म्यांमार में हाल ही में आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने जो तबाही मचाई, उसका प्रभाव अभी थमा भी नहीं था कि जापान से एक और भयावह चेतावनी सामने आ गई है। म्यांमार में आए भूकंप के चलते 2000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है लेकिन जापान से जो चेतावनी आई है उसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह भूकंप इतना प्रचंड होगा कि एक ही झटके में लाखों जिंदगियां खत्म हो सकती हैं। इस प्रचंड भूकंप के चलते समुद्र की गहराइयों से उठने वाली सुनामी शहरों को निगल सकती है, इमारतें पल भर में धूल में बदल जाएंगी और जापान का एक बड़ा हिस्सा जलमग्न हो सकता है। यह तबाही सिर्फ जापान तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।
‘रॉयटर्स’ ने जापान के कैबिनेट कार्यालय की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि जापान के प्रशांत तट पर लंबे समय से प्रतीक्षित महाभूकंप की स्थिति में उसकी अर्थव्यवस्था को 1.81 ट्रिलियन डॉलर तक का नुकसान हो सकता है और लगभग 3,00,000 लोग मारे जा सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जापान उन देशों में शामिल है जिन्हें भूकंप का खतरा सबसे अधिक है और सरकार को नानकाई गर्त के नाम से जाने जाने वाले समुद्रतल के क्षेत्र में 8 से 9 तीव्रता के भूकंप की 80% संभावना नज़र आती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि सर्दियों में देर रात भूकंप आता है तो सुनामी और इमारत ढहने से 2,98,000 लोगों की मौत हो सकती है। साथ ही इस दौरान समुद्र से उठने वाली लहरों की ऊंचाई 30 मीटर तक हो सकती है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, मेगाक्वेक के चलते जापान में 12 लाख से अधिक लोग बेघर भी हो सकते हैं। आपको बताएं कि नानकाई गर्त जापान के दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत तट से की तरफ लगभग 900 किमी (600 मील) तक फैला हुआ है। इस स्थान पर फिलीपीन सागर प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे धंस रही है और जहां बन रहे टेक्टोनिक तनाव के चलते लगभग 100 से 150 वर्षों में एक बार महाभूकंप आने की संभावना है। बता दें कि पिछले साल जापान ने अपनी पहली मेगाभूकंप चेतावनी जारी की थी। जब इस क्षेत्र के किनारे 7.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। 2011 में जापान के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में 9 तीव्रता का भूकंप आया था। जिसके बाद आई सुनामी और फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में हुए हादसे से 15,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।