वामपंथी गिरोह की जी-तोड़ साजिशों के बावजूद शनिवार (15 फरवरी 2025) को एक बार फिर से प्रयागराज महाकुंभ जाने वाली कई सड़कों पर वाहनों का हुजूम देखने को मिला। मिर्जापुर, लखनऊ, अयोध्या, चित्रकूट और वाराणसी से जोड़ने वाली सड़कों पर कई जगहों पर जाम की स्थिति बन गई। वाहनों में महाराष्ट्र, गुजरात सहित पूर्वोत्तर भारत के भी नंबर प्लेट देखे जा सकते हैं। कई गाड़ियों को तो ग्रामीण क्षेत्रों में बनी सड़कों से गुजरते देखा जा रहा है। प्रयाग जा रहीं सभी ट्रेनें फुल हैं। कहीं-कहीं डिब्बों में घुसने के मारपीट जैसी घटनाएँ भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं हैं।
इसके अलावा पैदल यात्रियों की संख्या तो गिना भी नहीं जा सकता है। सभी का एक लक्ष्य माँ गंगा में डुबकी है। सबकी जुबान पर हिन्दू देवी-देवताओं के जयकारे हैं। न किसी को भूख की चिंता और न ही प्यास की फ़िक्र। हालाँकि श्रद्धालुओं की सेवा में महाकुंभ, ग्रामीण और शहर का चप्पा-चप्पा भंडारे लगा कर हाजिर है। डबलरोटी, चाय से ले कर शुद्ध भोजन के अनगिनत पंडाल खुली नजरो से देखे जा सकते हैं। अमूमन माना रहा है कि चौथे यानी पूर्णिमा के स्नान के बाद मेला खाली हो जाता है, पर इस बार तो सभी विचारधाराएँ ही पलट चुकी हैं।
सुपारी गिरोह और अर्बन नक्सल जुटे थे दुष्प्रचार में
मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में हुए हादसे के बाद सोशल मीडिया से जमीन तक एक गिरोह जोर-शोर से एक्टिव हुआ था। वही गिरोह जिसे सनातन संस्कार और उसके पर्व आदि में कमियाँ निकालने का ठेका कभी अरब मुल्कों तो कभी बीजिंग से मिलता रहता है। अगर आप याद और गूगल पर सर्च करेंगे तो कई खबरें जोर-शोर से ट्वीट और शेयर की गईं थीं जिसमें होटलों के साथ ट्रेन टिकट की बुकिंग आधी गिर जाने जैसी तमाम खबरें मिलेंगी। खबरों का टारगेट महाकुंभ में लगे भगवा झंडे से ले कर इसी रंग का वस्त्र पहन कर शासन कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक समान रूप से थे।
तब सुपारी पत्रकार कहे जाने वाले कुछ लोगों की गैंग ने तो यहाँ तक कहना शुरू कर दिया था कि कई लोग तो महाकुंभ में आने से डर रहे हैं। उनकी साजिश में कई चीजें एक साथ आ रहीं थीं। हिन्दू देवी-देवताओं से जुडी श्रद्धा के साथ पुलिस और पैरामिलिट्री के जवानों द्वारा दी जा रही सुरक्षा में अविश्वास पैदा करना कुल मिला कर केंद्रीय टारगेट था। हालाँकि इस बीच शासन-प्रशासन के साथ साधु-संत भी लोगों को यह विश्वास दिलाते रहे कि वो किसी असामाजिक तत्व के बहकावे में कतई न आएँ। अंत में गेंद जनता के पाले में डाल दी गई थी।
श्रद्धालुओं की भीड़ ने कुचली वामपंथी साजिश
वामपंथी साजिश ने महाकुंभ को भले ही बदनाम करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया हो लेकिन आख़िरकार उनके लिए परिणाम ढाक के तीन पात ही रहे। महज 72 घंटे में ही समूचे देश में श्रद्धा ने करवट ली और लोग गिर से हर-हर गंगे बोलते हुए प्रयागराज की तरफ निकल पड़े। जिसके पास जो भी वाहन था वो उसी में सवार हो लिया। महाकुंभ प्रशासन की नजर में भी कार और साइकिल वाला बराबर ही है। वसंत पंचमी के स्नान में करोड़ों श्रद्धालुओं का लगा तांता आज तक ज्यों का त्यों है। अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि पूरे फरवरी माह में ही हालत रहने वाले हैं।
समूचे प्रकरण को अगर एक लाइन में लिखना हो तो यह कहना गलत नहीं होगा कि अबकी बार श्रद्दालुओं के चरणों के नीचे साजिशकर्ताओं के तमाम काले अरमान दब गए। वसंत पंचमी से ले कर अब तक तमाम शिविरों में ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो’ के उद्घोष जैसे उन्ही असामाजिक तत्वों के लिए ही गूँज रहे हों। ख़ास बात ये है कि देवताओं में आस्था कम होना तो दूर की बात है, श्रद्धालुओं का विश्वास, स्नेह और प्रेम महाकुंभ में तैनात सुरक्षा बलों के लिए कहीं अधिक बढ़ गया है। त्रिवेणी पर देश और धर्म प्रेम का भी संगम साफ़ देखा जा सकता है।
उच्च शिक्षित और सम्पन्न परिवार भी लाइनों में
जिस तरह एक मक्खी पूरे स्वस्थ शरीर को छोड़ कर घाव ही तलाशती है उसी सिद्धांत पर कुछ विभिन्न स्वार्थों से ग्रसित लोग आध्यात्मिकता और दिव्यता से भरे महाकुंभ में नकारात्मकता ही तलाशते रहे। महाकुंभ पर लगाए गए तमाम आरोपों में VIP कल्चर की बातें भी प्रमुख रहीं। उन ऑन ड्यूटी पुलिस वालों के भी वाहनों की रील बना कर वायरल की गईं जो किसी जरूरतमंद को मेडिकल या मानवीय मदद दे रहे थे। जिन संतों को पहले से ही सुरक्षा के मद्देनजर सरकारी गनर मिले हैं उनको भी महाकुंभ से जोड़ा गया।
TFI ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में पाया कि शनिवार और रविवार को महाकुंभ संगम क्षेत्र में कई लक्जरी वाहन स्वामी भी फँसे थे। इसमें से कई ऐसे लोग भी थे जिनके पास सरकारी गनर तक थे। हमने खुद उनको परिवार सहित कई किलोमीटर पैदल चल कर गंगा स्नान भक्तिभाव से करते देखा। वायरल हो रहे एक वीडियो में तो कई लोग ट्रैफिक जाम का भी आनंद ले रहे थे। उन्होंने कार में लगे म्यूजिक सिस्टम पर कुंभ से जुड़ा गीत बजा कर नाचना-गाना शुरू कर दिया। आसपास के ग्रामीणों ने दुनिया भर से आए श्रद्धालुओं के रहने और खाने तक की व्यवस्था में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में कई वीडियो ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें लोगों को खुले आसमान के नीचे ठंड में सोते देखा गया। अखाड़ों और अधिकतर शिविरों के चले जाने की वजह से कुंभ क्षेत्र में उनके रहने आदि की व्यवस्थाओं दिक्क्तें आईं हैं। हालाँकि ठंड भी उन श्रद्धलुओं की आस्था के आगे बौनी साबित हुई है। उसी ठंड में वो बारी-बारी नजदीकी घाटों पर स्नान कर के श्रद्धालुओं का हुजूम अयोध्या, काशी, विंध्याचल और चित्रकूट जैसे अन्य धर्मस्थलों की तरफ बढ़ रहा है। इन श्रद्धालुओं में स्त्री-पुरुष के साथ वृद्ध से ले कर बच्चे तक शामिल हैं।
बाज नहीं आ रहे अफवाहबाज
जमीन पर श्रद्धालुओं को संभालने और सुरक्षा पर चौकन्नी नजर रखी पुलिस को सुपारी अफवाहबाजों की वजह से दोहरे मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है। पुलिस अपने आधिकारिक हैंडलों से लगातार अफवाह न उड़ाने की चेतावनी दे रही है। कई असामाजिक तत्वों पर FIR भी दर्ज हुई है जिसमें कुछ कथित पत्रकार भी शामिल हैं। इसके बावजूद एक ख़ास गिरोह महाकुंभ शुरू होने के बाद से अब तक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। वह गैंग दुनिया में होनी वाली हर नकारात्मक घटना का कनेक्शन कहीं न कहीं महाकुंभ से जोड़ने की फिराक में लगा हुआ है।