इस हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नया आयकर विधेयक 2025(New Income Tax Bill 2025) संसद में पेश करने जा रही हैं। यह विधेयक भारतीय टैक्स प्रणाली को आसान और ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए लाया जा रहा है। 7 फरवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी दी थी। अब संसद में पेश होने के बाद इसे समीक्षा के लिए स्थायी समिति को भेजे जाने की संभावना है। यह बिल 60 साल से लागू आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा और टैक्स से जुड़े नियम-कायदों को ज्यादा सरल और समझने योग्य बनाने की दिशा में अहम कदम होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 के दौरान नया आयकर विधेयक 2025 संसद में पेश करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार पिछले 10 वर्षों से टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए कई बड़े सुधार कर चुकी है। इनमें फेसलेस असेसमेंट, टैक्सपेयर्स चार्टर, रिफंड में तेजी, और विवाद से विश्वास योजना जैसे कदम शामिल हैं। सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार टैक्सपेयर्स के साथ विश्वास के रिश्ते को प्राथमिकता देती है और जल्द ही नया आयकर विधेयक पेश करेगी, जो टैक्स सिस्टम को और अधिक सरल और प्रभावी बनाएगा।
कैसे बदलेगा आपका टैक्स सिस्टम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट पेश करते हुए संसद में नया आयकर विधेयक 2025 लाने की घोषणा की। उन्होंने अपने भाषण में कहा, “पिछले 10 वर्षों में हमारी सरकार ने टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए कई सुधार किए हैं, जैसे:
- फेसलेस असेसमेंट
- टैक्सपेयर्स चार्टर
- रिफंड प्रक्रिया में तेजी
- लगभग 99% रिटर्न का सेल्फ-असेसमेंट
- विवाद से विश्वास योजना
इन्हीं प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए, मैं टैक्स डिपार्टमेंट की ‘पहले विश्वास, बाद में जांच’ की प्रतिबद्धता को फिर से दोहराती हूं। इसके साथ ही, मैं अगले सप्ताह नया आयकर विधेयक पेश करने का प्रस्ताव रखती हूं।” इस घोषणा के बाद टैक्स विशेषज्ञों के बीच चर्चा शुरू हो गई है कि नया आयकर विधेयक मौजूदा 298 कर प्रावधानों को आधे तक कम कर सकता है।
टैक्स सिस्टम को सरल और आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम
नया आयकर विधेयक 2025 मौजूदा जटिल कर कानूनों को सरल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इसका उद्देश्य ऐसी भाषा और प्रक्रियाएं तैयार करना है, जिन्हें आम टैक्सपेयर्स आसानी से समझ सकें। यह कदम लोगों को टैक्स कंसल्टेंट्स पर निर्भर रहने की बजाय खुद ही टैक्स से जुड़े प्रावधानों को समझने में सक्षम बनाएगा।
इस विधेयक में पुराने और अनावश्यक संशोधनों को हटाकर कर दायित्वों को कम करने पर जोर दिया गया है। टैक्स कोड की लंबाई 50% तक घटाई गई है, जिससे कर अनुपालन अधिक सहज हो जाएगा।
करदाताओं की सक्रिय भागीदारी
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अक्टूबर 2024 में टैक्सपेयर्स और वित्तीय विशेषज्ञों से सुझाव प्राप्त करने के लिए इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर एक समर्पित वेबपेज लॉन्च किया था। इस प्रक्रिया में भाषा को सरल बनाने, मुकदमेबाजी कम करने, अनुपालन को व्यवस्थित करने और पुराने प्रावधानों को हटाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर 6,500 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए। इन सुझावों का विश्लेषण करने और विधेयक को बेहतर बनाने के लिए सीबीडीटी ने एक आंतरिक समिति और 22 विशेष उप-समितियों का गठन किया था। इन प्रयासों के जरिए नए विधेयक को करदाताओं की जरूरतों के अनुरूप तैयार किया गया है, जो भारतीय टैक्स सिस्टम में एक नई शुरुआत का प्रतीक होगा।
करदाताओं पर प्रभाव
नए आयकर विधेयक को लेकर लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या इससे टैक्स दरों में कोई बढ़ोतरी होगी। इस पर वित्त सचिव ने भरोसा दिलाया है कि ऐसा कुछ नहीं होगा। न तो टैक्स रेट में बदलाव किया जाएगा और न ही स्लैब में। इस विधेयक का उद्देश्य करदाताओं के लिए प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाना है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर प्रणाली में पारदर्शिता बढ़े, मुकदमों की संख्या घटे और करदाताओं पर अनुपालन का बोझ कम हो।