उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव के ‘गौशाला की दुर्गंध बनाम इत्र की सुगंध’ वाले बयान पर करारा जवाब दिया है। बरेली कॉलेज मैदान में आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि मां गंगा की पूजा से जो पुण्य मिलता है, वही गौ माता की सेवा से भी प्राप्त होता है। सपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ”मां गंगा की पूजा करने का जो पुण्य प्राप्त हुआ, वही गौ माता की पूजा करने से प्राप्त होगा। समाजवादी पार्टी के लोग जो गोकशी करवाते थे, गोतस्करों और कसाइयों के साथ जिनके संबंध थे, वो गौ माता की सेवा करना क्या जानें, उन्हें गौ माता के गोबर में दुर्गंध ही नजर आएगी। उन्हें अपने कृत्यों से दुर्गंध नहीं दिखाई देती है, उन्हें गौ माता की सेवा में दुर्गंध नजर आती थी। इसीलिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के मुंह से आखिर निकल ही गया।”
दरअसल अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने कन्नौज में भाईचारे की खुशबू फैलाई, जबकि भाजपा नफरत की बदबू फैला रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपा के लोग दुर्गंध पसंद करते हैं, इसीलिए गौशाला बना रहे हैं, जबकि वे इत्र पार्क बना रहे थे।
स्कूल चलो अभियान का शुभारंभ
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरेली में ‘स्कूल चलो अभियान’ की शुरुआत भी की। इस अवसर पर उन्होंने स्कूली बच्चों को किताबें और किट वितरित कीं और शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए 932 करोड़ रुपये की 132 विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि 2017 में जब उनकी सरकार बनी, तब बेसिक शिक्षा परिषद की स्थिति बेहद दयनीय थी। कई स्कूल बंद होने के कगार पर थे, और स्मार्ट क्लास या डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं महज एक सपना थीं। उन्होंने बताया कि 2017 में उत्तर प्रदेश में सिर्फ 1 करोड़ 34 लाख बच्चों का नामांकन हुआ था, जिनमें से 60 प्रतिशत बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं जाते थे।
सीएम योगी ने कहा कि सरकारी स्कूलों के कायाकल्प के बाद स्थितियां पूरी तरह बदल गई हैं। बीते साल सरकार ने 1 करोड़ 91 लाख बच्चों के अभिभावकों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से 1,200 रुपये भेजे, ताकि वे बच्चों के लिए जरूरी सामान खरीद सकें। आज हर छात्र को बैग, किताबें और स्कूल ड्रेस मुहैया कराई जा रही हैं, जिससे उनमें आत्मसम्मान की भावना बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि यह पहल सिर्फ शिक्षा के विकास का नहीं, बल्कि एक समृद्ध और आत्मनिर्भर समाज की नींव रखने का भी प्रयास है।