राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और बिहार के पूर्व MLC कामेश्वर चौपाल का गुरुवार (6 फरवरी, 2025) देर रात 68 साल की उम्र में निधन हो गया। कामेश्वर ने ही साल 1989 में राम मंदिर निर्माण के लिए पहली राम शिला (ईंट) रखी थी, जिसके बाद उन्हें प्रथम कारसेवक का दर्जा मिला था। कामेश्वर चौपाल के निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। कई दिग्गज नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया। लेकिन कट्टरपंथी जमात इस पर जश्न मनाती नजर आई।
कामेश्वर चौपाल कौन थे और राम मंदिर निर्माण में उनकी भूमिका का परिचय ‘प्रथम कारसेवक’ के साथ ही शुरू हो जाता है। लेकिन सही मायने में देखें तो सिर्फ यह परिचय काफी नहीं है। लेकिन प्रथम कारसेवक के परिचय से पहले उनके निधन पर सोशल मीडिया में कट्टरपंथियों की हरकत पर नजर डाल लेते हैं। दरअसल, कामेश्वर चौपाल के निधन के बाद सोशल मीडिया पर उनसे जुड़े कई पोस्ट और खबरें शेयर की गई हैं। इन पोस्ट और खबरों के कमेंट बॉक्स से लेकर रिएक्शन तक में कट्टरपंथियों तक ने खुशी जाहिर की है।
सबसे पहले आप यह स्क्रीनशॉट देखिए:
![](https://tfipost.in/wp-content/uploads/sites/2/2025/02/fb-ss-300x169.jpg)
इस स्क्रीनशॉट में सभी नाम इस्लामवादियों के हैं और रिएक्शन लाफ़ यानी हंसने के हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि ये कट्टरपंथी प्रथम कारसेवक के निधन पर हंस रहे हैं। यह तो सिर्फ एक उदाहरण मात्र है। अगर कमेंट बॉक्स देखें तो वहां ढेरों ऐसे कमेंट हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि ये कट्टरपंथी गिद्ध की तरह सिर्फ किसी हिंदू की मौत का इंतजार कर रहे होते हैं।
अब फ़ेसबुक पोस्ट पर कट्टरपंथियों के कमेंट्स पर नजर डालें तो ऐसे सैकड़ों कमेंट्स हैं, जिनमें इस्लामी जमात को कामेश्वर चौपाल के निधन पर खुशी मनाते हुए देखा जा सकता है।
अब यह स्क्रीनशॉट देखिए:
![](https://tfipost.in/wp-content/uploads/sites/2/2025/02/FB-SS-2-300x169.jpg)
‘रोटी के साथ राम का नारा’ और राम मंदिर की पहली ईंट
दलित समाज से आने वाले कामेश्वर की पढ़ाई मधुबनी से हुई थी और यहीं कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उनका संपर्क RSS से हुआ था। बताया जाता है कि उनके एक अध्यापक संघ के कार्यकर्ता थे और उनकी मदद से ही कामेश्वर को कॉलेज में दाखिला मिला था। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे संघ के प्रति समर्पित होकर पूर्णकालिक प्रचारक बन गए थे। कामेश्वर ने संघ के वनवासी कल्याण आश्रम, विश्व हिंदू परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में भी काम किया। 9 नवंबर 1989 को जब राम मंदिर के निर्माण के लिए शिलान्यास का कार्यक्रम था तो वे विश्व हिंदू परिषद के बिहार के संगठन मंत्री के नाते अयोध्या पहुंचे थे।
इस कार्यक्रम में धर्मगुरुओं ने कामेश्वर चौपाल से पहली राम शिला रखने के लिए कहा तो वे बिल्कुल चौंक गए थे। इस कार्यक्रम में देशभर से लाखों लोग इकट्ठा हुए थे और उन्हें खुद भी अंदाजा नहीं था कि धर्मगुरुओं ने एक दलित से ईंट रखवाने का फैसला किया है। इसके बाद उन्होंने पहली राम शिला रखी और RSS की तरफ से उन्हें प्रथम कारसेवक का दर्जा भी दिया गया था। आपको बता दें कि कामेश्वर चौपाल ही वह शख्स हैं जिन्होंने ‘रोटी के साथ राम’ का नारा दिया था। कामेश्वर ने कहा था कि पहली ईंट रखने वाला पल वे जीवन भर नहीं भूल पाएंगे और वो क्षण हमेशा गर्व का अहसास करवाता है।
दो बार MLC रहे कामेश्वर चौपाल
1991 में बीजेपी में शामिल हुए कामेश्वर चौपाल राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे थे। 2004 से लेकर 2014 तक कामेश्वर बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे थे। 1991 उन्होंने रामविलास पासवान के खिलाफ रोसड़ा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन कामेश्वर को सफलता नहीं मिली। इसके अलावा भी उन्होंने कई बार चुनावी मैदान में हाथ आजमाया लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। कामेश्वर की छवि हमेशा ही ऐसे व्यक्ति की रही जो राम मंदिर के लिए पूरी तरह समर्पित थे और इसी के चलते 2020 में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में कामेश्वर को शामिल किया गया था।