मिल्कीपुर का उपचुनाव BJP जीत गई है। भाजपा ने दलित पासी समाज से आने वाले चन्द्रभानु पासवान को उम्मीदवार बनाया था, वहीं समाजवादी पार्टी ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को हार का मुँह देखना पड़ा है। 30 राउंड की वोटिंग के बाद जहाँ चन्द्रभानु पासवान को 1,46,397 वोट पड़े, वहीं सपा के अजीत को 84,687/ वोटों से संतोष करना पड़ा। इसके साथ ही ‘अयोध्या के राजा’ वाला नैरेटिव भी बुरी तरह ध्वस्त हो गया है।
अवधेश प्रसाद 9 बार के विधायक रहे हैं – 7 बार सोहावल से और 2 बार इसी मिल्कीपुर से। BJP के लिए मिल्कीपुर विधानसभा के उपचुनाव की जीत दिल्ली विधानसभा में 27 साल बाद सत्ता प्राप्ति से कम ख़ुशी देने वाली नहीं है। मिल्कीपुर ने, अयोध्या ने – एक नैरेटिव को ध्वस्त किया, एक नैरेटिव को पुनर्जीवित किया है। मिल्कीपुर ने BJP को संजीवनी दी है।
अपने देखी होगी ‘यूपी में का बा’ गाकर उत्तर प्रदेश को बदनाम करने वाली नेहा सिंह राठौड़ की वो तस्वीर, जिसमें वो खिलखिला कर हँसती हुई नज़र आ रही थीं। दिक्कत उनके हँसने से नहीं थी। समस्या थी उस कैप्शन में जो उन्होंने उस तस्वीर के साथ पोस्ट किया था – “अचानक से याद आया कि वो अयोध्या हार गए।” यहाँ ‘वो’ का आशय भाजपा से था। अयोध्या का आशय फैज़ाबाद लोकसभा सीट से था। 54,567 वोटों से भाजपा के 2 बार के सांसद लल्लू सिंह हार क्या गए, इसे भाजपा के खिलाफ प्रपंच फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा।
अचानक याद आया कि वो अयोध्या हार गए..! pic.twitter.com/F3c7YGyQGz
— Neha Singh Rathore (@nehafolksinger) July 22, 2024
अयोध्या की हार क्यों BJP के लिए बन गई थी सिरदर्द
कारण – भाजपा अस्सी के दशक से ही राम मंदिर को लेकर मुखर रही है। भाजपा नेताओं ने इसके लिए गिरफ्तारियाँ दी, हिन्दुओं ने गोलियाँ खाईं। वो भाजपा ही है जिसके शासनकाल में राम मंदिर का निर्माण सुनिश्चित हुआ। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का हिस्सा बने, ऐसे में फैज़ाबाद की हार को भाजपा के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने तो अवधेश प्रसाद को ‘अयोध्या का राजा’ कह कर भी संबोधित किया। भगवान श्रीराम को अपमानित करने के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया, जिन्हें अयोध्या नरेश के रूप में जाना जाता है।
जैसे काशी के राजा भगवान विश्वनाथ हैं, मेवाड़ के राजा भगवान एकलिंग हैं, मुंबई के राजा गणपति हैं, और उज्जयिनी के राजा महाकाल हैं – वैसे ही अयोध्या के राजा केवल श्रीराम ही हैं। अयोध्या में किसी और को राजा बताना, ख़ासकर श्रीराम को अपमानित करने की मंशा से – शायद इस कलंक का प्रायश्चित वहाँ की जनता भी बार-बार करना चाहेगी। हमने देखा कि कैसे संसद में अवधेश प्रसाद को अखिलेश यादव अपनी बगल में बिठाते थे, तो कभी वो राहुल गाँधी के बगल में बैठे हुए दिखते थे। उन्हें एक ट्रॉफी की तरह लहराया जाने लगा था।
इससे भी बड़ी बात है कि मिल्कीपुर से भाजपा के जो चन्द्रभानु पासवान जीते हैं, वो भी अवधेश प्रसाद की तरह ही दलित पासी समाज से ही आते हैं। ये बताता है कि दलितों ने भी परिवारवाद को नकार दिया है। चन्द्रभानु पासवान आस्थावान हिन्दू हैं, मतगणना वाले दिन भी वो अपनी पत्नी सहित मंदिर पहुँचे और पूजा-अर्चना की। इसके अलावा मिल्कीपुर का परिणाम ये भी बताता है कि यादव, जिन्हें सपा का परंपरागत वोटर बेस माना जाता है – वो भी भाजपा को वोट दे रहे हैं। BJP ओबीसी-दलित वर्ग में मजबूत ही हो रही है।
अर्थात, लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान जिस तरह आरक्षण और संविधान खत्म करने का जो झूठ फैलाया गया था उसका पटाक्षेप हो चुका है। भाजपा उससे आगे निकल चुकी है, काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती। जन-कल्याणकारी योजनाओं के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दलितों, ख़ासकर दलित महिलाओं के मन में जो स्नेह है वो वापस पटरी पर आ गया है। यहाँ रामचंद्र यादव का जिक्र करना ज़रूरी है, जो मिल्कीपुर के ही हैं और पड़ोस के रुदौली से विधायक हैं। उनके नेटवर्क का BJP को फ़ायदा मिला। पंचायत चुनावों में उनकी धाक रही है, यादव नेताओं ने भाजपा का साथ दिया।
अयोध्या फिर से फतह करेगी BJP
2029 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के पास फैज़ाबाद लोकसभा सीट फिर से जीतने का मौका रहेगा। अवधेश प्रसाद 84 वर्ष के हो चुके होंगे तब तक, इतने सक्रिय भी नहीं रहेंगे। पिछली बार भाजपा की हार के कारण लल्लू सिंह का अति-आत्मविश्वास और उनके खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी को बताया गया था। इस बार भाजपा सभी खामियों पर काम करेगी। जहाँ तक अयोध्या की बात है, राम मंदिर में रोज लाखों लोग उमड़ रहे हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े सारे करू लगातार जारी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहाँ आते-जाते रहते हैं, वो मिल्कीपुर में रैली करने भी आए थे। यहाँ भाजपा ने गाँव-गाँव जनसंपर्क चलाया।
जिस तरह से महाकुंभ का आयोजन देश-दुनिया में यूपी के लिए गर्व का विषय बना है, वो भी दुनिया देख रही है। एक दुःखद घटना ज़रूर हुई, लेकिन 40 करोड़ लोगों को सँभालने और प्रयागराज में जिस तरह की साफ़-सफाई की व्यवस्था है वो अपने-आप में अध्ययन का विषय है। सीएम योगी की लगातार लोकप्रिय होती जा रही छवि का भी भाजपा को फ़ायदा मिला। खैर, मिल्कीपुर की जीत ने अयोध्या की हार वाले नैरेटिव को बदल दिया है, अवधेश प्रसाद शायद ही बेटे के हार के गम और इस फजीहत से उबर पाएँ।
मिल्कीपुर का वो रेपकांड, जिसने सपा को पहुँचाया नुकसान
ये भी याद कीजिए कि कैसे निषाद समाज की एक बच्ची के साथ बलात्कार के मामले को भाजपा ने उठाया था। अगस्त 2024 में हुई इस घटना में सपा नेता मोईद खान और उसके सहयोगी राजू खान का नाम सामने आया था। मुस्लिम आरोपितों को बचाने के लिए अखिलेश यादव ने पीड़िता के DNA टेस्ट की जाँच की माँग भी कर दी थी। मंत्री संजय निषाद परिजनों से मिलने के दौरान रो पड़े थे। इस घटना से भी समाजवादी पार्टी का नुकसान हुआ। अवधेश प्रसाद का ‘ड्रामा’ भी इसे ढँक न सका। कभी वो रोते नज़र आए तो कभी पूजा-पाठ करते हुए। राम विरोधियों का अंत में राम की शरण में जाने का दिखावा जनता को पसंद नहीं आया।
चन्द्रभानु पासवान की जीत ने भाजपा को राज्य में एक पासी चेहरा भी दे दिया है, जो जाटवों के बाद दूसरी सबसे बड़ी दलित आबादी है। जाटवों को मुख्यतः बसपा का वोटर माना जाता है। अवधेश प्रसाद की जीत के बाद भाजपा में भी पासी चेहरों को आगे बढ़ाने पर मंथन हुआ था, क्योंकि ये समाज अगर भाजपा के साथ जुड़ता है तो 2027 में पार्टी को इसका फ़ायदा मिलेगा।