Donald Trump Tariff: दुनिया में इन दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड के टैरिफ की चर्चा जोरों पर है। उनके रोज आने वाले बयान इस मुद्दे को और हवा दे देते हैं। एक रोज पहले उन्होंने फर्मा कंपनियों पर टैक्स लगाने की बात कही। अब सभी देशों पर लगाए गए टैरिफ में छूट दे दी है। हालांकि, ट्रंप ने चीन को छूट से अलग रखा है। इतना ही नहीं उन्होंने चीन पर टैक्स बढ़ाते हुए उसे 125 फीसदी कर दिया है। ऐसे में अब लोग कहने लगे हैं कि डोनाल्ड ट्रंप का ये टैरिफ वार केवल एक बहाना था। उनका असली निशाना तो ड्रैगन है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार देर रात ये फैसला लिया है। उन्होंने 75 से अधिक देशों को राहत दे दी है। ट्रंप ने इन देशों पर लगने वाले ‘जैसे को तैसा’ यानी रेसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोका है। इस लिस्ट में उन्होंने भारत को भी रखा है। हालांकि, चीन पर बढ़ाकर 125% कर दिया गया है।
भारत के लिए मौके वाली स्थिति
ट्रंप के इस फैसले को लेकर माना जा रहा है कि भारत की कूटनीतिक चर्चा काम आई है। क्योंकि, भारत ने अमेरिका के टैरिफ के खिलाफ कोई जवाबी टैक्स नहीं लगाया था। हमारी सरकार ने टैक्स वार में कूदने की जगह बातचीत करने का रास्ता अपनाया। इसी रणनीतिक बात का नतीजा है कि ट्रंप ने टैरिफ में राहत देने वाले देशों में भारत को भी रखा है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी व्यापारियों से कहा है कि आप घबराएं नहीं हमें उम्मीद है कि संतुलित समझौते होंगे।
चीन पर टैरिफ बढ़ाने से कई कंपनियां भारत जैसे देशों की ओर रुख कर सकती हैं। इससे भारतीय बाजार को लाभ मिल सकता है। हालांकि, इससे चीन से सस्ते उत्पादों का भारत में डंपिंग होने का खतरा भी बना हुआ है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर तेजी से बातचीत जारी है। वाणिज्य मंत्रालय का लक्ष्य 2023 तक व्यापार को दोगुना करना है। इसके पहले चरण के इसी साल शरद ऋतु तक पूरा होने की उम्मीद है।
चीन को क्यों झेलनी पड़ी सख्ती?
डोनाल्ड ट्रंप ने करीब 75 देशों को टैरिफ से राहत दी है। हालांकि, उन्होंने चीन को इससे अलग रखा है। इतना ही नहीं चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया है। इसके पीछे उन्होंने तर्क भी दिए हैं। ट्रंप ने कहा कि चीन वैश्विक बाजार का सम्मान नहीं कर रहा। माना जा रहा है ट्रंप का ये फैसला चीन द्वारा अमेरिका पर 84 फीसदी टैरिफ बढ़ाने की प्रतिक्रिया है। इसका सीधा मतलब है कि चीन का जो सामान अमेरिका के बाजार में 100 डॉलर में बिल रहा था अब वो 225 डॉलर में बिकेगा।
तो कितना रहेगा टैरिफ?
ट्रंप ने कहा कि जो देश अमेरिका के साथ व्यापार करने में रुचि रखते हैं उन्हें सिर्फ 10 फीसदी टैरिफ देना होगा। हालांकि, कनाडा और मैक्सिको के कुछ सामान अब 25% की बजाय इस बेसलाइन टैरिफ में शामिल किए गए हैं। हालांकि यूरोपीय यूनियन की स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है।
अमेरिकी बाजार में आया उछाल
टैरिफ में राहत की खबर आते ही अमेरिकी शेयर बाजार में उछाल आ गया। डाऊ जोंस 2600 अंक, S&P 500 में 9.5% और नैस्डैक में 10.3% की तेजी आई। टेस्ला के शेयर में 20% तक बढ़ोतरी हुई। बिटकॉइन में भी 6% की छलांग देखी गई। इसके साथ ही दुनिया भर के अन्य बाजार में तेजी देखने को मिली है।
ट्रंप अपने बयान और टैरिफ को लेकर दुनिया भर में आलोचना झेल रहे हैं। इतना ही नहीं अमेरिका और अपनी पार्टी के भीतर भी उन्हें आलोचना झेलनी पड़ रही है। ट्रंप की पार्टी के ही कई नेता टैरिफ को असंवैधानिक और अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह बता चुके थे। एलन मस्क सहित कई उद्योगपति भी टैरिफ नीति के विरोध में थे। इसी दबाव में ट्रंप ने यह राहत दी।