता में भले ही चैत्र प्रतिपदा को नए वर्ष का प्रारंभ माना जाता हो, लेकिन पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव कुछ ऐसा रहा कि हिंदुस्तान में भी नया वर्ष अंग्रेजी अंदाज़ में मनाया जाने लगा। 31 दिसंबर-1 जनवरी की रात न सिर्फ महानगरों के क्लब, बार और दूसरे पार्टी प्लेस बुक हो जाते हैं, बल्कि गोवा जैसी जगहें भी गुलज़ार हो जाती हैं। हर कोई नए साल का स्वागत मस्ती में झूमते हुए, ख़ुमार में ही मनाना चाहता है। लेकिन इस वर्ष नए वर्ष के स्वागत को लेकर एक सुखद बदलाव नज़र आया है।
दरअसल, लोग नए साल जैसे मौकों पर पब, क्लब और पार्टी पर तीर्थाटन को तरजीह दे रहे हैं और इससे भी बड़ी बात ये है कि इनमें सबसे बड़ी संख्या युवाओं की है। अयोध्या में प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा और भव्य मंदिर के निर्माण, काशी में बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण और भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में बन रहे कॉरिडोर के चलते ये स्थान श्रद्धालुओं की पसंद हैं। इसके अतिरिक्त उज्जैन में महाकाल और हरिद्वार जैसे तीर्थस्थल भी श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरे हैं।
अयोध्या: प्रभु राम के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
2025 के पहले दिन ही लाखों लोग इन शहरों में पहुंच गए हैं। रामनगरी अयोध्या में हर तरफ राम भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है, पहली जनवरी को राम मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी दिखीं और मंदिर जाने वाले रास्ते खचाखच भरे नज़र आए। हनुमानगढ़ी के बाहर सड़क पर दर्शन करने वाले लोगों की करीब 1 किलोमीटर लंबी लाइन लगी दिखी। नव वर्ष के इस मौके पर अयोध्या के होटल और धर्मशालाएं श्रद्धालुओं से भर चुकी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने अयोध्या में इस तरह की भीड़ पहले कभी नहीं देखी थी। मंदिर प्रबंधन के अनुसार नए साल के पहले दिन 2 लाख से ज्यादा लोगों ने प्रभु राम के दर्शन किए।
काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर नए वर्ष का स्वागत
अयोध्या के अलावा बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते पिछले कुछ वर्षों में काशी ने विकास के नए आयाम बनाए हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद से यह जगह तीर्थाटन के नए केंद्र के तौर पर उभरी है। बुधवार सुबह से ही देशभर से लोगों का काशी पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था और गंगा स्नान के बाद लाखों लोगों ने भगवान विश्वनाथ के दर्शन किए। जानकारी के मुताबिक, 31 दिसंबर 2024 को रात 9:30 बजे तक ही 5 लाख से अधिक श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर पहुँच चुके थे।
मथुरा में बांके बिहारी के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ नज़र आई। मथुरा-वृंदावन की सड़कें, गलियों श्रद्धालुओं से भरी नज़र आईं। साल का पहला दिन शुभ हो, इसलिए श्रद्धालु बीती रात से ही मंदिर के बाहर कतार में लगे नज़र आए। इनके अलावा देश के अन्य मंदिरों और तीर्थस्थानों पर भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं। उत्तराखंड के नीम करोली धाम, मध्य प्रदेश के उज्जैन और बागेश्वर धाम, राजस्थान का खाटू श्याम मंदिर जैसे तीर्थस्थलों पर लाखों लोग ईश्वर के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। विशेषकर युवाओं का तीर्थाटन की ओर रुझान दिखाता है कि भले ही नववर्ष और नववर्ष के जश्न को पाश्चात्य सभ्यता से जोड़कर देखा जाता रहा हो, लेकिन रात-रात भर जश्न की खुमारी में डूबकर नए साल का स्वागत करने वाला युवा अब अपनी संस्कृति और धर्म के अनुसार नए साल का स्वागत करना चाहता है।
मेट्रो कल्चर और तकनीकी विकास के दौर में, जबकि जीवन पहले से ज्यादा तनावपूर्ण होता जा रहा है, ऐसे में मानसिक शांति और अध्यात्मिकता की तरफ़ युवाओं का झुकाव बड़े और सुखद बदलाव का प्रतीक है।