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हरियाणा निकाय चुनाव: BJP की प्रत्याशी चयन प्रक्रिया पर क्यों उठ रहे हैं सवाल? 


मेयर प्रत्याशियों की लिस्ट दोबारा जारी करने के बाद काउंसलरों की लिस्ट भी पहले जारी हुई, फिर डिलीट हुई, फिर जारी हुई...प्रत्याशी चयन में नज़र आई पूर्व सीएम मनोहर लाल के अनुभव की कमी

TFI Desk द्वारा TFI Desk
15 February 2025
in राजनीति, समीक्षा
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेश BJP अध्यक्ष मोहन लाल बडौली और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर (बाएं से दाएं)

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेश BJP अध्यक्ष मोहन लाल बडौली और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर (बाएं से दाएं)

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हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार ऐतिहासिक जनादेश के साथ सत्ता में वापस लौटी है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा की इस जीत को पूरी बीजेपी के लिए संजीवनी की तरह देखा गया। इस प्रचंड जीत से न सिर्फ प्रदेश, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास और उत्साह वापस लौटा। अब पार्टी कार्यकर्ता भले ही आत्मविश्वास से भरपूर हों, लेकिन हरियाणा बीजेपी के आत्मविश्वास पर सवाल उठ रहे हैं। ख़ासकर निकाय चुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर जिस तरह की परिस्थितियां देखने को मिली हैं, उसे देखते हुए बीजेपी प्रदेश इकाई की अनुभवहीनता स्पष्ट रूप से नज़र आई है।

पहले बीते कल यानी शुक्रवार (14 फरवरी) को लंबी प्रतीक्षा के बाद पार्टी की तरफ़ से 9 मेयर प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की गई। इस लिस्ट को बकायदा पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स से भी पोस्ट किया गया था, लिहाजा प्रत्याशियों ने ही नहीं, जनता और मीडिया ने भी इसे सही मान लिया। लेकिन कुछ मिनटों के अंदर ही पार्टी ने इस लिस्ट को ग़लत बताते हुए इसे डिलीट कर दिया और बाद में नई संशोधित लिस्ट जारी की गई। हालांकि नई और पुरानी लिस्ट में ख़ास अंतर नहीं दिखा, सिर्फ गुरुग्राम की प्रत्याशी ही बदली गईं।

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इस लिस्ट को लेकर खड़े हुए सवाल अभी खत्म भी नहीं हुए थे कि काउंसलर की लिस्ट पर भी सवाल खड़े होने लगे। ख़ासकर गुरुग्राम और अंबाला नगर निगम को लेकर, जहां मेयर प्रत्याशियों की ही तरह पहले लिस्ट जारी कर दी गईं और फिर बाद में माफी माँग कर डिलीट भी कर दी गईं। गुरुग्राम में तो वार्ड नंबर 10 से दो-दो प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया गया और जब लिस्ट पर सवाल उठने शुरू हुए तो वापस लेकर नई लिस्ट जारी की गई।

प्रत्याशी चयन में दरकिनार हुए जातिगत समीकरण

हरियाणा की राजनीतिक समझ रखने वाले जानकारों का दावा है कि निकाय चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन में जातिगत समीकरणों और नेतृत्व क्षमता को भी दरकिनार कर दिया गया। आंकड़ों के अनुसार, गुरुग्राम के शहरी क्षेत्र में उतने अहीर मतदाता नहीं हैं, लेकिन फिर भी यहां अहीर उम्मीदवारों को ज्यादा तरजीह दी गई, ख़ासकर उन वार्ड में भी जहां राजपूत मतदाताओं की संख्या अधिक है। प्रत्याशी चयन में शहरी संरचना को दरकिनार करने के भी आरोप हैं।

नज़र आई पूर्व सीएम मनोहर लाल की कमी

हरियाणा भाजपा के सूत्रों का कहना है कि प्रत्याशी चयन में केंद्रीय मंत्री और गुरुग्राम की सियासत में अच्छा प्रभाव रखने वाले राव इंद्रजीत सिंह को तो दरकिनार किया ही गया है, केंद्रीय मंत्री और पूर्व सीएम मनोहर लाल की कमी भी स्पष्ट रूप से नज़र आई है। क्योंकि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली और संगठन मंत्री की तिकड़ी की तुलना में मनोहर लाल खट्टर न सिर्फ अनुभवी नेता है, बल्कि उनको सरकार के साथ संगठन का भी कहीं ज्यादा अनुभव है। जानकारों का मानना है कि अगर मनोहर लाल के मार्गदर्शन में काम किया गया होता, तो निकाय चुनाव में स्थितियां ज्यादा सहज और अच्छी होतीं।

प्रत्याशी चयन में शहरी संयोजन के अभाव का आरोप

मिलेनियम सिटी गुरुग्राम प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का भी आर्थिक हब है, जिसकी तुलना मुंबई, बेंगलुरू जैसे विश्वस्तरीय शहरों से होती है। बीते विधानसभा चुनावों में भी गुरुग्राम में सड़कों से लेकर जलभराव और स्वच्छता जैसे मुद्दे छाए रहे हैं, हालांकि जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन और उनके चेहरे पर भरोसा जताते हुए प्रदेश में भाजपा की सरकार भी बनवा दी, लेकिन नगर निगम के चुनावों में बीजेपी के पास अवसर था कि वो यहां अच्छी छवि और विज़नरी नेताओं को मौका देकर प्रधानमंत्री मोदी के सुशासन और विकसित भारत के मॉडल को साकार करती, लेकिन सूत्रों की मानें तो भाई-भतीजावाद और पक्षपात की वजह से टिकट चयन में इसकी झलक नहीं दिखी है।

पीएम मोदी की जोड़ने की राजनीति और प्रदेश बीजेपी की ‘जातिवादी’ लिस्ट

जानकार इन चुनावी सूचियों के एक और पहलू पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। दरअसल, जिस तरह इस बार सूचियों में नाम के ही सामने प्रत्याशी की जाति का जिक्र कर दिया गया है, उसे लेकर भी सवाल हैं। आम तौर पर टिकट वितरण में जातिगत समीकरणों का ध्यान ज़रूर रखा जाता है, लेकिन यह भाजपा की परंपरा नहीं रही कि प्रत्याशी की जाति का ढिंडोरा पीटा जाए। लेकिन हरियाणा भाजपा ने एक नई परंपरा शुरू करते हुए प्रत्याशियों की जाति भी उनके नाम के ही आगे लिख डाली। जानकारों की मानें तो ये कुछ और नहीं बल्कि अनुभवहीनता का ही नतीजा है।

स्रोत: बीजेपी, हरियाणा, निकाय चुनाव, नायब सिंह सैनी, मनोहर लाल खट्टर, BJP, Haryana, Local body elections, Nayab Singh Saini, Manohar Lal Khattar,
Tags: BJPHaryanaLocal Body ElectionsManohar Lal KhattarNayab Singh Sainiनायब सिंह सैनीनिकाय चुनावबीजेपीमनोहर लाल खट्टरहरियाणा
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