नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष पद पर जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी के नाम की पहेली जल्द सुलझने वाली है। अगले भाजपा अध्यक्ष के नाम को लेकर मीडिया में चल रहे कयासों के बीच अभी तक भाजपा और संघ नेतृत्व के बीच नड्डा के उत्तराधिकारी के नाम पर कोई ठोस चर्चा नहीं हो सकी है। सूत्र बताते हैं कि पीएम मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बीच चर्चा के बाद ही पार्टी के नए अध्यक्ष का नाम तय होगा।
संभावना है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत और पीएम मोदी के बीच होली के बाद कभी भी बैठक हो सकती है। वैसे दोनों ही नेताओं के बीच एक दौर की बैठक बीते महीने हो चुकी है, हालांकि अध्यक्ष के नाम को लेकर दोनों के बीच कोई चर्चा नहीं हुई है। इस बीच भाजपा ने अपनी राष्ट्रीय परिषद की बैठक की तिथि तय कर दी है। सूत्रों के अनुसार पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक 18 अप्रैल को दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में होगी, इसी परिषद में पार्टी के नए अध्यक्ष की ताजपोशी पर मुहर लगेगी।
भाजपा संविधान के अनुसार परिषद की मुहर जरूरी
वैसे तो भाजपा संविधान के अनुसार पार्टी के फैसलों के लिए संसदीय बोर्ड संगठन की सबसे ताकतवर यूनिट मानी जाती है। मगर पार्टी अध्यक्ष के चयन और पार्टी संविधान में होने वाले बदलावों के अहम फैसलों पर राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों की मुहर जरूरी होती है। चूंकि बात पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की है, इसलिए राष्ट्रीय परिषद की बैठक का होना भी लाजिम है। अब राष्ट्रीय परिषद की बैठक तय होने के साथ यह स्पष्ट हो चला है कि पार्टी के नए अध्यक्ष के चयन का कार्य जल्द पूरा होने वाला है।
पीएम मोदी और संघ प्रमुख भागवत के स्तर पर होगा नए अध्यक्ष के नाम का चयन
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर इंतजार लंबे अरसे से चला आ रहा है। 2024 में लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद से ही चर्चाओं का दौर तेज था कि संगठन चुनाव संपन्न होने तक पार्टी किसी को कार्यकारी अध्यक्ष बना सकती है। तब स्वयं जेपी नड्डा ने भी इस बात के संकेत दिए थे कि जल्द ही पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष का नाम सामने आएगा। मगर अब तक पार्टी ने उस नाम से परदा नहीं हटाया। सूत्र बताते हैं कि संघ की नाराज़गी की वजह से भाजपा ने कार्यकारी अध्यक्ष के नाम का ऐलान नहीं किया।
अब कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत के स्तर पर चर्चा होने के बाद ही पार्टी के नए अध्यक्ष का नाम तय होगा। अभी तक अधिकारिक रूप से दोनों के बीच बैठक की तिथि तय नहीं हुई है। इस बीच सूत्रों की मानें तो मोदी और भागवत के बीच एक दौर की बैठक तय हुई है। मगर उसमें भाजपा की कमजोरी और संघ के साथ संवादहीनता पर चर्चा ज़रूर हुई है, मगर नए अध्यक्ष के नाम पर चर्चा नहीं हुई है। इस बीच संघ की प्रतिनिधि सभा बैठक 21 से 23 मार्च के बीच बेंगलुरू में होने जा रही है। इस बैठक या इससे पहले दोनों संगठनों के शीर्ष नेतृत्व के बीच चर्चा होकर नए अध्यक्ष का नाम तय हो जाएगा।
मोदी-संघ की पसंद का व्यक्ति बनेगा भाजपा का अगला अध्यक्ष
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर तरह-तरह की अटकलें जारी हैं। मीडिया में कुछ लोग संघ द्वारा मोदी के खिलाफ किसी व्यक्ति को भाजपा का नया अध्यक्ष बनाने का नाम चला रहे हैं तो कुछ लोग पीएम मोदी के पसंद के व्यक्ति को तरजीह देने की खबरें चला रहे हैं। मगर पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में संघ और मोदी दोनों की पसंद को तरजीह दी जाएगी।
अब दोनों ही जगह इस बात को लेकर कवायद जरूर जारी होगी कि वो कौन सा चेहरा है, जो मोदी और भागवत दोनों की पसंद होगा। उक्त नेता की दलील है कि अगर अध्यक्ष पद का चयन एकतरफा होता तो पार्टी को लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद ही कार्यकारी अध्यक्ष मिल जाता। मगर लोकसभा चुनाव के दौरान जेपी नडडा द्वारा संघ को लेकर दिया गए बयान से संघ की नाराजगी थी, इसलिए पार्टी को नया अध्यक्ष नहीं मिल सका। पीएम मोदी भी संघ के साथ संवादहीनता के पक्ष में नहीं है। इसलिए ही नए अध्यक्ष के चयन का मामला लंबा खिंचता चला गया।
यूपी की वजह से हो रही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में देरी
भाजपा अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया में देरी की बड़ी वजह यूपी भाजपा के अध्यक्ष का चुनाव होना भी है। पार्टी संविधान के मुताबिक, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए 50 फीसदी राज्यों में संगठन के चुनाव पूरे होने जरूरी हैं, लेकिन अभी तक 36 राज्यों मे से केवल 12 राज्यों में ही संगठन के चुनाव पूरे हो पाए हैं। यूपी और बिहार सरीखे देश के बड़े राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव अभी संपन्न नहीं हो सका है। दरअसल भाजपा संगठन ने तय किया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में यूपी और बिहार के अध्यक्ष की भागीदारी निश्चित करनी है, इसलिए अध्यक्ष के चुनाव की औपचारिक प्रक्रिया में देरी हो रही है।
सूत्रों की मानें तो 14 मार्च को होली है उसके आसपास ही यूपी के नए अध्यक्ष का चयन होगा, तब जाकर ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। अब तक जिन 12 राज्यों में बीजेपी के संगठन के चुनाव संपन्न हुए हैं उनमें राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, सिक्किम, नगालैंड, असम, चंडीगढ़, लद्दाख, गोवा, जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप और मेघालय शामिल हैं। हरियाणा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और झारखंड जैसे राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष के नाम तय नहीं हुए हैं। तो वहीं, यूपी में अभी तक जिला अध्यक्षों के चुनाव भी नहीं हो सके हैं।
यूपी में महाकुंभ के चलते बीजेपी के संगठन के चुनावों में देरी हो रही है और अगले कुछ दिनों में जिला अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा जिसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। बिहार में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है और दोनों महत्वपूर्ण राज्यों में संगठन के चुनाव पूरे न होने तक पार्टी नए अध्यक्ष के चुनाव में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती है।
18 अप्रैल को बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक
बीजेपी ने 18 अप्रैल को कर्नाटक के बेंगलुरु में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई है। इस बैठक के दौरान ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर आखिरी मुहर लगाई जाएगी। राष्ट्रीय परिषद बीजेपी की सबसे बड़ी निर्वाचित इकाई है जिसमें देशभर से 2,000 से अधिक लोग शामिल हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, बीजेपी इस बैठक से पहले ही अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कर लेगी ताकि परिषद के सदस्य इस फैसले को औपचारिक रूप से मंज़ूरी दे सकें। वर्तमान अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल समाप्त हो गया है और फिलहाल वे एक्सटेंशन पर हैं।
मोदी ने माना कमजोर हुआ संगठन!
सूत्र बताते हैं कि एक शीर्ष संघ अधिकारी के साथ अनौपचारिक बैठक में पीएम मोदी ने माना है कि केंद्र की 10 साल की सत्ता के बाद फोकस सरकार पर ज्यादा होने की वजह से संगठन थोड़ा कमजोर हुआ है। भाजपा को लंबे अरसे तक सत्ता में बनाए रखने के लिए वे भी जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन के पक्षधर हैं। हालांकि संघ द्वारा मीडिया में चुनावी जीत का श्रेय लेने को वे संघ के लिए भी हितकर नहीं मानते हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा के नए अध्यक्ष के चयन में संगठन की मजबूती की चिंता की छाप भी ज़रूर नज़र आएगी।