हाल ही में, चीन का DeepSeek AI एप्पल स्टोर पर टॉप पर पहुंच गया, जिससे AI की वैश्विक होड़ फिर से चर्चा में आ गई। एक तरफ अमेरिका के पास OpenAI का ChatGPT है, तो दूसरी ओर चीन अपने DeepSeek AI के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। लेकिन सवाल उठता है—भारत इस रेस में कहां है? क्या हमारे पास भी अपना कोई AI प्लेटफॉर्म होगा? इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 (Budget 2025) में AI अनुसंधान और शिक्षा में इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बड़े ऐलान किए हैं।
सरकार ने 500 करोड़ रुपये के निवेश के साथ तीन नए Centres of Excellence स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे AI विकास को मजबूती मिलेगी। इससे पहले, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी संकेत दिया था कि भारत अपना स्वदेशी AI मॉडल विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या भारत इस वैश्विक AI दौड़ में अपनी अलग पहचान बना पाएगा या फिर अभी भी एक लंबा सफर बाकी है?
बजट में AI के लिए क्या
सरकार की नीतियों में स्पष्टता है—AI सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि भविष्य के आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की मजबूत दावेदारी का आधार बनने जा रहा है। वैश्विक स्तर पर चीन के पास DeepSeek है, अमेरिका के पास ChatGPT है, लेकिन भारत अभी तक इस दौड़ में पीछे नजर आता था। यही गैप भरने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में AI के लिए तीन नए “Centres of Excellence” (CoEs) स्थापित करने की घोषणा की है, जो भारत में AI रिसर्च, इनोवेशन और एडॉप्शन को नई दिशा देंगे।
सरकार का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि भारत अब सिर्फ AI उपभोक्ता नहीं रहेगा, बल्कि इस क्षेत्र में अपनी स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि AI को शिक्षा और उद्योग से जोड़ने के लिए यह निवेश जरूरी था, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था AI-ड्रिवन ग्रोथ को अपना सके। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी 31 जनवरी को संसद में अपने अभिभाषण में भारत के AI मिशन की चर्चा की थी। इससे यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार तकनीकी इनोवेशन को आर्थिक विकास के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में देख रही है।
वित्त मंत्री ने AI और टेक्नोलॉजी स्किल्स को बढ़ावा देने के लिए पांच नए नेशनल एक्सीलेंस सेंटर स्थापित करने की भी घोषणा की। इसके साथ ही, AI रिसर्च और एडॉप्शन को बढ़ावा देने के लिए “AI सेंटर फॉर एक्सीलेंस” स्थापित किए जाएंगे, जिनके लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। सीतारमण ने याद दिलाया कि 2023 में सरकार ने कृषि, स्वास्थ्य और स्मार्ट सिटी के लिए तीन AI एक्सीलेंस सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई थी। अब, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में AI को मजबूत करने के लिए यह नया निवेश किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर AI अब केवल टेक्नोलॉजी का हिस्सा नहीं, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक बढ़त का माध्यम बन चुका है। भारत के लिए AI विकास केवल एक इनोवेशन नहीं, बल्कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार और ग्लोबल टेक इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने का अवसर है। यह बजट केवल वर्तमान जरूरतों को नहीं, बल्कि आने वाले दशक में भारत की तकनीकी और आर्थिक लीडरशिप को ध्यान में रखकर बनाया गया है। AI में आत्मनिर्भरता से देश का डिजिटल इकोसिस्टम और अधिक मजबूत होगा, नई नौकरियां पैदा होंगी और भारत ग्लोबल इनोवेशन स्पेस में अपनी पहचान बनाएगा।