RSS की प्रतिनिधि सभा: हिंदू समाज को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए होगा मंथन

आगामी 100 सालों में संघ के विचार और कार्यशैली को भविष्य की पीढ़ियों तक प्रभावी रूप से पहुँचाने के लिए कार्यकर्ता विकास वर्ग पर होगा विशेष फोकस

श्री सुनील आंबेकर (अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख) की प्रेस वार्ता

श्री सुनील आंबेकर (अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख) की प्रेस वार्ता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) इस वर्ष विजयादशमी पर अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। 1925 में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित संघ ने बीते 100 वर्षों में हिंदू समाज को संगठित करने और राष्ट्रनिर्माण के अपने संकल्प को मजबूती से आगे बढ़ाया है। अब, संघ के अगले 100 वर्षों की कार्ययोजना तय करने के लिए आगामी 21, 22 एवं 23 मार्च को बेंगलुरु में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जा रही है। इस बैठक में हिंदू समाज को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में संघ द्वारा प्राथमिकताएँ तय की जाएंगी। साथ ही, राष्ट्रीय जागरण, सामाजिक समरसता, और राष्ट्रहित से जुड़े अभियानों को और अधिक प्रभावी बनाने पर भी मंथन होगा।

संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने प्रेस वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि इस बैठक में संघ की दीर्घकालिक रणनीति को नया आधार देने वाले दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, संघ की विचारधारा और कार्यशैली को भावी पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए कार्यकर्ता विकास वर्ग को और सशक्त बनाया जाएगा। इस शताब्दी वर्ष कुल 95 प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किए जाएंगे, जो हिंदू समाज को संगठित करने और राष्ट्रनिर्माण में संघ की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाएंगे।

इन दो प्रस्तावों पर होगी चर्चा

इस प्रेस ब्रीफिंग में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने बताया कि इस विजयदशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। ऐसे समय में कल से शुरू हो रही तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक संघ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सभा संघ की कार्ययोजना, आगामी रणनीति और संगठनात्मक विस्तार को नई दिशा देने के लिए आयोजित की जा रही है। संघ के दृष्टिकोण से यह सभा सबसे महत्वपूर्ण और नीतिगत निर्णयों का केंद्र होती है और प्रतिवर्ष इसका आयोजन किया जाता है। बैठक की शुरुआत में ही सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले वर्ष 2024-25 का कार्यवृत्त प्रस्तुत करेंगे, जिसमें संघ की गतिविधियों, सामाजिक प्रभाव और संगठन के विस्तार की समीक्षा की जाएगी।

इस महत्वपूर्ण बैठक में दो प्रमुख प्रस्ताव अनुमोदन के लिए कार्यकारी मंडल में रखे जाएंगे, जिन्हें अंतिम निर्णय के लिए प्रतिनिधि सभा के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। पहला प्रस्ताव बांग्लादेश में हो रही घटनाओं और हिंदू समाज की स्थिति को लेकर है। संघ इस विषय पर गंभीर मंथन करेगा कि इन घटनाओं के संदर्भ में संघ की आगामी भूमिका क्या होनी चाहिए। हिंदू समाज पर हो रहे अत्याचारों और धार्मिक असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं को लेकर संघ अपनी रणनीति स्पष्ट करेगा। कार्यकारी मंडल इस प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा करेगा और उसके बाद इसे प्रतिनिधि सभा के समक्ष रखा जाएगा, जहाँ अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

दूसरा प्रस्ताव संघ की 100 वर्षों की यात्रा और भविष्य की योजनाओं से जुड़ा होगा। संघ ने अपने शताब्दी वर्ष तक हिंदू समाज को सशक्त करने और राष्ट्र निर्माण में जो योगदान दिया है, उसकी समीक्षा इस बैठक का एक प्रमुख विषय रहेगा। इस प्रस्ताव में समाज के प्रति संघ की कृतज्ञता को रेखांकित किया जाएगा, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आने वाले 100 वर्षों में संघ की दिशा क्या होगी। बैठक में इस पर भी मंथन होगा कि हिंदू समाज को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए किन योजनाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, और कौन-कौन से राष्ट्रहित से जुड़े अभियान संघ के प्रमुख कार्यों का हिस्सा बनेंगे।

आगामी चुनावों के मद्देनजर संघ की निर्णायक बैठक

इस तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में लिए जाने वाले निर्णय न सिर्फ संघ के आगामी 100 वर्षों की कार्ययोजना को दिशा देंगे, बल्कि राष्ट्र के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की रणनीति भी तय करेंगे। TFI के सूत्रों के अनुसार बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में संघ की भूमिका और विस्तार पर गहन मंथन होगा। बंगाल और केरल में हिंदू समाज को संगठित करने की चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं, जबकि बिहार में भी सामाजिक और वैचारिक स्तर पर संघ की सक्रियता को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस बैठक में संघ के कार्य विस्तार, हिंदू समाज की एकजुटता और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य बोध को मजबूत करने की दिशा में ठोस योजनाएँ तैयार की जाएंगी।

2025 के अंत में बिहार और 2026 में पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में होने वाले विधानसभा चुनावों के परिप्रेक्ष्य में भी संघ की भूमिका अहम रहेगी। इन राज्यों में सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्रवादी विचारधारा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए संघ की शाखाओं, सेवा गतिविधियों और जनजागरण अभियानों के विस्तार पर विशेष चर्चा की जाएगी। इस बैठक में यह भी तय किया जाएगा कि संघ कैसे स्थानीय समाज के मुद्दों से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता देकर, जनसंपर्क और हिंदू समाज को संगठित करने की अपनी गतिविधियों को और व्यापक बना सकता है।

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