Mamata Banerjee On Waqf Act: सड़क से लेकर संसद तक विरोध और समर्थन के बीच आखिर देश में नया वक्फ कानून बन गया। पहले बिल सदन में आया तो जमकर हू हल्ला हुआ। हालांकि, कोई भी विरोधी इसे रोक नहीं पाया। अब राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह कानून देश में लागू हो चुका है। इस बीच विरोधी दल और उनकी सरकारें अभी भी इसके विरोध में हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो अपने राज्य की मुसलमान आबादी से यह भी कह दिया की वो इसे बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। आइये जानें आखिर ममता बनर्जी का ये बयान केवल एक झुनझुना है या वाकई में उनके पास वक्फ कानून को रोकने का कोई अधिकार है।
बता दें वक्फ (संशोधन) विधेयक को बीते गुरुवार को लोकसभा में पास हुआ था। इसके बाद शुक्रवार को इसे राज्यसभा में पास करा लिया गया। संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को विधेयक पर अपने साइन कर दिए। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसे लागू करने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। यानी अब कानून देश में लागू हो चुका है।
क्या बोलीं ममता बनर्जी?
कोलकाता में जैन समुदाय ‘नवकार महामंत्र दिवस’ आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पहुंचीं थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य जोड़ना है, बांटना नहीं। ममता ने कहा कि मैं अल्पसंख्यक लोगों और उनकी संपत्ति की रक्षा करूंगी। मैं जानती हूं कि वक्फ अधिनियम के लागू होने से आप दुखी हैं। मगर भरोसा रखें…बंगाल में ऐसा कुछ नहीं होगा जिससे कोई बांटकर राज कर सके। वक्फ संशोधन विधेयक को अभी पारित नहीं किया जाना चाहिए था।
गृहमंत्री और बीजेपी का निशाना
बता दें लोकसभा में इस बिल पर बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया था कि ये कानून सभी को मानना पड़ेगा। गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ संशोधन विधेयक प्रबंधन में भारी गड़बड़ी का ब्योरा दिया था। उन्होंने कहा था कि देश की संसद द्वारा बनाया गया भारत का कानून है। इसे सभी को मानना ही पड़ेगा।
वहीं अब ममता बनर्जी का बयान आने के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व बंगाल में सार्वजनिक संपत्ति को जला रहे हैं। प्रदर्शन के नाम पर अराजकता फैल गई है। बंगाल सरकार वोट बैंक की राजनीति में पड़ी हुई है। अधिकारी ने बंगाल में जारी हिंसा को कंट्रोल करने के लिए केंद्रीय बलों के तैनाती की मांग की है।
क्या Mamata Banerjee बनर्जी के पास है अधिकार?
वक्फ और उसने मानने न मानने को लेकर आ रहे नेताओं के बयान एक तरफ हैं। दूसरी तरफ ये सवाल उठता है कि क्या वाकई में ममता बनर्जी इस कानून को अपने राज्य में लागू होने से रोक सकती है। तो आइये जानें इस मामले में जानकार क्या कहते हैं और ऐसे कानूनों को लेकर विधानसभा के पास क्या अधिकार होते हैं?
भारत के संविधान में बंटे हैं अधिकार?
भारतीय संविधान में केंद्र और राज्य के अधिकारों के बंटवारे किए गए हैं। इसके लिए तीन सूचियां बनाई गई हैं, जिनके आधार पर केंद्र और राज्य सरकारें कानून बनाती हैं। इस सूची में केंद्र सूची, राज्य सूची होती है। इसके अलावा एक तीसरी सूची होती है जिसमें राज्य और केंद्र दोनों के अधिकार होते हैं। इसमें शामिल विषयों पर दोनों सरकारें कानून बना सकती है।
केंद्र सूची (Union List)
इसमें वे विषय शामिल हैं जिन पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है। जैसे रक्षा (Defence), विदेशी मामले (Foreign Affairs), बैंकिंग, रेल, अंतरिक्ष जैसे किल 100 विषय इस सूची का हिस्सा हैं।
राज्य सूची (State List)
इसमें वे विषय होते हैं जिन पर केवल राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं। जैसे पुलिस, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि, जल आपूर्ति जैसे करीब 60 विषय इस सूची का हिस्सा हैं।
समवर्ती सूची (Concurrent List)
अब बारी आती है समवर्ती सूची की तो इसमें वे विषय शामिल हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकती हैं। जैसे शिक्षा विवाह और तलाक, श्रम कानून, वन संरक्षण जैसे करीब 50 विषय इस सूची का हिस्सा है।
कानून में कानून का तोड़
समवर्ती सूची के विषयों में हमेशा ही विवाद की स्थिति बनी रहती है। किसी राज्य में केंद्र से विपरीत विचारधारा की सरकार होने पर वह केंद्र के कानून के विरोध में आ जाती है और इसके खिलाफ प्रस्ताव ले आती है। हालांकि, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 254(1) इस स्थिति को साफ किया गया है। अनुच्छेद 254(1) में कहा गया है कि यदि समवर्ती सूची के किसी विषय पर केंद्र और राज्य के कानून के बीच विरोध होता है, तो केंद्र का कानून मान्य होगा। राज्य कानून के कानून का विरोधाभासी हिस्सा शून्य माना जाएगा।
अब समझिए बंगाल की स्थिति
वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर देश भर में घमासान हो रहा है। सोमवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में इसके खिलाफ प्रस्ताव लाने की मांग हुई। तमिलनाडु विधानसभा में तो विधेयक संसद में पेश होने से पहले ही प्रस्ताव पारित कर इसे वापस लेने की मांग की गई। अब ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के बयान से भी पश्चिम बंगाल में कुछ ऐसे हालात बन रहे हैं। ऐसे में आइये समझते हैं विधानसभा में आने वाले प्रस्ताव और उसका कानून पर असर कैसे और क्यों पड़ता है या फिर पड़ता ही नहीं है।
कानूनी सिद्धांत और भारत में इसकी परंपरा को लेकर जानकार बताते हैं कि राज्य विधानसभा में किसी विषय को चर्चा के लिए प्रस्ताव पेश करने की व्यवस्था होती है। इसके लिए स्पीकर को सूचना देना होता है। यह विधानसभा की कार्यवाही के नियमों के अनुसार होता है। जैसे दिल्ली में नियम 107, पश्चिम बंगाल में नियम 185 के तहत स्पीकर की स्वीकृति से चर्चा की जा सकती है। ये प्रस्ताव भी कई प्रकार के होते हैं। जैसे चर्चा, आलोचना या कानूनी प्रभाव वाले प्रस्ताव।
क्या कहता है देश का कानून?
इस विषय को लेकर इंडिया टुडे से बात करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाडे ने बताया कि विधानसभा को कोई भी प्रस्ताव लाने और उसे पास करने का अधिकार है। हालांकि, यह केवल सदन की राय रखता है। इसका कोई कानूनी प्रभाव नहीं पड़ता। संघ सूची के तहत बने केवल केंद्रीय कानूनों को प्राथमिकता मिलती है। हालांकि, विधानसभाएं केवल केंद्रीय कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास कर सकती हैं। उन्हें रोकने का अधिकार उनके पास नहीं है।
खुद ही रद्द हो जाएगा राज्य का कानून
अब ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के बयान और उसके कानूनी अधिकार की बात करते हैं। चूंकि, धर्म समवर्ती सूची का विषय है। वह भले ही वक्फ संशोधन पर सियासी लड़ाई भले ही लड़ रही है। हालांकि, इस बात की कोई संभावना नहीं है कि वो इसके खिलाफ कोई कानून लेकर आए। हां, पर विधानसभा में इसकी आलोचना या चर्चा के लिए प्रस्ताव जरूर आ सकता है। अगर पहले से किसी राज्य में ऐसा कानून है या फिर कोई राज्य काउंटर के लिए कानून बनाता भी है तो समवर्ती सूची का विषय होने के कारण ये अनुच्छेद 254(1) के तहत स्वतः रद्द हो जाएगा।
बता दें देश में वक्फ का मामला कोई पहला नहीं है जब कुछ राज्यों की सरकारें केंद्र के खिलाफ खड़ी हो गई हैं। इससे पहले भी नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के दौरान ऐसी स्थिति बनी थी। कई राज्य की विधानसभाओं ने इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित हुए थे। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर हुई थी। तब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस एसए बोबडे ऐसे किसी भी मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल में भी नया वक्फ कानून पूरी तरह से लागू होगा। ममता सरकार के पास इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है।