पूरे देश में ईसाई मिशनरी और इस्लामी मौलाना लोगों को बरगलाकर धर्मांतरण के जाल में फंसाने में जुटे हुए हैं। प्रदेश में बढ़ते धर्मांतरण के मामलों को लेकर अरुणाचल प्रदेश सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया था। हालांकि अब इस कानून के चलते ईसाई मिशनरी डरी हुई है। यही कारण है कि धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर ईसाइयों ने अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में गुरुवार ( 6 मार्च, 2024) को प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं, ईसाइयों ने इस कानून को क्रूर बताते हूए कहा है कि इससे यहां हिंसा भड़क सकती है।
धर्मांतरण कानून के खिलाफ ईसाइयों ने यह प्रदर्शन अरुणाचल क्रिश्चियन फोरम (ACF) के बैनर तले किया। इस प्रदर्शन को लेकर ACF के अध्यक्ष तारह मिरी ने कहा है कि इस प्रदर्शन में दो लाख से अधिक ईसाई शामिल हुए। तारह मिरी ने यह भी कहा कि इस कानून से प्रदेश के ईसाइयों को खतरा है, साथ ही धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि यह राज्य चीन की सीमा से सटा हुआ है। यहां हमेशा शांति बनी रहती है। लेकिन अब इस कानून के चलते अशांति फैल सकती है।
वहीं, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस कानून का बचाव करते हुए कहा है कि इससे किसी भी मजहब को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। लोगों को धर्मांतरण से बचाने के लिए लागू साल 1978 में यह कानून लागू किया गया था। इसी तरह अब भी किया जा रहा है। CM खांडू ने यह भी कहा कि इस कानून का उद्देश्य राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है।
बता दें कि इससे पहले धर्मांतरण विरोधी इस कानून को लेकर ACF के प्रतिनिधियों ने अरुणाचल प्रदेश के गृह मंत्री मामा नटुंग से मुलाकात कर अपनी बात रखी थी। ACF इस कानून को खत्म कराने की मांग कर रहा है। साथ ही कहा है कि यदि यह कानून जारी तरह रहा तो अरुणाचल प्रदेश में पड़ोसी राज्य मणिपुर जैसी अशांति हो सकती है। दिलचस्प बात यह है कि जहां एक ओर ईसाई इस कानून का विरोध कर रहे हैं। वहीं अलग-अलग परंपराओं और मान्यताओं को मानने वाली कई जनजातियां और वर्ग धर्मांतरण विरोधी इस कानून का समर्थन कर रहे हैं।
इस कानून को लेकर शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता पीडी सोना ने कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है, लोग अपने-अपने तरीके से कहानी गढ़ रहे हैं। चूंकि अदालत का निर्देश है, इसलिए नियम बनाए जा रहे हैं।
दरअसल, अरुणाचल प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानून में जबरन या प्रलोभन देकर या फिर धोखाधड़ी करते हुए धर्मांतरण कराने पर सजा का प्रावधान है। धर्मांतरण कराते पकड़े जाने पर 2 साल की जेल या 10,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही कानून में यह भी कहा गया है कि राज्य में होने वाले हर धर्मांतरण की सूचना जिला उपायुक्त को देनी होगी। इसकी सूचना न देने पर भी जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
बता दें कि अरुणाचल प्रदेश में धर्मांतरण की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। धर्मांतरण किस तेजी से बढ़ा है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि साल 1971 की जनगणना में अरुणाचल प्रदेश में ईसाइयों की संख्या मात्र 0.79% थी। वहीं, साल 2011 में हुई जनगणना में यह बढ़कर 30.26% हो गयी।

























