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पीएम मोदी ने ‘नवकार महामंत्र दिवस’ का किया उद्घाटन, समझाया ‘9’ का दर्शन; जानें क्या है इस दिवस का महत्व?

विकसित भारत यानी विकास भी, विरासत भी! ऐसा भारत जो न रुकेगा, न थमेगा। जो ऊंचाइयों को छूएगा लेकिन अपनी जड़ों से कभी नहीं कटेगा। विकसित भारत वह होगा जो अपनी संस्कृति पर गर्व करेगा- पीएम मोदी

TFI Desk द्वारा TFI Desk
9 April 2025
in चर्चित
PM Modi In 'Navkar Mahamantra Divas'

PM Modi In 'Navkar Mahamantra Divas'

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महावीर जयंती से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) बुधवार को नवकार महामंत्र दिवस के पावन अवसर पर दिल्ली के विज्ञान भवन पहुंचे। इस पूरे आयोजन में उनकी मौजूदगी सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक बनी। इस दौरान ध्यान देने वाली बात यह थी कि वो कार्यक्रम स्थल पर बिना जूते पहने ही पहुंचे, और वहां मंच पर बैठने की बजाय, आम श्रद्धालुओं के बीच बैठकर नवकार महामंत्र का जाप किया। ये एक संदेश था कि भारत का नेतृत्व आज भी अपनी जड़ों, अपनी विरासत और संस्कृति के साथ सीधा जुड़ा हुआ है।

पीएम मोदी ने 'नवकार महामंत्र दिवस' का किया उद्घाटन
पीएम मोदी ने ‘नवकार महामंत्र दिवस’ का किया उद्घाटन(Image Source: X)

और इसी को पिरोहते हुए पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा: “नवकार महामंत्र का ये दर्शन, उस विकसित भारत के विज़न से जुड़ा है, जिसका मैंने लालकिले से संकल्प लिया था कि विकसित भारत यानि विकास भी, विरासत भी! एक ऐसा भारत जो रुकेगा नहीं, ऐसा भारत जो थमेगा नहीं। जो ऊंचाई छूएगा, लेकिन अपनी जड़ों से नहीं कटेगा। विकसित भारत अपनी संस्कृति पर गर्व करेगा।”

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इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में नवकार महामंत्र के गूढ़ अर्थों को सरलता से समझाते हुए ‘9’ के दर्शन की आध्यात्मिक महत्ता को भी विस्तार से बताया है।

PM मोदी ने समझाया नवकार महामंत्र के सही माइने

पीएम मोदी ने जप के बाद उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा ,”मन शांत है, मन स्थिर है, सिर्फ शांति, एक अद्भुत अनुभूति है, शब्दों से परे, सोच से भी परे, नवकार महामंत्र अब भी मन मस्तिष्क में गूंज रहा है। नमो अरिहंताणं॥ नमो सिद्धाणं॥ नमो आयरियाणं॥ नमो उवज्झायाणं॥ नमो लोए सव्वसाहूणं॥ एक स्वर, एक प्रवाह, एक ऊर्जा, न कोई उतार, न कोई चढ़ाव, बस स्थिरता, बस समभाव। एक ऐसी चेतना, एक जैसी लय, एक जैसा प्रकाश भीतर ही भीतर। मैं नवकार महामंत्र की इस अध्यात्मिक शक्ति को अब भी अपने भीतर अनुभव कर रहा हूं। कुछ वर्ष पूर्व मैं बैंगलुरू में एैसे ही एक सामूहिक मंत्रोच्चार का साक्षी बना था, आज वही अनुभूति हूई और उतनी ही गहराई में। इस बार देश विदेश में एक साथ, एक ही चेतना से जुड़े लाखों करोड़ों पुण्य आत्माएं, एक साथ बोले गए शब्द, एक साथ जागी ऊर्जा, ये वाकई अभुतपूर्व है।”

अपने सम्बोधन में आगे नवकार महामंत्र के बारे में बताते हुए उन्होएँ कहा,” जब हम नवकार महामंत्र बोलते हैं, हम नमन करते हैं 108 दिव्य गुणों का, हम स्मरण करते हैं मानवता का हित, ये मंत्र हमें याद दिलाता है – ज्ञान और कर्म ही जीवन की दिशा है, गुरू ही प्रकाश है और मार्ग वही है जो भीतर से निकलता है। नवकार महामंत्र कहता है, स्वयं पर विश्वास करो, स्वयं की यात्रा शुरू करो, दुशमन बाहर नहीं है, दुशमन भीतर है। नकारात्मक सोच, अविश्वास, वैमन्सय, स्वार्थ, यही वे शत्रु हैं, जिन्हें जीतना ही असली विजय है। और यही कारण है, कि जैन धर्म हमें बाहरी दुनिया नहीं, खुद को जीतने की प्रेरणा देता है। जब हम खुद को जीतते हैं, हम अरिहंत बनते हैं। और इसलिए, नवकार महामंत्र मांग नहीं है, ये मार्ग है। एक ऐसा मार्ग जो इंसान को भीतर से शुद्ध करता है। जो इंसान को सौहार्द की राह दिखाता है।”

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा,”नवकार महामंत्र सही माइने में मानव ध्यान, साधना और आत्मशुद्धि का मंत्र है। इस मंत्र का एक वैश्विक परिपेक्ष्य है। यह शाश्वत महामंत्र, भारत की अन्य श्रुति–स्मृति परम्पराओं की तरह, पहले सदियों तक मौखिक रूप से, फिर शिलालेखों के माध्यम से और आखिर में प्राकृत पांडुलिपियों के द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा और आज भी ये हमें निरंतर राह दिखाता है। नवकार महामंत्र पंच परमेष्ठी की वंदना के साथ ही सम्यक ज्ञान है। सम्यक दर्शन है। सम्यक चरित्र है और सबसे ऊपर मोक्ष की ओर ले जाने वाला मार्ग है। हम जानते हैं जीवन के 9 तत्व हैं। जीवन को ये 9 तत्व पूर्णता की ओर ले जाते हैं। इसलिए, हमारी संस्कृति में 9 का विशेष महत्व है। जैन धर्म में नवकार महामंत्र, नौ तत्व, नौ पुण्य और अन्य परंपराओं में, नौ निधि, नवद्वार, नवग्रह, नवदुर्गा, नवधा भक्ति नौ, हर जगह है। हर संस्कृति में, हर साधना में। जप भी 9 बार या 27, 54, 108 बार, यानि 9 के multiples में ही। क्यों? क्योंकि 9 पूर्णता का प्रतीक है। 9 के बाद सब रिपीट होता है। 9 को किसी से भी गुणा करो, उत्तर का मूल फिर 9 ही होता है। ये सिर्फ math नहीं है, गणित नहीं है। ये दर्शन है। जब हम पूर्णता को पा लेते हैं, तो फिर उसके बाद हमारा मन, हमारा मस्तिष्क स्थिरता के साथ उर्ध्वगामी हो जाता है। नई चीज़ों की इच्छा नहीं रह जाती। प्रगति के बाद भी, हम अपने मूल से दूर नहीं जाते और यही नवकार का महामंत्र का सार है।”

जानें क्यों मनाया जाता है ‘नवकार महामंत्र दिवस’

नवकार महामंत्र दिवस एक आध्यात्मिक आयोजन के रूप में मनाया जाता है, जो समरसता, करुणा और आत्मचिंतन के मूल्यों को समर्पित है। यह पवित्र मंत्र केवल उच्च आत्माओं को नमन भर नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, अहिंसा और सामूहिक कल्याण जैसे आदर्शों की भी प्रेरणा देता है। जैन दर्शन की गहराइयों से निकला यह मंत्र विभिन्न समुदायों के बीच एकता और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देने का संदेश देता है।

यह आयोजन हर वर्ष महावीर जयंती से पूर्व होता है, जो इस वर्ष 10 अप्रैल को मनाई जा रही है। महावीर जयंती, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मदिवस का उत्सव है। उनका जन्म 615 ईसा पूर्व में एक राजपरिवार में हुआ था, और उन्हें बचपन में वर्धमान नाम से जाना गया। मात्र 30 वर्ष की आयु में उन्होंने सांसारिक मोह-माया का त्याग किया और सत्य एवं मोक्ष की तलाश में कठोर तप और ध्यान का मार्ग अपनाया। वर्षों की तपस्या के बाद उन्होंने केवल ज्ञान यानी पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति की।

भगवान महावीर के सिद्धांतों ने जैन धर्म की नींव रखी, और आज भी उनके विचार पूरी दुनिया में अनुयायियों के जीवन को दिशा देते हैं। उनकी मूल भावना है “अहिंसा परमोधर्मः” यानी अहिंसा ही सर्वोच्च धर्म है, आज की दुनिया में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो चुकी है। यह संदेश न केवल शांति और सहिष्णुता की ओर प्रेरित करता है, बल्कि करुणा और परस्पर सम्मान की भावना को भी जागृत करता है।

 

क्या है नवकार महामंत्र 

भारत की सनातन आध्यात्मिक परंपरा में जैसे वेदों का स्थान सर्वोपरि है, वैसे ही जैन धर्म में णमोकार मंत्र  जिसे श्रद्धा से नवकार महामंत्र कहा जाता है  आत्मकल्याण का मूल स्तंभ माना जाता है। यह केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि चेतना की उस दिव्य धारा का नाम है जो आत्मा को शांति, करुणा और मोक्ष की दिशा में ले जाती है।

इस महामंत्र में 5 पद होते हैं, जिनमें 58 मात्राएं, 35 अक्षर, 34 स्वर और 30 व्यंजन होते हैं। ये संख्या मात्र गणना नहीं, बल्कि इसके भीतर छिपा है गहरा आध्यात्मिक संतुलन, जिसकी साधना आत्मा को परम शुद्धि की ओर ले जाती है।

यह मंत्र अनादि और अनंत माना जाता है। सबसे पहले इसे लिपिबद्ध किया गया था षट्खंडागम नामक प्राचीन जैन ग्रंथ में, जिसे आचार्य पुष्पदंत और भूतबली ने रचा था। उस समय इसे मंगलाचरण के रूप में वर्णित किया गया, जो आज भी हर जैन अनुयायी के लिए साधना का मूल आधार है।

नवकार महामंत्र उन पांच महान आत्माओं को नमन है जो जैन धर्म के अनुसार मोक्ष मार्ग पर सर्वोच्च स्थान रखते हैं:

  • अरिहंत – जिन्होंने अपने भीतर की सारी बुराइयों को जीत लिया

  • सिद्ध – जिन्होंने मोक्ष प्राप्त कर लिया

  • आचार्य – जो धर्म का संचालन करते हैं

  • उपाध्याय – जो ज्ञान का प्रचार करते हैं

  • साधु – जो संयम और तपस्या का मार्ग अपनाते हैं

इन सभी को सामूहिक रूप से पंच परमेष्ठी कहा जाता है, और इनका स्मरण आत्मा को शुद्ध करता है।

जैन आस्था के अनुसार, इस मंत्र का जाप केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाली साधना है। कहा जाता है:

  • यदि कोई एक लाख बार इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

  • सात लाख बार जाप से जीवन के समस्त कष्टों का नाश होता है।

  • सवा करोड़ बार जाप नरकगति से रक्षा करता है।

  • और यदि कोई 8 करोड़ 8 लाख 8 सौ 8 बार इस मंत्र को साधता है, तो उसे जीवन में शाश्वत सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस मंत्र का भावार्थ है:

णमो अरिहंताणं – अरिहंतों को वंदन
णमो सिद्धाणं – सिद्धों को वंदन
णमो आयरियाणं – आचार्यों को वंदन
णमो उवज्झायाणं – उपाध्यायों को वंदन
णमो लोए सव्व साहूणं – लोक के समस्त साधुओं को वंदन

 

स्रोत: नवकार महामंत्र, नवकार दिवस, जैन, महावीर, महावीर जयंती, पीएम मोदी, दिल्ली, Navkar Mantra, Navkar Diwas, Jain, Mahavir, Mahavir Jayanti, PM Modi, Delhi
Tags: DelhiJainMahavirMahavir JayantiNavkar DiwasNavkar MantraPM Modiजैनदिल्लीनवकार दिवसनवकार महामंत्रपीएम मोदीमहावीरमहावीर जयंती
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