राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने मराठी भाषा को लेकर उनके एक बायन के बाद हुए विवाद को लेकर सफाई दी है। भैयाजी जोशी ने कहा कि उनके बयान को लेकर लोगों को गलतफहमी हो गई थी। भैयाजी जोशी ने कथित तौर पर मुंबई आने के लिए मराठी ना सीखने की बात कही थी। RSS नेता के बयान पर शिवसेना (UBT) और एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इस बयान को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में भी बीजेपी और शिवसेना (UBT) विधायकों के बीच झड़प हो गई थी और विवाद पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी विधानसभा में प्रतिक्रिया दी है।
किस बयान को लेकर विवाद?
सुरेश भैयाजी जोशी के जिस बयान को लेकर विवाद हो रहा है वह उन्होंने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान दिया था। जोशी ने मराठी के बारे में बात करते हुए कहा था कि मुंबई की कोई एक भाषा नहीं है तो मुंबई आने या यहां रहने के लिए मराठी सीखने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा था, “मुंबई में एक नहीं, कई भाषाएं हैं। मुंबई के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं, घाटकोपर इलाके की भाषा गुजराती है। इसलिए अगर आप मुंबई में रहते हैं या फिर यहां आना चाहते हैं तो यह जरूरी नहीं है कि आपको मराठी सीखनी पड़े।” इसके बाद ही यह विवाद शुरू हो गया था।
भैयाजी जोशी ने दी सफाई
जब भैयाजी जोशी के बयान को लेकर विवाद शुरू हुआ तो उन्होंने इस पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान को लेकर गलतफहमी हुई है और ऐसा सवाल ही नहीं उठता है कि मुंबई की भाषा मराठी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब महाराष्ट्र की भाषा मराठी है और मुंबई महाराष्ट्र में है तो स्वाभाविक तौर पर मुंबई की भाषा मराठी है। उन्होंने कहा, “मराठी मेरी मातृभाषा है और मुझे इस पर गर्व है। मुंबई में भी विभिन्न भाषाओं के बोलने वाले लोग रहते हैं। स्वाभाविक तौर पर यह अपेक्षा रहती है कि वे लोग भी मुंबई में रहकर मराठी सीखें।”
विधानसभा में क्या बोले फडणवीस?
भैयाजी जोशी के इस बयान को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में भी झड़प हो गई। विधानसभा में बीजेपी और शिवसेना (UBT) विधायकों इसे लेकर भिड़ गए। मुख्यमंत्री फडणवीस ने भी विधानसभा में इसे लेकर प्रतिक्रिया दी है। फडणवीस ने इस मुद्दे पर विधानसभा में कहा कि मुंबई, महाराष्ट्र और राज्य सरकार की भाषा मराठी है। उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले लोगों को मराठी भाषा को सीखना चाहिए। फडणवीस ने मराठी भाषा को महाराष्ट्र की संस्कृति और पहचान का हिस्सा बताते हुए इसे सीखना हर नागरिक का कर्तव्य बताया है।