TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    बिहार 2025: नीतीश के अनुभव बनाम तेजस्वी की चुनौती, PK के प्रयोग से सियासत में रोमांच

    बिहार 2025: नीतीश के अनुभव बनाम तेजस्वी की चुनौती, PK के प्रयोग से सियासत में रोमांच

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    विजयादशमी पर सरसंघचालक का संदेश: आत्मनिर्भर भारत की वैश्विक भूमिका

    विजयादशमी पर सरसंघचालक का संदेश: आत्मनिर्भर भारत की वैश्विक भूमिका

    नहीं बच पाएंगे बरेली हिंसा के आरोपी, पुलिस अब इस सॉफ्टवेयर से पकड़ेगी आरोपियों को

    नहीं बच पाएंगे बरेली हिंसा के आरोपी, पुलिस अब इस सॉफ्टवेयर से पकड़ेगी आरोपियों को

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    अमेरिका में शटडाउन: अमेरिका में फंडिंग बिल पास नहीं करा पाए ट्रम्प, ठप हुआ सरकार काम कामकाज, जानें अब क्या?

    अमेरिका में शटडाउन: अमेरिका में फंडिंग बिल पास नहीं करा पाए ट्रम्प, ठप हुआ सरकार काम कामकाज, जानें अब क्या?

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम: कर्नाटक में बनेगा H125 हेलिकॉप्टर

    आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम: कर्नाटक में बनेगा H125 हेलिकॉप्टर

    ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट हुए थे पाकिस्तान के एक दर्जन से ज्यादा विमान, AWACS समेत कई F-16 भी हुए थे तबाह- वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तान का करवाया सच से सामना

    ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट हुए थे पाकिस्तान के एक दर्जन से ज्यादा विमान, AWACS समेत कई F-16 भी हुए थे तबाह- वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तान का करवाया सच से सामना

    शताब्दी विजयादशमी : मोहन भागवत ने दिखाई भारत की राह, गांधी-शास्त्री से हिंदू राष्ट्र तक

    शताब्दी समारोह : मोहन भागवत ने दिखाई भारत की राह, गांधी-शास्त्री से हिंदू राष्ट्र तक

    अमेरिका ने भारत को सौंपा चौथा GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A प्रोग्राम को मिलेगी रफ्तार

    अमेरिका ने भारत को सौंपा चौथा GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A प्रोग्राम को मिलेगी रफ्तार

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    “भारत का सब्र टूटा: क्या संयुक्त राष्ट्र से बाहर निकलना ही रास्ता है?”

    भारत का सब्र टूटा: क्या संयुक्त राष्ट्र से बाहर निकलना ही रास्ता है?

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    कैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाकर रचा इतिहास और संयुक्त राष्ट्र के हॉल में गूंजाई भारत की आवाज़

    कैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाकर रचा इतिहास और संयुक्त राष्ट्र के हॉल में गूंजाई भारत की आवाज़

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    देवगढ़ किला और गढ़रियार राजवंश की 400 साल पुरानी तोपों का विवाद: 12 साल पहले लिया था सेना ने अपने कब्जे में, अब राजवंश परिवार मांग रहे अपनी तोपें

    देवगढ़ किला और गढ़रियार राजवंश की 400 साल पुरानी तोपों का विवाद: 12 साल पहले लिया था सेना ने अपने कब्जे में, अब राजवंश परिवार मांग रहे अपनी तोपें

    विजयादशमी, राम की रावण पर विजय और भगवद्गीता में अर्जुन को दिए गए कृष्ण के उपदेश के माध्यम से चित्रित — जो धर्म पर अधर्म की शाश्वत विजय का प्रतीक है।

    अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजयदशमी को भागवद्गीता की दृष्टि से देखने पर क्या मिलता है?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    बिहार 2025: नीतीश के अनुभव बनाम तेजस्वी की चुनौती, PK के प्रयोग से सियासत में रोमांच

    बिहार 2025: नीतीश के अनुभव बनाम तेजस्वी की चुनौती, PK के प्रयोग से सियासत में रोमांच

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    विजयादशमी पर सरसंघचालक का संदेश: आत्मनिर्भर भारत की वैश्विक भूमिका

    विजयादशमी पर सरसंघचालक का संदेश: आत्मनिर्भर भारत की वैश्विक भूमिका

    नहीं बच पाएंगे बरेली हिंसा के आरोपी, पुलिस अब इस सॉफ्टवेयर से पकड़ेगी आरोपियों को

    नहीं बच पाएंगे बरेली हिंसा के आरोपी, पुलिस अब इस सॉफ्टवेयर से पकड़ेगी आरोपियों को

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    भ्रष्टाचार की सड़ांध और चेन्नई से Wintrack Inc की विदाई: जब सरकार और अफ़सर दोनों जिम्मेदार हों

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    अमेरिका में शटडाउन: अमेरिका में फंडिंग बिल पास नहीं करा पाए ट्रम्प, ठप हुआ सरकार काम कामकाज, जानें अब क्या?

    अमेरिका में शटडाउन: अमेरिका में फंडिंग बिल पास नहीं करा पाए ट्रम्प, ठप हुआ सरकार काम कामकाज, जानें अब क्या?

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम: कर्नाटक में बनेगा H125 हेलिकॉप्टर

    आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम: कर्नाटक में बनेगा H125 हेलिकॉप्टर

    ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट हुए थे पाकिस्तान के एक दर्जन से ज्यादा विमान, AWACS समेत कई F-16 भी हुए थे तबाह- वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तान का करवाया सच से सामना

    ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट हुए थे पाकिस्तान के एक दर्जन से ज्यादा विमान, AWACS समेत कई F-16 भी हुए थे तबाह- वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तान का करवाया सच से सामना

    शताब्दी विजयादशमी : मोहन भागवत ने दिखाई भारत की राह, गांधी-शास्त्री से हिंदू राष्ट्र तक

    शताब्दी समारोह : मोहन भागवत ने दिखाई भारत की राह, गांधी-शास्त्री से हिंदू राष्ट्र तक

    अमेरिका ने भारत को सौंपा चौथा GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A प्रोग्राम को मिलेगी रफ्तार

    अमेरिका ने भारत को सौंपा चौथा GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A प्रोग्राम को मिलेगी रफ्तार

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    भारत के फैसलों पर सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप के सहयोगी ने ही अमेरिका को सुनाया

    “भारत का सब्र टूटा: क्या संयुक्त राष्ट्र से बाहर निकलना ही रास्ता है?”

    भारत का सब्र टूटा: क्या संयुक्त राष्ट्र से बाहर निकलना ही रास्ता है?

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    साम्राज्य का क्षय बनाम राष्ट्र का उत्थान: अमेरिका और भारत की दो राहें

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    कैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाकर रचा इतिहास और संयुक्त राष्ट्र के हॉल में गूंजाई भारत की आवाज़

    कैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचाकर रचा इतिहास और संयुक्त राष्ट्र के हॉल में गूंजाई भारत की आवाज़

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    भारत-अफगान रिश्तों की नई उड़ान: काबुल से दिल्ली तक, बदलते समीकरणों के बीच नई रणनीतिक धारा

    देवगढ़ किला और गढ़रियार राजवंश की 400 साल पुरानी तोपों का विवाद: 12 साल पहले लिया था सेना ने अपने कब्जे में, अब राजवंश परिवार मांग रहे अपनी तोपें

    देवगढ़ किला और गढ़रियार राजवंश की 400 साल पुरानी तोपों का विवाद: 12 साल पहले लिया था सेना ने अपने कब्जे में, अब राजवंश परिवार मांग रहे अपनी तोपें

    विजयादशमी, राम की रावण पर विजय और भगवद्गीता में अर्जुन को दिए गए कृष्ण के उपदेश के माध्यम से चित्रित — जो धर्म पर अधर्म की शाश्वत विजय का प्रतीक है।

    अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजयदशमी को भागवद्गीता की दृष्टि से देखने पर क्या मिलता है?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

जयंती विशेष: कभी आपतकाल के समर्थक रहे जगजीवन राम को कैसे हुआ इंदिरा से बैर?

50 साल सांसद, 30 साल तक मंत्री कुछ ऐसा था 'बाबू जी' राजनितिक संघर्ष

himanshumishra द्वारा himanshumishra
5 April 2025
in इतिहास, चर्चित
बाबूजी जगजीवन राम

बाबूजी जगजीवन राम (Image Source: google)

Share on FacebookShare on X

भारत की दलित राजनीति में कुछ ऐसे नाम हैं जिनके साथ सत्ता ने हमेशा दोहरा रवैया अपनाया जिन्हें या तो इतिहास में जानबूझकर भुला दिया गया, या फिर सत्ताधारी कांग्रेस ने उन्हें कभी उभरने नहीं दिया। बाबूजी जगजीवन राम उन्हीं नेताओं में से एक थे जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर लोकतांत्रिक भारत के निर्माण तक, हर पड़ाव पर निर्णायक भूमिका निभाई, लेकिन जिन्हें कांग्रेस ने उनके हक़ से वंचित रखा।

कांग्रेस की दलित विरोधी सोच कोई नई नहीं है उसकी जड़ें नेहरू युग से शुरू होती हैं। जब डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे दलित नेता उभर रहे थे, तब उन्हें चुनाव हराने के लिए कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। वही कहानी आगे जाकर बाबू जगजीवन राम के साथ दोहराई गई। बाबूजी ने पांच दशकों तक संसद में सक्रिय रहते हुए हर बड़े मंत्रालय जैसे कृषि, श्रम, रेल, रक्षा को संभाला। लेकिन जब प्रधानमंत्री बनने का समय आया, कांग्रेस ने उन्हें पीछे धकेल दिया।

संबंधितपोस्ट

बिहार 2025: नीतीश के अनुभव बनाम तेजस्वी की चुनौती, PK के प्रयोग से सियासत में रोमांच

नीतीश कुमार की ‘सब्जी क्रांति’: बिहार में खेती-किसानी का नया रास्ता

ओम शांति नहीं, अब ओम क्रांति का समय: जानें गिरिराज सिंह ने क्यों दिया ऐसा बयान

और लोड करें

इंदिरा गांधी के दौर में बाबूजी को कांग्रेस (इंदिरा) का पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष तो बनाया गया, लेकिन वो सिर्फ एक प्रतीकात्मक चाल थी, ताकि दलित समाज को यह भ्रम रहे कि कांग्रेस उनके साथ है। जबकि असलियत यह थी कि जब बाबूजी ने इंदिरा की तानाशाही के खिलाफ आवाज़ उठाई और कांग्रेस छोड़ दी, तब उन्हें “गद्दार” कहकर प्रचारित किया गया। लेकिन असल में यही वह पल था, जब भारत की दलित राजनीति ने कांग्रेस से मोहभंग शुरू किया। बाबूजी ने ‘कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी’ बनाकर लोकतंत्र को बचाया, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें हमेशा सत्ता से दूर रखने की चाल चली।

1980 में जब एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने का मौका आया, तब इंदिरा गांधी ने जानबूझकर चरण सिंह को समर्थन देकर बाबूजी को रोक दिया। और जब बाबूजी ने राष्ट्रपति से बहुमत साबित करने का मौका मांगा, तो इंदिरा ने लोकसभा ही भंग करवा दी। सच यह है कि कांग्रेस की सत्ता संरचना में दलित केवल वोट बैंक रहे, नेतृत्व का स्थान कभी नहीं मिला। बाबू जगजीवन राम को बार-बार कुर्सी से दूर रखा गया क्योंकि वह उस कांग्रेस सिस्टम के लिए “अति योग्यता” वाले दलित थे।

बाबूजी के कांग्रेस छोड़ने के बाद, हिंदी पट्टी की दलित राजनीति में जो वैक्यूम बना उसे कांग्रेस फिर कभी नहीं भर पायी लेकिन कांशीराम और मायावती जैसे नेताओं ने इस मौके को न केवल समझा बल्कि बखूबी भुनाया भी। कांग्रेस ने जिस दलित विरोधी नींव को नेहरू युग में रखा था, उसका असर आज तक कायम है। भारत को आज़ाद हुए 76 साल हो चुके हैं, मगर आज भी देश को कोई दलित प्रधानमंत्री नहीं मिला। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि कांग्रेस जैसी तथाकथित सेक्युलर और प्रगतिशील पार्टी ने कभी दलित नेतृत्व को उभरने ही नहीं दिया।

बाबूजी वो नाम थे जो इस इतिहास को बदल सकते थे, लेकिन उस दौर की सत्ता-राजनीति ने उन्हें वो स्थान नहीं दिया जिसके वे असल में हक़दार थे। यह लेख बाबू जगजीवन राम के उन अनकहे राजनीतिक प्रसंगों को सामने लाने का प्रयास है, जो आमतौर पर इतिहास की मुख्यधारा में चर्चा से दूर रह जाते हैं।

कौन थे बाबू जगजीवन राम?

भारत के सामाजिक और राजनीतिक इतिहास में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो अपनी मेहनत, सोच और संघर्ष से एक नई धारा बना देते हैं। बाबू जगजीवन राम उन्हीं में से एक थे। 5 अप्रैल 1908 को बिहार के भोजपुर ज़िले के चंदवा गांव में जन्मे बाबूजी ने अपना बचपन एक ऐसी व्यवस्था में बिताया जहाँ जन्म के आधार पर इंसान की कीमत तय होती थी। उनके पिता सोभी राम ब्रिटिश सेना में सब-इंस्पेक्टर थे और बाद में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में दलित समुदाय की सेवा में जुट गए। माँ वसंती देवी ने कठिन हालात में भी बेटे को हिम्मत और आत्मविश्वास देना नहीं छोड़ा।

बहुत कम उम्र में पिता का साया उठ गया, लेकिन बाबूजी ने हार नहीं मानी। उन्होंने आरा से प्रथम श्रेणी में पढ़ाई पूरी की और आगे बढ़ने का निश्चय किया। स्कूल और कॉलेज के दिनों में उन्होंने भेदभाव को न सिर्फ़ देखा, बल्कि झेला भी। BHU (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) में प्रवेश तो मिला, लेकिन जातिगत पूर्वाग्रहों की वजह से वहाँ पढ़ना मुश्किल हो गया। इसके बावजूद उन्होंने रास्ता खोजा और कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। वहाँ का अनुभव उनके वैचारिक और राजनीतिक जीवन की नींव बन गया।

कलकत्ता में उन्होंने न केवल पढ़ाई की, बल्कि सामाजिक आंदोलन की शुरुआत भी की। वे रविदास जयंती जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए दलित समुदाय को संगठित करने लगे। 1934 में उन्होंने अखिल भारतीय रविदास महासभा और अखिल भारतीय दलित वर्ग लीग की स्थापना की, यह वह समय था जब भारत में राजनीतिक स्वतंत्रता की लड़ाई चल रही थी, लेकिन बाबूजी इस बात को समझते थे कि सामाजिक बराबरी के बिना आज़ादी अधूरी रहेगी।

एक साल बाद, 19 अक्टूबर 1935 को रांची में हैमंड कमीशन के सामने वे जब पेश हुए, तो उन्होंने पहली बार दलित समुदाय के लिए मताधिकार की मांग की। ये सिर्फ़ एक मांग नहीं थी यह एक नारा था उस समूचे वर्ग के लिए जो दशकों से व्यवस्था के बाहर खड़ा था। बाबू जगजीवन राम का शुरुआती जीवन इस बात की मिसाल है कि जब कोई व्यक्ति अपने आत्मबल और विचारों के साथ खड़ा होता है, तो वह न सिर्फ़ अपना भविष्य बदल सकता है, बल्कि समाज और राष्ट्र की दिशा भी तय कर सकता है।

यही नहीं उनका निजी जीवन भी उनकी सार्वजनिक भूमिका जितना ही प्रेरक था। 1935 में उनका विवाह स्वतंत्रता सेनानी इंद्राणी देवी से हुआ। 1938 में बेटे सुरेश कुमार का जन्म हुआ और 1945 में बेटी मीरा कुमार का, जो आगे चलकर भारत की पहली महिला लोकसभा स्पीकर बनीं। लेकिन जीवन की सबसे गहरी चोट उन्हें तब लगी जब 21 मई 1985 को उनके बेटे सुरेश का निधन हो गया। यह क्षण बाबूजी और इंद्राणी दोनों के लिए बेहद दर्दनाक था, एक ऐसा निजी दुःख जिसने इस अडिग नेता को भीतर से तोड़ दिया।

बाबूजी के भाषण से प्रभावित होकर महामना ने BHU में पढ़ने का दिया ऑफर

बाबू जगजीवन राम का छात्र जीवन ही इस बात का प्रमाण है कि सामाजिक न्याय के लिए उनकी लड़ाई किसी पद या मंच से नहीं शुरू हुई थी, बल्कि यह उनके भीतर बचपन से ही धधक रही थी। जब वे आरा के एक स्कूल में हाईस्कूल की पढ़ाई कर रहे थे, तो एक दिन उन्होंने स्कूल के घड़े से पानी पी लिया यह एक ऐसा ‘अपराध’ था जो उस दौर की जातिवादी व्यवस्था को चुभ गया।

तब स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों और रेलवे स्टेशनों पर आमतौर पर दो घड़े रखे जाते थे एक सवर्ण हिंदुओं के लिए, दूसरा मुसलमानों के लिए। लेकिन बाबूजी के पानी पीने की ‘जुर्रत’ से स्कूल में हड़कंप मच गया। शिकायत हुई कि एक अछूत लड़के ने हिंदुओं के घड़े को छू लिया। जवाब में स्कूल प्रशासन ने तीसरा घड़ा रखवा दिया ‘अछूतों’ के लिए अलग से।

लेकिन यह उस लड़के के आत्मसम्मान को स्वीकार नहीं था, जो आगे चलकर भारतीय राजनीति में सामाजिक न्याय का प्रतीक बनने वाला था। जगजीवन राम ने वह तीसरा घड़ा तोड़ दिया। यही नहीं प्रसाशना ने दोबारा उस स्थान पर घड़ा रख दिया जिसे उन्होंने फिर से तोड़ दिया। यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक स्कूल प्रशासन को यह अहसास नहीं हो गया कि समानता की भावना को रोकने के लिए प्रतीकों का सहारा लेना व्यर्थ है।

इसी आरा स्कूल में एक दिन एक ऐतिहासिक मोड़ आया। एक स्कूल समारोह में पंडित मदन मोहन मालवीय, जो बाद में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्थापक बने, मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। बाबूजी ने उनके स्वागत में जो भाषण दिया, उसने महामना को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने वहीं पर उन्हें BHU में पढ़ने का आमंत्रण दे दिया।

जब बाबूजी BHU पहुँचे, तो उन्हें बिड़ला स्कॉलरशिप भी मिली पर साथ में मिली उस समाज की नंगी सच्चाई, जहाँ जात-पात अब भी गहराई से जड़ें जमाए बैठी थी। उन्हें क्लास में दाखिला तो मिल गया, लेकिन कैंपस के ‘समानता के वादों’ से परे, ज़मीनी हकीकत कुछ और थी। मेस में बैठने की अनुमति तो थी, लेकिन उन्हें खाना परोसने को कोई तैयार नहीं था।

BHU में मिले इस खुले भेदभाव ने बाबू जगजीवन राम को भीतर तक झकझोर दिया। शिक्षा के मंदिर में जिस तरह की असमानता उन्होंने झेली, उसने उन्हें यह एहसास करा दिया कि अकेले शिक्षा की डिग्री सामाजिक बराबरी की गारंटी नहीं होती। नतीजतन, उन्होंने बनारस को अलविदा कहा और कलकत्ता (अब कोलकाता) का रुख किया।

कलकत्ता में उन्होंने न केवल अपनी उच्च शिक्षा पूरी की, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक आंदोलन की बुनियाद भी वहीं से रखी। यहीं उन्होंने दलित समुदाय के उत्थान के लिए अखिल भारतीय रविदास महासभा और अखिल भारतीय दलित वर्ग लीग की स्थापना की।

जब वह कलकत्ता से पढ़ाई पूरी कर बिहार लौटे, तब वे सिर्फ़ एक पढ़ा-लिखा नौजवान नहीं थे बल्कि वे एक राजनीतिक चेतना से लैस दलित युवा नेता थे, जिसकी सामाजिक समझ और वक्तृत्व कौशल ने जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनानी शुरू कर दी। उनका प्रभाव इतना जायदा हो चूका था कि उस दौर में कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार दोनों ही बाबूजी को अपने खेमे में शामिल करने की कोशिशों में जुट गए।

इंदिरा गांधी की निकाली थी हेकड़ी

बाबू जगजीवन राम भारतीय राजनीति के वो धुरंधर थे जिन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया, बल्कि स्वतंत्र भारत की सत्ता की धुरी भी बने। उनकी राजनीतिक यात्रा पाँच दशकों से अधिक लंबी रही और वह इतने मजबूत जनाधार वाले नेता थे कि जब वह पाला बदलते, सत्ता की दिशा ही पलट जाती। स्वतंत्रता संग्राम में उनका प्रवेश निर्णायक था। 10 दिसंबर 1940 को उन्होंने पहली बार गिरफ्तारी दी थी। इसके बाद उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन, गांधी जी के व्यक्तिगत सत्याग्रह, और फिर भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाई जिसके चलते वह 19 अगस्त 1942 को एक बार फिर जेल भेजे गए।

राजनीतिक रूप से उनकी शुरुआत 1936 में हुई, जब वे बिहार विधान परिषद के लिए मनोनीत सदस्य बने। उसी वर्ष डिप्रेस्ड क्लासेस लीग के उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने निर्विरोध विधानसभा चुनाव जीता और 1937 में जब बिहार में कांग्रेस सरकार बनी तो वे शिक्षा और विकास मंत्रालय में संसदीय सचिव नियुक्त किए गए। हालांकि 1938 में उन्होंने मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया एक और उदाहरण उनकी सिद्धांतवादी राजनीति का।

1946 में, वे एक बार फिर निर्विरोध चुने गए और अंतरिम सरकार में श्रम मंत्री बनाए गए। इसके बाद का इतिहास अभूतपूर्व है वे लगातार 31 वर्षों तक केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में विभिन्न मंत्रालयों का नेतृत्व करते रहे। 1937 से लेकर 1977 तक बाबूजी कांग्रेस पार्टी की आत्मा रहे। वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (1940-77), कांग्रेस कार्य समिति (1948-77), और केंद्रीय संसदीय बोर्ड (1950-77) के सदस्य रहे। इतने वर्षों तक शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व में उनकी उपस्थिति उन्हें महज़ दलित नेता नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति का स्थायी स्तंभ बनाती है।

आपातकाल, इंदिरा गांधी और एक निर्णायक विद्रोह

25 जून 1975 को जब इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने रायबरेली से इंदिरा गांधी के चुनाव को अमान्य करार दिया, तब देश की राजनीति में भूचाल आ गया। यह फैसला समाजवादी नेता राजनारायण की याचिका पर आया था, जिसमें इंदिरा गांधी पर चुनावी गड़बड़ियों के आरोप थे। अगर यह निर्णय लागू हो जाता, तो इंदिरा अगले 6 साल तक लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पातीं।

ऐसे कठिन समय में बाबू जगजीवन राम ने इंदिरा का साथ नहीं छोड़ा। इंदिरा गांधी को भी उनकी राजनीतिक हैसियत का पूरा अंदाज़ा था। इसी वजह से उन्होंने उन्हें कांग्रेस (इंदिरा) का पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया एक ऐसा निर्णय जो दलित समुदाय को सीधा यह संदेश देता था कि इंदिरा गांधी उनके मुद्दों को प्राथमिकता दे रही हैं।

लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। फरवरी 1977, यह भारतीय राजनीति के इतिहास में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ। बाबू जगजीवन राम ने अचानक कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने ‘कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी’ नाम से अपनी नई पार्टी बनाई और तुरंत ही जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया। उनका यह कदम इंदिरा गांधी के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुआ।

इंदिरा के विरोधियों में जैसे नई ऊर्जा भर गई। जिन राजनीतिक दलों की आवाज़ थम सी गई थी, उनमें फिर से जान आ गई। जनता पार्टी समझ चुकी थी कि बाबूजी के साथ आने का मतलब है देशभर का दलित वोट बैंक खासकर उत्तर भारत में उनका असर निर्णायक साबित हो सकता था। और यही हुआ। 1977 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी की सत्ता उखड़ गई। जनता पार्टी भारी बहुमत से जीत गई। अब सबकी निगाहें बाबू जगजीवन राम पर थीं हर ओर यही चर्चा थी कि अब देश को पहला दलित प्रधानमंत्री मिलेगा। लेकिन इतिहास ने एक और मोड़ लिया और यहां मोरारजी देसाई ने आखिरी बाज़ी पलट दी। प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा रह गया, लेकिन बाबूजी का यह कदम भारतीय लोकतंत्र और दलित राजनीति दोनों के लिए ऐतिहासिक सिद्ध हुआ।

हालांकि, 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई। अब प्रधानमंत्री पद की रेस में दो नाम थे बाबू जगजीवन राम और चरण सिंह।सत्ता के गलियारों में यह चर्चा तेज़ हो चली कि इस बार तो बाबू जी को प्रधानमंत्री की कुर्सी और देश को पहला प्रधानमंत्री मिल ही जाएगा । लेकिन यहीं पर राजनीतिक जोड़-तोड़ और जातिवादी समीकरणों ने एक बार फिर उनका रास्ता रोक दिया। इंदिरा गांधी, जो उस समय सत्ता से बाहर थीं लेकिन अभी भी राजनीतिक रूप से निर्णायक थीं, ने बाहर से समर्थन देकर चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनवा दिया। और इस तरह एक बार फिर बाबू जगजीवन राम प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए ।

चरण सिंह की सरकार महज 23 दिन ही टिक पाई। इंदिरा गांधी ने अपना समर्थन अचानक वापस ले लिया। मौका देख कर बाबू जगजीवन राम ने तुरंत राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी को चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने बहुमत साबित करने का दावा किया। लेकिन राजनीति ने फिर पलटी खाई। इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति से कहकर लोकसभा ही भंग करवा दी। इस तरह 1980 तक चरण सिंह ‘केयरटेकर प्रधानमंत्री’ बने रहे लेकिन बाबूजी को वह अवसर फिर कभी नहीं मिला जिसके वे हकदार थे।

स्रोत: बाबू जगजीवन राम, जगजीवन राम जयंती, इंदिरा गाँधी, आपातकाल, दलित, बिहार, Babu Jagjivan Ram, Jagjivan Ram Jayanti, Indira Gandhi, Emergency, Dalit, Bihar
Tags: Babu Jagjivan RamBiharDalitEmergencyIndira GandhiJagjivan Ram Jayantiआपातकालइंदिरा गाँधीजगजीवन राम जयंतीदलितबाबू जगजीवन रामबिहार
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

BJP के प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ेंगे अन्नामलाई!, तमिलनाडु की राजनीति के लिए क्या हैं मायने?

अगली पोस्ट

मुस्लिम लीग के निशाने पर राहुल-प्रियंका; वक्फ से किनारा दुविधा या सुविधा?

संबंधित पोस्ट

वाराणसी के मंदिर में हनुमान चालीसा बजने पर कट्टरपंथी मुस्लिम ने लगाई रोक कहा- “मेरे कानों तक आवाज ना आए”: क्यों बार-बार हिंदुओं की पूजा-पाठ और आस्था पर हमले होते हैं?
क्राइम

वाराणसी के मंदिर में हनुमान चालीसा बजने पर कट्टरपंथी मुस्लिम ने लगाई रोक कहा- “मेरे कानों तक आवाज ना आए”: क्यों बार-बार हिंदुओं की पूजा-पाठ और आस्था पर हमले होते हैं?

4 October 2025

भारत में हिंदुओं के पवित्र त्योहारों और पूजा-पाठ पर लगातार हमले होने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दुर्गा पूजा जैसी पवित्र...

ज़ुबिन गर्ग की मौत: ज़हर, लापरवाही और साज़िश का गहराता रहस्य
क्राइम

ज़ुबिन गर्ग की मौत: ज़हर, लापरवाही और साज़िश का गहराता रहस्य

4 October 2025

सिंगापुर से आई एक खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। असम के लोकप्रिय गायक ज़ुबिन गर्ग की अचानक मौत। शुरुआती बयान में...

उमर-अब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती और बाकी कश्मीरी नेता PoK में पाकिस्तान की हिंसा पर क्यों चुप हैं?
चर्चित

उमर-अब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती और बाकी कश्मीरी नेता PoK में पाकिस्तान की हिंसा पर क्यों चुप हैं?

4 October 2025

पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) में हज़ारों लोग अब पाकिस्तान की हुकूमत और फौज के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतर आए हैं। महँगाई, टैक्स और...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why Are Kashmir’s So-Called Leaders Silent on Pakistan’s Brutality in PoK?

Why Are Kashmir’s So-Called Leaders Silent on Pakistan’s Brutality in PoK?

00:06:23

How Pakistan Air Force was Grounded by IAF During 'Operation Sindoor'?

00:06:03

Narrative War in UP: Why Ecosystem Fears Yogi’s Bulldozer of Truth

00:06:53

Why Electoral Roll Purification Is India’s National Priority? | Special Intensive Revision |

00:08:22

How Congress acted as BRITISH RAJ’S B-TEAM and Continues that legacy?

00:07:48
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited