भारत की स्वच्छता राजधानी इंदौर ने एक बार फिर अपनी साफ-सफाई और अनुशासन की मिसाल पेश की है। रंगपंचमी के मौके पर शहर में निकली भव्य गेर में पांच लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया, होली के रंगों से सराबोर हुए, और पूरे शहर ने उमंग व उत्साह के साथ इस पारंपरिक आयोजन का आनंद उठाया। लेकिन इस विशाल जनसमूह के बावजूद, इंदौर नगर निगम की तत्परता का नतीजा यह रहा कि महज 38 मिनट में पूरा राजवाड़ा क्षेत्र एक बार फिर अपनी मूल स्थिति में लौट आया।
रंगों की बरसात और सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब और इंदौर की बेमिसाल व्यवस्था
इंदौर की रंगपंचमी गेर एक बार फिर पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गई। हर साल की तरह इस बार भी राजवाड़ा और आसपास की गलियां लाखों लोगों की मौजूदगी से गुलजार हो गईं। पांच लाख से ज्यादा लोगों ने रंगों की बारिश में सराबोर होकर होली का जश्न मनाया। वाहन-माउंटेड मोटरों से गुलाल और रंगों की ऐसी बौछार हुई कि पूरा इलाका उत्सव में डूब गया। हर चेहरे पर मुस्कान, हर ओर हंसी-ठिठोली और संगीत की धुनों पर थिरकते लोग—यह नजारा देखने लायक था। लेकिन इस रंग-गुलाल, जूते-चप्पलों और प्लास्टिक की थैलियों से पटे राजवाड़ा क्षेत्र को महज 38 मिनट में पूरी तरह साफ कर देना, यही तो है इंदौर की असली पहचान! जहां कुछ देर पहले हर ओर रंगों की परतें और कचरे का अंबार था, वहां देखते ही देखते नगर निगम की टीम ने चकाचक सफाई कर दी।
इस ऐतिहासिक सफाई अभियान की कमान संभाली नगर निगम के अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अखिलेश उपाध्याय, नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा और अपर आयुक्त रोहित सिसोनिया ने। उनकी देखरेख में सफाई कर्मियों ने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ मात्र 38 मिनट में पूरा इलाका साफ कर दिया। इंदौर की गेर केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि यह शहर के अनुशासन और व्यवस्था का भी प्रतीक बन चुकी है। लाखों लोगों की मौजूदगी और रंगों की मस्ती के बावजूद सफाई की यह मुहिम बताती है कि इंदौर क्यों लगातार स्वच्छता में नंबर वन बना हुआ है। यह सिर्फ प्रशासन की तत्परता नहीं, बल्कि इंदौर के हर नागरिक की जागरूकता और स्वच्छता के प्रति संकल्प का परिणाम है।
इंदौर की यह कार्यशैली न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक सीख है। हर साल लाखों लोग इस गेर में शामिल होते हैं, लेकिन प्रशासनिक कुशलता और जनता के सहयोग से यह आयोजन बेहतरीन तरीके से संपन्न होता है। जब पूरा देश स्वच्छता की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है, तब इंदौर जैसे शहर हमें दिखाते हैं कि सही प्रबंधन, दृढ़ इच्छाशक्ति और जनभागीदारी से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।