हिंदुओं के धार्मिक जुलूसों पर हमलों की घटनाएं जिस तरह बढ़ी रहीं हैं वो दिन दूर नहीं जब खबरें इस तरह होंगी कि बिना पथराव, हमला, दंगे के हिंदुओं का कोई धार्मिक जुलूस निकाला गया है। कट्टरपंथियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि उन्हें पुलिस या किसी अन्य सुरक्षा एजेंसी की कोई चिंता नहीं बची है। दिन-ब-दिन ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और अब झारखंड के हज़ारीबाग में रामनवमी को लेकर निकाले गए मंगला जुलूस पर जामा मस्जिद चौक पर पथराव किए जाने की घटना सामने आई है। वहां मामला इतना बिगड़ गया कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कई बार हवाई फायरिंग तक करनी पड़ी है।
कैसे हुई यह घटना?
रामनवमी के पहले हर मंगलवार को मंगला जुलूस निकाला जाता है और होली के बाद दूसरे मंगलवार को भी मंगला जुलूस निकाला गया था। अलग-अलग अखाड़े विभिन्न चौक-चौराहों से गुज़र रहे थे और लाठी खेला कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब मंगला जुलूस जामा मस्जिद चौक के पास पहुंचा तो जुलूस में मौजूद लोग लाठी खेला कर रहे थे और इसकी दौरान जुलूस पर पत्थर फेंके गए। इसके बाद मामला बढ़ता गया और दोनों पक्षों की और से पथराव शुरू हो गया। पथराव की जानकारी मिलते ही पुलिस के आला अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए और पुलिस हालातों पर काबू पाने की कोशिश करने लगी।
स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग की जिसके बाद स्थिति को काबू में लाया जा सका। एसपी अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया है। इस घटना में तोड़फोड़ किए जाने के मामले भी सामने आए हैं। वहीं, पुलिस सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन फुटेज की जांच कर रही है और आरोपियों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही, दोनों पक्षों के लोगों को समझाने बुझाने और इलाके में शांति स्थापित करने की कोशिश की जा रही है।
क्यों बढ़ रहे कट्टरपंथियों के हौसले?
हिंदुओं के धार्मिक जुलूसों पर हमलों के बाद आरोपियों पर कठोर कार्रवाई ना किए जाने के चलते कट्टरपंथियों के हौसले दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। जब कट्टरपंथियों को कड़ी सज़ा दिए जाने की ज़रूरत है वहां पुलिस शांति सभाएं कराकर अपना काम निपटा ले रही है। पथराव करने वाले या हमले करने वाले लोगों को कानून का भय नहीं रह गया है। कथित शांतिप्रिय समुदाय की आक्रामक उग्र भीड़ ने हिंदुओं का उनके अपने ही देश में जीना मुश्किल कर दिया है। तुष्टिकरण का खेल करने वाले राजनीति दल भी ऐसे मामलों में कट्टरपंथियों के खिलाफ बोलने से बचते रहते हैं क्योंकि इससे उनके वोट बैंक को चोट पड़ती है।