उत्तर प्रदेश के अमेठी ज़िले का मुसाफिरखाना क्षेत्र एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना है, जहां मुस्लिम बहुल क्षेत्र में करीब 20 वर्षों से बंद शिव मंदिर में लंबे इंतजार के बाद रविवार (16 फरवरी) से पूजा-अर्चना शुरू की गई है। इस दौरान विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार एवं हवन-पूजन आदि किया गया है। हर-हर महादेव के गूंजते जयकारों के बाद बना भक्तिमय माहौल गवाही दे रहा था कि हिंदुओं के मठ-मंदिरों और प्रतीकों को कोई भी कट्टरपंथी बहुत समय तक दबा नहीं सकता है। आस्था की लौ जब जलती है तो वह सभी बाधाओं को पार कर लेती है। समय के साथ सत्य और श्रद्धा फिर से स्थापित होते हैं और यही सनातन धर्म की शक्ति है।
दलित ने बनाया था यह मंदिर
औरंगाबाद गांव में स्थित इस मंदिर के परिसर पर पिछले 20 वर्षों से एक विशेष समुदाय द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया था। इसके चलते इस मंदिर में पूजा-अर्चना पूरी तरह बंद हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण 120 वर्ष पहले जेठूराम कोरी नामक दलित द्वारा कराया गया था। जो परिवार इस मंदिर में पूजा करता था वो किसी कारण से चला गया तो क्षेत्र के मुस्लिम कट्टरपंथियों ने मंदिर पर ही कब्जा कर लिया था। इसके बंद मंदिर में पूजा करने की किसी की हिम्मत नहीं बची थी। लेकिन पिछले कुछ वक्त में योगी आदित्यनाथ की सरकार में जिस तरह पुराने मंदिरों पर वापस कब्ज़ा लेने की मांग ने ज़ोर पकड़ा है उसे देखते हुए स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत प्रशासन की थी। इसके बाद प्रशासन ने यहां से अवैध कब्ज़ा हटवाकर मंदिर की साफ-सफाई कराई थी और रविवार को यहां पूजा अर्चना कराई गई है।
मंदिर खुलने पर भावुक हुए ग्रामीण
अमेठी में बीते 20 वर्षों से बंद पड़े इस मंदिर के दोबारा खुलता देख कई लोगों की आंखें भी नम हो गईं। मंदिर में पूजा करने पहुंचे एक बुज़ुर्ग ने भावुक होते हुए कहा कि आज खुशी के आंसू निकल रहे हैं क्योंकि हम वर्षों के बाद अपने मंदिर में पूजा-अर्चना कर पा रहे हैं। वहीं, बीजेपी के ज़िला मंत्री अतुल सिंह ने कहा कि यह सनातन धर्म की आस्था की जीत है। मंदिर में पूजा कराने के दौरान प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। इस दौरान मंदिर के आसपास के क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। साथ ही, सीओ मुसाफिरखाना अतुल सिंह और तहसीलदार खुद भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे थे।