2008 में जयपुर को दहला देने वाले सीरियल बम धमाकों के एक अहम प्रकरण में आखिरकार 17 साल बाद न्याय का पल आया। विशेष अदालत ने चार दोषी आतंकियों शाहबाज हुसैन, सरवर आज़मी, मोहम्मद सैफ और सैफुर रहमान को दोषी ठहराया था, जिन्हें मंगलवार को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। चौंकाने वाली बात ये रही कि जब कोर्ट उन्हें सज़ा सुना रहा था, ये चारों आतंकी बिलकुल भी शर्मिंदा नहीं दिखे, चेहरों पर पश्चाताप नहीं, बल्कि मुस्कराते हुए अदालत में खड़े थे, जैसे उन्होंने कोई अपराध नहीं, कोई जीत हासिल की हो।
विशेष न्यायाधीश रमेश कुमार जोशी ने इस भीषण आतंकी हमले से जुड़े मामले में चारों को दोषी करार देते हुए 600 पन्नों का विस्तृत फैसला सुनाया, जिसमें उम्रकैद के साथ-साथ आतंक के खिलाफ सख्त संदेश भी शामिल था। बता दें कि यह मामला उन ज़िंदा बमों में से एक से जुड़ा था जो धमाकों के समय बरामद किया गया था।
चांदपोल हनुमान मंदिर के पास मिला था बम
साल 2008 की वो शाम आज भी जयपुर के लोगों के ज़ेहन में ताज़ा है, जब चांदपोल के पास स्थित हनुमान मंदिर के बाहर अचानक एक जिंदा बम मिलने की खबर ने पूरे शहर को दहशत में डाल दिया था। इसी मामले में विशेष न्यायाधीश रमेश कुमार जोशी ने 4 अप्रैल को चारों आरोपियों सैफुर रहमान, मोहम्मद सैफ, सरवर आज़मी और शाहबाज हुसैन को दोषी करार देते हुए फैसला सुरक्षित रखा था। जिसे मंगलवार को सुनाते हुए सभी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। अदालत ने उन्हें न सिर्फ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121-ए, 124-ए, 153-ए, 307, बल्कि UAPA (1967) की धारा 18, और विस्फोटक अधिनियम (1908) की धारा 4 और 5 के तहत भी आतंकी गतिविधियों में संलिप्त पाया।
इन चारों में से शाहबाज को छोड़कर बाकी तीन आतंकियों को पहले सीरियल ब्लास्ट केस में फांसी की सज़ा मिली थी, लेकिन हाईकोर्ट ने तकनीकी कारणों से उन्हें बरी कर दिया। फिलहाल, राज्य सरकार ने उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, ताकि इन आतंकियों को सज़ा से राहत न मिल सके।हैरान करने वाली बात ये रही कि जब कोर्ट में सज़ा सुनाई जा रही थी, तब ये आतंकी चेहरे पर कोई पछतावा लिए बिना हँसते नज़र आए मानो उन्हें मासूमों की मौत का कोई अफ़सोस ही न हो।
एक के बाद एक 8 धमकों से दहल उठा था जयपुर
13 मई 2008 की शाम जयपुर के लिए एक काले दिन के रूप में दर्ज है। शाम 7:20 बजे पहला धमाका खान बाजार में हावा महल के सामने हुआ, जिसमें 1 महिला की मौत हो गई और 18 लोग घायल हो गए। इसके बाद 7:25 बजे दूसरा धमाका बड़ी चौपड़ के पास स्थित मंदिरों के सामने हुआ, जिसमें 6 लोगों की जान गई और 27 लोग घायल हुए। 7:27 बजे तीसरा धमाका कोतवाली के बाहर, जिसमें पुलिसकर्मी समेत 7 लोगों की मौत हुई और 17 घायल हुए। फिर 7:30 बजे चौथा धमाका त्रिपोलिया बाजार में हुआ, जिसमें 5 मौतें और 4 घायल हुए। ठीक उसी वक्त, 7:30 बजे, हनुमान मंदिर के पास पार्किंग स्टैंड पर पांचवां धमाका हुआ, जो सबसे भयानक साबित हुआ—25 मौतें और 49 घायल।
इसके कुछ ही क्षण बाद, 7:30 बजे, छठा धमाका शिवजी बाजार में नेशनल हैंडलूम के पास हुआ, जिसमें 9 की मौत हुई और 19 लोग घायल हो गए। फिर 7:35 बजे, सातवां धमाका छोटी चौपड़ पर झालाना जैवलर्स के सामने हुआ, जिसमें 3 मौतें और 15 घायल हुए। 7:36 बजे, आठवां धमाका सांगानेरी गेट के पास हनुमान मंदिर के बाहर हुआ, जिसमें 17 की जान चली गई और 36 लोग घायल हुए।
इतना ही नहीं, इस पूरे हमले में आतंकियों ने एक जिंदा बम भी लगाया था, जो चांदपोल बाजार में एक साइकल के नीचे मिला था। टाइमर सेटिंग से लैस इस बम को डिफ्यूज़ल स्क्वाड ने समय रहते निष्क्रिय कर दिया, वरना तबाही और बढ़ सकती थी।