दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में उपराष्ट्रपति पॉल मशाटाइल ने देश के सबसे बड़े बीएपीएस हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया है। इस अवसर पर बीएपीएस के वैश्विक-आध्यात्मिक गुरु महंत स्वामी महाराज के नेतृत्व में पवित्र प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह मंदिर अब दक्षिणी गोलार्ध का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है। मंदिर के उद्घाटन समारोह के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
बोछासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) द्वारा स्थापित यह मंदिर 14.5 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। मंदिर के उद्घाटन के साथ ही BAPS संस्था द्वारा होप एंड यूनिटी फेस्टिवल उत्सव भी मनाया जा रहा है। इस उत्सव 12 दिनों तक चलेगा। इस उत्सव का उद्देश्य भारतीय और अफ्रीका की संस्कृति व परंपरा के गहरे संबंधों को दर्शाना है। इसमें कला, संस्कृति और विरासत के मेल को दर्शाया जा रहा है।
📸 Deputy President Paul Mashatile addresses the Official Opening of the first phase of the Bochasanwasi Akshar Purushottam Swaminarayan Sanstha (BAPS) Hindu Mandir (Temple) and Cultural Complex, in Northriding, Johannesburg, Gauteng Province.#GovZAUpdates pic.twitter.com/UXJaUDXpaW
— South African Government (@GovernmentZA) January 30, 2025
इस मंदिर में एक सांस्कृतिक केंद्र सहित 3000 सीटों वाला ऑडिटोरियम, 2000 सीटों वाला बैंक्वेट हॉल, प्रदर्शनी, शोध संस्थान, और मनोरंजन केंद्र सहित कई महत्वपूर्ण केंद्र बनाए गए हैं। मंदिर के उद्घाटन के दौरान, उपराष्ट्रपति पॉल मशाटाइल ने कहा है कि हिंदुओं ने इस देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिंदू समाज के पास समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। BAPS के मानवता सेवा और सामाजिक उत्थान के प्रति प्रतिबद्धता की बात करते हुए उन्होंने संस्था की तारीफ भी की।
उपराष्ट्रपति ने कहा, “हमें राष्ट्र निर्माण में हिंदू समुदाय की भूमिका पर विचार करना चाहिए। इस समुदाय की सांस्कृतिक विरासत और मूल्य समृद्ध हैं। हिंदुओं ने हमारे विविध समाज के सामाजिक ताने-बाने को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।” उन्होंने आगे कहा कि हिंदू धर्म दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय द्वारा अपनाए जाने वाले प्रमुख धर्मों में से एक है।
उन्होंने आगे कहा, “बीएपीएस मानवीय सेवा, सामाजिक उत्थान और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। यह मंदिर न केवल पूजा स्थल के रूप में कार्य करेगा, बल्कि सभी लोगों के लिए शांति, ज्ञान और आध्यात्मिक समृद्धि का केंद्र भी बनेगा।”
इस दौरान BAPS के प्रवक्ता हेमंत देसाई ने कहा, मंदिर बनाने के लिए जोहान्सबर्ग को इसलिए चुना गया क्योंकि यहां पहले से ही बड़ी संख्या में हिंदू रहते हैं। मंदिर के दूसरे चरण का निर्माण भी जल्द ही शुरू होगा, जो कि दक्षिण अफ़्रीकी धरती पर हजारों साल पहले की प्राचीन हिंदू वास्तुकला वाला बहुत ही अलंकृत हिंदू मंदिर होगा।
बता दें कि साल 2023 में जब पीएम मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने दक्षिण अफ्रीका गए थे, तब प्रवासी भारतीयों ने उन्हें इस मंदिर की 3डी फोटोज दिखाई थीं। यह मंदिर साल 2011 में बनना शुरू हुआ था और अब 2025 में जाकर पूरा हुआ है। इस मंदिर के निर्माण में दुनिया भर के 12,500 स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दिलचस्प बात यह है कि अफ्रीका में हिंदुओं की आबादी महज 2% है, लेकिन हिंदुओं का प्रभाव बहुत अधिक है। इसके चलते ही अफ्रीका में इतने बड़े हिंदू मंदिर का निर्माण संभव हो सका है।