दारू ही नहीं दवा में भी केजरीवाल ने किया ‘घोटाला’: घटियां दवाएं+ बर्बाद मोहल्ला क्लीनिक+ हॉस्पिटल बने नहीं+ डॉक्टर और नर्सों की भारी कमी=दिल्ली बेहाल

गंभीर बीमारी होने पर लोग अक्सर दिल्ली जाकर इलाज कराने की बात करते दिख जाते हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार में दिल्ली के अस्पतालों के हाल बेहाल थे। यह खुलासा CAG रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में सामने आया है कि दिल्ली के हॉस्पिटल में डॉक्टरों से लेकर नर्सों और पैरामेडिकल कर्मियों तक की कमी थी। इतना ही नहीं, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवंटित बजट का 78% तक हिस्सा सरकार खर्च नहीं कर पाई थी। इसके अलावा, दवा खरीदी में अनियमितता, मरीजों को घटिया दवाएं देने और चिकित्सा उपकरणों की बड़े पैमाने पर कमी पाई गई।

दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को CAG रिपोर्ट में मोहल्ला क्लीनिक से लेकर नामी हॉस्पिटल तक में पाई गई खामियां उजागर हुई हैं। आइए इन्हें बिंदुबार समझते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, CAG ने 31 मार्च, 2022 तक की जांच के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। CAG की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली आवश्यक दवाओं की सूची (EDL) हर साल बनाई जानी चाहिए थी। हालांकि पिछले एक दशक यानी 10 सालों में यह सूची सिर्फ तीन बार ही तैयार की गई।

CAG ने जांच के दौरान यह भी पाया है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों के लिए आवश्यक दवाओं और उपकरणों की आपूर्ति का काम सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी (CPA) को दिया गया था। लेकिन CPA ना तो दवा और ना ही उपकरणों की आपूर्ति समय से कर सकी। नतीजतन, 2016-17 से 2021-22 के दौरान अस्पतालों को 47% तक दवाएं खुद ही सीधे सप्लायरों से खरीदनी पड़ीं। इस दौरान खरीदी गईं कुछ दवाएं बेहद घटिया क्वालिटी की थीं। इन दवाओं की जांच रिपोर्ट आने से पहले ही कई हॉस्पिटल में दवाएं यूज की जा चुकी थीं। इसका सीधा मतलब यह है कि मरीजों को घटिया दवाएं देकर उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया गया। 

इसे ऐसा भी समझा सकता है:
  • सरकार की नाकामी की वजह से 33 से 47% दवाएं लोकल केमिस्ट से खरीदी गईं। 
  • CPA के कुल 86 टेंडर जारी हुए इनमें से 24 टेंडर आवंटित हुए, लेकिन समय पर दवा नहीं खरीदी गई।
  • हीमोफीलिया और एंटी रेबीज जैसी दुर्लभ/जानलेवा बीमारियों के महत्वपूर्ण इंजेक्शन की कमी पाई गई।
  • ब्लैकलिस्टेड और प्रतिबंधित फर्म से भी दवाएं खरीदी गईं। ऐसे में घटिया दवाएं खरीदे जाने की संभावना अधिक है। 

ड्रग कंट्रोल विभाग में आधे से भी कम कर्मचारी:

यदि किसी विभाग में आधे से कम कर्मचारी ही काम कर रहे हों, तो इससे काम करने के तरीके, उनकी क्षमता और गुणवत्ता की स्थिति को आसानी से समझा सकता है। वास्तव में देखें तो CAG रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली के ड्रग कंट्रोल विभाग में सिर्फ 48% कर्मचारी काम कर रहे हैं। अब सोच रहे होंगे कि बाकी कर्मचारी कहां हैं क्या किसी दूसरे विभाग का काम कर रहे हैं? तो इसका उत्तर है नहीं। दिल्ली के लोगों को रोजगार देने की जगह केजरीवाल सरकार ड्रग कंट्रोल विभाग के 52% पद खाली रखे हुए थे।

इसके अलावा ये पद भी खाली पड़े हुए थे

  • अस्पतालों में टीचिंग स्पेशलिस्ट 30%
  • नॉन टीचिंग स्पेशलिस्ट 28%
  • मेडिकल ऑफिसर 9%
  • नर्सों के 21%
  • पैरामेडिकल स्टाफ के 38%
  • नैशनल हेल्थ मिशन (NHM) स्कीमों को लागू करने वाले स्टाफ 36%

अब सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ये पद भरे क्यों नहीं गए?

इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत बनाने में भी ढिलाई:

सरकारी हॉस्पिटलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने का काम भी काफी धीमी गति से आगे बढ़ता दिखा। वित्त वर्ष 2016-17 के बजट भाषण में हॉस्पिटलों में 10000 नए बेड जोड़ने की योजना बनाई गई थी, लेकिन 2016-17 से 2020-21 तक केवल 1357 बेड ही बढ़ाए जा सके। स्वास्थ्य विभाग ने जून 2007 से दिसंबर 2025 के बीच नए हॉस्पिटल और डिस्पेंसरियां बनाने के लिए 648.05 करोड़ रुपए में 15 भूखंड खरीदे गए थे, लेकिन इसके बावजूद इनका उपयोग नहीं किया गया। CAG की जांच में सामने आया कि निर्माणाधीन 8 नए हॉस्पिटलों में से सिर्फ 3 का निर्माण ही पूरा हुआ था, जबकि इनके निर्माण में पहले से ही 6 साल की देरी हो चुकी थी। चौंकाने वाली बात यह थी कि पर्याप्त फंड उपलब्ध होने के बाद भी हॉस्पिटलों के निर्माण में देरी की गई। इससे भी केजरीवाल सरकार की नाकामी साफ झलकती है।

एक हॉस्पिटल में 8 महीने की वेटिंग, 2 हॉस्पिटल में खाली ऑपरेशन थिएटर

लोक नायक जय प्रकाश नारायण (LNJP) हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग में बड़ी सर्जरियों के लिए मरीजों को औसतन दो से तीन महीने तक इंतजार करना पड़ता था। वहीं, बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी के लिए 6 से 8 महीने तक का इंतजार करना होता है। दूसरी ओर, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के 12 में से 6 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सभी 7 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर कर्मचारियों की कमी की वजह से खाली पड़े रह गए। अब यहां यह सोचना जरूरी है कि अगर कुछ स्टॉफ की भर्ती हो जाती तो लोगों को 8 महीने तक इंतजार नहीं करना पड़ता। लेकिन केजरीवाल सरकार विज्ञापन करने में व्यस्त थी।
मोहल्ला क्लीनिक के खस्ता हाल:

CAG रिपोर्ट में मोहल्ला क्लीनिक को लेकर हुए खुलासे और भी चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट में सामने आया है कि अधिकांश मोहल्ला क्लीनिक लंबे समय तक बंद रहे। कुछ तो करीब 2 साल तक भी बंद रहे। मोहल्ला क्लीनिक के बंद होने का कारण डॉक्टरों की कमी व लंबी छुट्टियां तथा पैनल से हटने जैसे मसले रहे। इसका सीधा मतलब यह था कि केजरीवाल समेत तमाम AAP नेता जिस मोहल्ला क्लीनिक के कसीदे पढ़ते थकते नहीं थे, उसके हाल बेहाल थे।

CAG रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कई क्लीनिकों में आवश्यक चिकित्सा उपकरणों जैसे-पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, एक्स-रे मशीन, थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर मापने तक की मशीन की कमी थी। इसके अतिरिक्त मोहल्ला क्लीनिक में भारी मात्रा में दवाओं की भी कमी पाई गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर दवाएं या तो खरीदी नहीं गई थीं, वहीं कुछ खरीदी गईं थीं तो उनकी समय से डिलीवरी नहीं हो पाई थी। इसका सीधा मतलब यह है कि दवाएं खरीदने के लिए जो टेंडर दिया गया था, उसमें ढिलाई बरती गई थी या नियमों का सही ढंग से पालन नहीं किया गया था। अन्यथा समय रहते दवाइयों की डिलीवरी क्यों नहीं हो पाई?
CAG रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद केजरीवाल सरकार की शराब नीति के चलते हुए नुकसान और सरकार की नाकामी के चलते DTC (दिल्ली परिवहन निगम) को हुए घाटे पर TFI मीडिया ने विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। इन रिपोर्ट्स को आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं। 

 

संबंधित पोस्ट

झारखंड में शिवरात्रि पर झंडा लगाने के दौरान पथराव, धार्मिक आयोजनों पर हमलों की वजह बनता ‘आइडेंटिटी क्राइसिस’!

झारखंड के हज़ारीबाग में बुधवार (26 फरवरी) को महाशिवरात्रि समारोह के दौरान झंडा व लाउडस्पीकर लगाने को लेकर हिंसक झड़प हो गई। एक समुदाय विशेष...

गोधरा कांड: साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाकर हिंदुओं को मारने वालों को किसने बचाया?

सायक शैदी नाम के एक कम विख्यात शायर ने एक बार लिखा था कि वो पाकिस्तान की जीत (क्रिकेट में) पर पटाखे फोड़ेंगे और जो...

‘संभाजी महाराज: शिवाजी महाराज के सुपुत्र की शौर्यगाथा’; मराठा योद्धा को लेकर फैलाए गए झूठ का पर्दाफाश

शिवाजी सावंत के मराठी उपन्यास ‘छावा’ पर आधारित ‘छावा’ मूवी कई दिनों से धमाल मचाये हुए है। छत्रपति शिवाजी महाराज के शूरवीर पुत्र संभाजी महाराज...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.