प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर मॉारीशस पहुंच चुके हैं, जहां एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत हुआ। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम प्रोटोकॉल तोड़कर पीएम मोदी की अगवानी करने एयरपोर्ट पहुंचे। यही नहीं उनके साथ मॉरीशस के नेता विपक्ष, संसद के स्पीकर, चीफ जस्टिस और अन्य वीआईपी भी पीएम मोदी के स्वागत के लिए एयरपोर्ट पहुंचे। पीएम मोदी मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम के निमंत्रण पर मॉरीशस पहुंचे हैं, जहां कल वो मॉरीशस के 57वें राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इस समारोह में भारतीय नौसेना के एक जहाज के साथ भारतीय रक्षा बलों की एक टुकड़ी भी भाग लेगी। यह प्रधानमंत्री मोदी की 2015 के बाद पहली मॉरीशस यात्रा है। प्रधानमंत्री मोदी की वर्तमान यात्रा से विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूती मिलने की उम्मीद है। पीएम मोदी ने इस यात्रा से पहले मॉरीशस को करीबी समुद्री पड़ोसी, हिंद महासागर में एक प्रमुख साझेदार और अफ्रीकी महाद्वीप का प्रवेश द्वार बताया है।
पिछले महीने मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने देश की संसद को प्रधानमंत्री मोदी की आगामी यात्रा के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे सदन को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मेरे निमंत्रण पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारे राष्ट्रीय दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि बनने पर सहमति व्यक्त की है।” मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “यह वास्तव में हमारे देश के लिए एक विशेष सम्मान की बात है कि हम ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की मेजबानी कर रहे हैं, जो अपने व्यस्त कार्यक्रम और हाल ही में पेरिस और अमेरिका की यात्रा के बावजूद हमें यह सम्मान दे रहे हैं। वह हमारे विशेष अतिथि के रूप में यहां आने के लिए सहमत हुए हैं। पीएम मोदी की यात्रा हमारे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का प्रमाण है।”
उच्च स्तरीय सहभागिता भारत-मॉरीशस द्विपक्षीय साझेदारी की एक नियमित विशेषता बनी हुई है। जुलाई 2024 में, विदेश मंत्री (ईएएम) एस. जयशंकर ने मॉरीशस की दो दिवसीय यात्रा की थी। उन्होंने न केवल तत्कालीन पीएम प्रविंद कुमार जगन्नाथ के साथ बल्कि रामगुलाम के साथ भी द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा की थी।’ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 2024 में मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस के लिए मुख्य अतिथि थीं। वहीं मॉरीशस ने 2014, 2019 और 2024 में पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया । मॉरीशस 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन के लिए एक ‘विशेष आमंत्रित’ देश था।
भारत के लिए क्यों अहम है मॉरीशस?
भारत और मॉरीशस के बीच संबंध का इतिहास सदियों पुराना है। मॉरीशस की 1.2 मिलियन आबादी में से करीब 70% भारतीय मूल के हैं इसलिए इसे मिनी इंडिया भी कहा जाता है। भारत-मॉरीशस के संबंध कूटनीति से आगे बढ़कर लोगों के आपसी संबंधों तक फैला हुआ है। भारत 2005 से मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक रहा है और यह संबंध अलग-अलग क्षेत्रों में फैली मजबूत साझेदारी के तौर पर विकसित हुआ है।
मॉरीशस में भारत ने उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों का समर्थन किया था और भारत चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस के क्षेत्रीय दावे का समर्थन करता है। मॉरीशस को 1968 में स्वतंत्रता मिली था और तभी से भारत के साथ अपने राजनयिक संबंध स्थापित किए। 1983 में भारत और मॉरीशस के बीच डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) पर हस्ताक्षर किए थे और मॉरीशस, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक प्रमुख मार्ग बन गया था। 2005 से भारत मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक रहा है। वित्त वर्ष 2022-2023 में मॉरीशस को भारत का निर्यात 462.69 मिलियन अमेरिकी डॉलर था तो वहीं भारत को मॉरीशस का निर्यात 91.50 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और कुल व्यापार 554.19 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा था। पिछले 17 वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में 132% की वृद्धि हुई है।
सनातन से मॉरीशस का नाता
मॉरीशस का हिंदू धर्म और भारत से गहरा सांस्कृतिक संबंध रहा है। मॉरीशस में बड़ी संख्या में हिंदू आबादी है और यहां सैकड़ों की संख्या में मंदिर हैं। यहां की करीब आधी आबादी हिंदू है और बड़े पैमाने पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मॉरीशस में रामायण गान भी किया जाता है और यहां सैकड़ों रामायण मंडलियां हैं। साथ ही, यहां होली, दीपावली, रक्षाबंधन जैसे त्यौहार भी धूमधाम से मनाए जाते हैं। नरेंद्र मोदी ने 1998 में मॉरीशस के मोका की यात्रा की थी, तब वे बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर काम कर रहे थे और 2 से 8 अक्टूबर 1998 के बीच उन्होंने मोका में ‘अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन’ को संबोधित किया था।