डोनाल्ड ट्रंप ने बीती जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद कई बड़े फैसले लिए थे जिनमें एक फैसला पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी, उनके भाई रॉबर्ट एफ. कैनेडी और मार्टिन लूथर किंग की हत्याओं से संबंधित रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने से जुड़ा था। ट्रंप ने इससे जुड़े आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि बहुत सारे लोग वर्षों से, दशकों से इसका इंतजार कर रहे हैं। ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिकी खुफिया विभाग FBI ने इस संबंध में जांच शुरू कर दी थी और कुछ दिनों पहले FBI ने बताया कि उसने जॉन एफ कैनेडी की हत्या से संबंधित 2,400 नए रिकॉर्ड खोजे हैं। FBI ने कहा कि पहले इन दस्तावेज़ों को जेएफके हत्याकांड से संबंधित नहीं माना गया था। FBI के मुताबिक, इन फाइलों को जल्द ही डिक्लासीफाई कर दिया जाएगा।
अमेरिका में चल रही कैनेडी की हत्या से जुड़े रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया के बीच भारत में भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक करने की मांग ने ज़ोर पकड़ लिया है। सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग केंद्र सरकार से नेताजी की 1945 में प्लैन क्रैश में कथित मौत से जुड़े रिकॉर्ड्स को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं। नेताजी की फाइलों से जुड़े मामले को गहराई से समझने के लिए ‘TFI’ ने नेताजी पर ‘The Bose Deception: Declassified‘ समेत कई किताबें लिखने वाले अनुज धर से बातचीत की है। अनुज धर उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने सबसे पहले यूपीए-1 के दौर में मनमोहन सरकार से नेताजी से जुड़े रिकॉर्ड्स को लेकर जानकारी मांगी थी और सरकार पर फाइलों को सार्वजनिक करने का दबाव बनाया था। नेताजी की जिन फाइलों को अब सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है उनमें अधिकतर फाइलें ‘इंटेलिजेंस’ विभाग से जुड़ी हुई हैं।
बोस और कैनेडी के मामले में क्या है समानता?
दुनिया भर में जिन दो लोगों की रहस्यमयी मौत को लेकर सबसे ज़्यादा चर्चा होती है वो जॉन एफ. कैनेडी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही हैं। अनुज धर ने कहा, “लाल बहादुर शास्त्री से राजीव गांधी तक कई लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हुई लेकिन कैनेडी और बोस की मौत को लेकर आम लोगों में सबसे अधिक दिलचस्पी रही है, जिसके चलते ये आज तक चर्चा के केंद्र में रहते हैं।” धर के मुताबिक, इन दोनों की मामलों में सरकार के पक्ष को आम लोग नहीं मानते हैं और दशकों से इनके प्रति लोगों की दिलचस्पी कम नहीं हुई है।
कब-कब सार्वजनिक हुई नेताजी की फाइलें?
यह पहली बार नहीं है जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है। इससे पहले भी केंद्र सरकार और ममता सरकार नेताजी से जुड़ी कई हज़ारों फाइलों को सार्वजनिक कर चुकी हैं। नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक किए जाने की शुरुआत 1997 में हुई थी जब केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने इंडियन नैशनल आर्मी (INA) और बोस से जुड़ी 990 फाइलें सार्वजनिक की थीं। इसके बाद मनमोहन सिंह की सरकार में भी फाइलें सार्वजनिक की गई थीं।
अनुज धर ने कहा, “2005 से हमने नेताजी से जुड़ी फाइलें मांगने की शुरुआत कर दी थी। 2010 में मनमोहन सरकार ने फाइलों को सार्वजनिक करना शुरू कर दिया था। 2012 में ये फाइलें नैशनल आर्काइव में पहुंची और 2014 के आखिरी में यह लोगों को देखने के लिए उपलब्ध कर दी गई थीं।” धर ने कहा, “मनमोहन सिंह सरकार ने 1,200 फाइलें सार्वजनिक की थीं। इसके बाद केंद्र में आई मोदी सरकार ने भी 300 से अधिक फाइलें सार्वजनिक की थीं। साथ ही, 2015 में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने भी 64 फाइलों को सार्वजनिक किया था।”
‘इंटेलिजेंस फाइलों को किया जाए सार्वजनिक’
नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सामने आने के बाद यह खुलासा हुआ था कि जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने बोस के परिवार और उनसे जुड़े कई लोगों की जासूसी कराई थी। इस खुलासे ने पूरे देश में खलबली मचा दी थी और अब एक बार फिर नेताजी से जुड़ी खुफिया फाइलों को पूरी तरह सार्वजनिक करने की मांग तेज़ हो गई है।
अनुज धर का कहना है, “1945 के बाद भी ना केवल नेताजी बल्कि उनसे जुड़े अन्य लोगों की जासूसी कराई गई थी। ऐसे में यह मानना संभव नहीं है कि सरकार के पास इससे जुड़ी फाइलें मौजूद ना हों।” उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इंटेलिजेंस से जुड़ी सभी फाइलों को जल्द से जल्द सार्वजनिक किया जाए ताकि नेताजी की मृत्यु से जुड़ा सच दुनिया के सामने आ सके।
धर ने यह भी कहा कि नेताजी से जुड़ी फाइलें सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों के खुफिया विभागों के पास भी मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि जर्मनी, जापान, इंग्लैंड, रूस, ताइवान और अमेरिका जैसी बड़ी शक्तियों के पास नेताजी से जुड़ी गोपनीय जानकारियां और फाइल्स हैं। इसलिए भारत सरकार को इन देशों से भी नेताजी की फाइलों को सार्वजनिक करवाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि उनके जीवन और मृत्यु से जुड़े रहस्यों से पर्दा उठ सके।
धर ने सरकार से मांग की है कि अब जब अमेरिका जॉन एफ. कैनेडी की खुफिया फाइलों को सार्वजनिक कर रहा है तो भारत को भी अपने नागरिकों के प्रति पारदर्शिता दिखाते हुए नेताजी से जुड़ी इंटेलिजेंस फाइलों को सामने लाना चाहिए। इससे न केवल ऐतिहासिक सच्चाई सामने आएगी बल्कि नेताजी के जीवन और उनकी रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मृत्यु को लेकर दशकों से चले आ रहे विवादों का भी अंत हो सकेगा।