‘माही अपना मिडास टच खो चुके हैं’, ‘धोनी के भीतर का योद्धा अब लड़ने को तैयार नहीं है’, ‘चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) धोनी को ज़बरदस्ती ढो रही है’ CSK के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को लेकर ऐसे ही सैकड़ों-हज़ारों मेसेज सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं। शुक्रवार को चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में CSK और RCB (रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु) के बीच IPL का मुकाबला खेला गया था। इस मैच में RCB ने CSK को 50 रनों से हरा दिया और एक समय दुनिया के सबसे शानदार फिनिशरों में गिने जाने वाल धोनी 9वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने उतरे जिसे लेकर खूब चर्चा या कहें कि उनकी आलोचना हो रही है।
मैच में RCB ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 20 ओवरों में 7 विकेट खोकर 196 रन का विशालकाय स्कोर खड़ा किया। यह स्कोर चेन्नई की पिच पर औसत से ज़्यादा माना जा रहा था। ऐसे में CSK को जीतने के लिए तेज़ बल्लेबाज़ी करने की ज़रूरत थी और उसी कोशिश में 26 रनों पर चेन्नई के 3 विकेट गिर गए। पांचवे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आए सैम करन 13 गेदों में 8 रन और छठे नंबर पर आए शिवम दुबे 15 गेंदों में 19 रन ही बना सके। इसके बाद सातवें नंबर पर आए जडेजा और आठवें पर आए आर अश्विन इस बीच चेन्नई के सबसे बड़े फिनिशर ड्रेसिंग रूम में शीशे के पीछे शेडो प्रेक्टिस कर रहे थे, मैच चेन्नई के हाथ से निकलता जा रहा था और अश्विन 15वें ओवर की दूसरी गेंद पर जब आउट हो गए तो 9वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आए धोनी, CSK को उस समय 28 गेंदों में 98 रन बनाने थे। मैच चेन्नई के हाथ से लगभग निकल चुका था।
यह धोनी के टी20 करियर में दूसरा ही मौका था जब वह 9वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने उतरे हों। धोनी ने पहली 7 गेंदों पर सिर्फ 5 रन बना यानी धोनी मान चुके थे कि यह मैच उनकी टीम हार चुकी है। हालांकि, उन्होंने आखिरी ओवर में दो छक्के और दो चौके लगाकर दर्शकों को खुश कर दिया लेकिन यह उनकी टीम के लिए नाकाफी था। मैच में धोनी ने 187.5 के स्ट्राइक रेट के साथ 16 गेंदों पर 30 रनों की पारी खेली। कभी आखिरी दम तक टीम के लिए जूझने वाले धोनी इस मैच में क्रिकेटर से ज़्यादा एंटरटेनर नज़र आए। एक समय धोनी ने अपनी बल्लेबाज़ी के दम पर किस हद तक लोगों का विश्वास जीत लिया था इसे एक किस्से से समझा जा सकता है।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सलाहकार और करीबी सहयोगी रहे सृजन पाल सिंह ने धोनी के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा के बाद यह किस्सा साझा किया था। सृजन पाल सिंह ने बताया कि डॉ. कलाम टीवी पर क्रिकेट मैच नहीं देखते थे क्योंकि उनका शेड्यूल बहुत व्यस्त रहता था। हालांकि, जब भी भारत कोई मैच खेल रहा होता वह सृजन स्कोर पूछते थे। अगर सृजन कहते कि भारत की स्थिति अच्छी नहीं है तो डॉ. कलाम पूछते, “क्या कप्तान (धोनी) अभी भी नॉट आउट है?” अगर जवाब “हां” होता, तो वह मुस्कुराते और कहते, “चिंता मत करो, कप्तान सब ठीक कर देगा।”
धोनी ने यह विश्वास अपने बल्लेबाज़ी के दम पर बनाया था लेकिन अब शायद 43 साल के धोनी पर भी उम्र अपना असर दिखा रही है। हालांकि, विकेटों के पीछे अब भी उनके हाथ पूरी तेज़ी से स्टंपिंग करते हैं लेकिन घुटने में चोट के चलते विकेटों के बीच उनकी दौड़ मंद पड़ गई है। हर बॉल को जैसे वह मैदान के बाहर ही पहुंचा देंगे वाला जज़्बा भी अब नज़र नहीं आता है। पिछले कुछ वर्षों से धोनी IPL में आखिरी 2-3 ओवरों में बल्लेबाज़ी करने आते हैं और कई बार आकर्षक शॉट भी लगाते हैं जिससे उनके फैंस में नई तरह की ऊर्जा का संचार हो जाता है और वे एक और सीज़न में अपने ‘थाला’ को देखने का इंतज़ार करते हैं। देश के जिस भी हिस्से में IPL का मैच हो वहां CSK की पीली जर्सी की भरमार दिखती है और यह करिश्मा धोनी का ही है।
अब जब फैंस थाला से इतना प्यार करते हैं तो क्या धोनी की ज़िम्मेदारी नहीं बनती की वे टीम के मुश्किल दौर में जल्दी मैदान पर आएं और लड़ने की कोशिश करते दिखें। हो सकता है कि धोनी अगर पहले आते तो भी चेन्नई ना जीत पाता, हो सकता है कि धोनी कोई बड़ा शॉट मारते हुए जल्दी आउट हो जाते लेकिन एक योद्धा की सबसे बड़ी पहचान क्या उसकी लड़ाई ही नहीं है? अगर धोनी पहले आते और आक्रामक अंदाज़ में खेलते भले ही वह इसमें असफल हो जाते, तो भी फैंस को यह देखकर सुकून ज़रूर मिलता कि उनका हीरो मैदान पर डटा हुआ है।
धोनी का मौजूदा रोल फिनिशर का रहा है और वह इसमें माहिर भी हैं। लेकिन जब टीम पहले ही दबाव में हो और ऊपरी क्रम ढह चुका हो, तो क्या उनकी ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि वह रणनीति बदलें? 9वें नंबर पर धोनी की बल्लेबाज़ी ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या वह अब सिर्फ भीड़ को खुश करने के लिए खेल रहे हैं या टीम को जीत दिलाने की पुरानी भूख अभी बाकी है। फैंस की मैदान पर उनकी लड़ाई देखने की चाहत इसलिए भी थी क्योंकि वे जानते हैं कि धोनी में वह जादू है, जो हारी हुई बाजी को पलट सकता है। हो सकता है कि यह धोनी का आखिरी सीज़न हो, हालांकि ये कयास पिछले कई सीज़न से लगाए जा रहे हैं लेकिन अगले सीज़न उनके खेलने की संभावना कम ही है। ऐसे में आखिरी दौर में अगर योद्धा लड़ता हुआ नज़र आए तो इससे ना केवल दर्शकों पर सकारात्मक असर दिखेगा बल्कि यह फ्रैचाइज़ी के लिए भी बेहतर होगी।
यह तय है कि धोनी क्रिकेट सिर्फ दो वजहों से ही खेल रहे हैं- पहली वजह है उनके फैंस और दूसरी है क्रिकेट के प्रति उनका जुनून। जीत के जिस जुनून ने माही को भारत की सबसे सफल कप्तान बनाया है वो जुनून आखिरी दम तक नज़र आए तो बेहतर ही है। धोनी के इतने नीचे बल्लेबाज़ी के लिए आने पर इरफान पठान से लेकर हर्षा भोगले तक ने सवाल उठाए हैं। शायद ही भारत का कोई क्रिकेट प्रेमी होगा जो धोनी के इस फैसले को सही बताएगा। हालांकि, धोनी से बेहतर खेल को समझने वाले लोग कम ही हैं तो उन्होंने ज़रूर कुछ सोचा ही होगा।