केरल में बीते 8 साल से कम्युनिष्ट सरकार सत्ता में है। विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली कम्युनिष्ट सरकार के दावों की पोल मासूम बच्चियों के यौन शोषण के आंकड़ों से खुल गई है। सामने आए आंकड़ों से पता चला है कि कम्युनिष्ट शासन के बीते आठ साल में 31000 से अधिक मासूम बच्चियां हवसियों का शिकार बनी हैं। इनमें से 44 बच्चियां यौन उत्पीड़न नहीं झेल पाईं और आत्महत्या कर ली।
दरअसल, केरल के पठानमठिठ्ठा में एक नाबालिग दलित बच्ची के साथ 62 लोगों द्वारा कई वर्षों तक रेप करने का मामला सामने आया था। लड़की के साथ स्कूल में पढ़ने वाले लड़कों से लेकर टीचर, एथलीट कोच, दोस्त और रिश्तेदारों तक ने बलात्कार किया था। सोशल मीडिया से बने एक दोस्त ने तो मिलने के बहाने बुलाकर 3 दोस्तों के साथ मिलकर सामूहिक दुष्कर्म किया था।
पीड़ित लड़की ने जब आरोपितों के नाम बताने शुरू किए थे, तब पुलिस भी हैरान रह गई थी। वास्तव में मासूम बच्ची के साथ कई सालों से यह सब होता आया था। उसने जिस पर भरोसा किया, वही ही उसके साथ गलत करता चला गया। पीड़ित से पूछताछ के बाद पुलिस का कहना है कि पीड़िता के साथ कम से कम पांच बार पर सामूहिक दुष्कर्म किया गया।
इसमें कार के अंदर हुई की घटनाएं और जनवरी 2024 में पथानामथिट्टा के हॉस्पिटल में हुई घटना भी शामिल हैं। यह मामला खुलने के बाद पुलिस ने एक-एक कर आरोपितों को पकड़ा जरूर लिया। लेकिन इस मामले ने न केवल केरल बल्कि पूरे देश में कोहराम मचा दिया।
इसके चलते केरल की सरकार को विधानसभा में जवाब देना पड़ा और उस जवाब में शामिल थे मासूम बच्चियों के साथ होने वाले यौन शोषण और दुष्कर्म के आंकड़े। इन आंकड़ों के अनुसार, केरल में जून 2016 से लेकर दिसंबर 2024 तक POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम-2012) के 31171 (31 हजार 711) मामले दर्ज किए गए। इस दौरान 28728 आरोपितों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया कि साल 2022 के बाद से बच्चों से संबंधित यौन उत्पीड़न के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। एक ओर जहां साल 2016 से लेकर साल 2021 के बीच हर साल लगभग 3000 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं सिर्फ साल 2022 में ही यह आंकड़ा बढ़कर 4518 तक पहुंच गया था। वहीं, साल 2023 में 4641 और साल 2024 में 4594 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं, यदि इस साल यानी साल 2025 की बात करें तो साल की शुरुआती 17 दिनों में ही पॉक्सो के तहत 271 मामले दर्ज हो चुके हैं और 175 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है।
यदि आंकड़ों को देखें तो 8 साल में यदि 31 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं तो बच्चों के साथ हुए यौन अपराध की वास्तविक घटनाएं कहीं अधिक होंगी। वास्तव में देखें तो आम तौर बच्चों से जुड़े मामले दब कर रह जाते हैं। कई बार बच्चे मां-बाप को बता नहीं पाते और अगर कभी बता भी दिया तो वे मामले लोक-लज्जा यानी लोग क्या कहेंगे सोचकर बच्चों को चुप रहने के लिए कह दिया जाता है। वहीं यौन उत्पीड़न के चलते 44 मासूम बच्चों के आत्महत्या के मामले में हैरान करने वाले हैं।