मध्यप्रदेश के दमोह जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पूरे चिकित्सा तंत्र की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिले के एक निजी मिशनरी अस्पताल में खुद को ब्रिटेन का डॉक्टर बताकर काम कर रहे एक फर्जी हार्ट सर्जन ने दिल की सर्जरी की, जिसके बाद सात लोगों की मौत हो गई। आरोपित की पहचान नरेंद्र विक्रमादित्य यादव के रूप में हुई है, जो खुद को ‘डॉ. एन जॉन केम’ नाम से पेश कर रहा था और यूके का हृदय रोग विशेषज्ञ होने का दावा करता था।

अब तक ज़िला प्रशासन ने पांच मौतों की पुष्टि की है, जबकि मृतकों के परिजनों का दावा है कि यह आंकड़ा सात तक पहुंच चुका है। इस गंभीर मामले की शिकायत दमोह के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुकेश जैन ने दर्ज कराई, जिसके आधार पर 6 अप्रैल की रात आरोपी फर्जी डॉक्टर और दो अज्ञात सहयोगियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। इस पूरे घटनाक्रम पर फिलहाल दमोह के ज़िलाधिकारी सुधीर कोचर ने जांच जारी होने का हवाला देकर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है। वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग को तत्काल प्रभाव से सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
ऐसे सामने आया मामला
इस चौंकाने वाली घटना का खुलासा तब हुआ, जब 4 अप्रैल को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए यह दावा किया कि दमोह के एक मिशन अस्पताल में एक फर्जी डॉक्टर ने खुद को ब्रिटेन का कार्डियोलॉजिस्ट बताकर 15 मरीजों की हार्ट सर्जरी की, जिनमें से सात लोगों की मौत हो चुकी है।
जानकारी के मुताबिक, दमोह में एक व्यक्ति ने लंदन के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर जॉन कैम के नाम का इस्तेमाल करते हुए खुद को डॉक्टर बताकर इलाज करना शुरू कर दिया। यह फर्ज़ीवाड़ा तब उजागर हुआ, जब सर्जरी के बाद एक के बाद एक मौतें सामने आने लगीं। ज़िला प्रशासन अब तक पाँच मौतों की पुष्टि कर चुका है, जबकि पीड़ित परिवार यह संख्या सात बता रहे हैं।
इस मामले की शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुकेश जैन ने दर्ज कराई, जिसके आधार पर 6 अप्रैल की रात दमोह पुलिस ने आरोपी डॉक्टर एन जॉन कैम और दो अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। दमोह के जिलाधिकारी सुधीर कोचर ने फिलहाल इस विषय पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए सिर्फ इतना कहा कि जांच जारी है। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
दमोह के सिटी एसपी अभिषेक तिवारी ने जानकारी दी कि प्राथमिक जांच में धोखाधड़ी और बिना वैध मेडिकल अप्रूवल के इलाज करने के आरोपों में केस दर्ज किया गया है। उन्होंने BBC से बातचीत में बताया, “आरोपी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन जॉन कैम को सोमवार की रात उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से पुलिस ने कस्टडी में लिया है। आरोपी को दमोह लाने में करीब 6 घंटे का वक्त लगेगा। हम उम्मीद कर रहे हैं कि कल सुबह तक हमारी टीम यहां पहुंच जाएगी, जिसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।” पुलिस ने यह भी संकेत दिया है कि जांच के दौरान आरोपी पर मेडिकल लापरवाही और गैर इरादतन हत्या की धाराएं भी जोड़ी जा सकती हैं।
फर्ज़ी दस्तावेज़ों के दम पर खोला गया था मिशनरी अस्पताल
मामले की जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी डॉक्टर ने फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर ही दमोह के इस निजी मिशनरी अस्पताल में अपनी जगह बनाई थी। मध्य प्रदेश में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए अनिवार्य रूप से राज्य स्वास्थ्य विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना होता है, लेकिन आरोपी ‘डॉ. केम’ यानी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत नहीं हैं।

जांच में जो दस्तावेज़ पुलिस को मिले, उनमें आरोपी ने आंध्र प्रदेश का मेडिकल रजिस्ट्रेशन दिखाया था। लेकिन जब इसकी पुष्टि के लिए आंध्र प्रदेश मेडिकल बोर्ड से संपर्क किया गया, तो वहां भी आरोपी के नाम से कोई रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड मौजूद नहीं पाया गया। यानी साफ है कि आरोपी ने पूरी तरह फर्ज़ी तरीके से अपनी पहचान बनाई, और बिना किसी वैध मेडिकल लाइसेंस के अस्पताल में न केवल नौकरी की, बल्कि जानलेवा हार्ट सर्जरी जैसे संवेदनशील ऑपरेशन भी किए।
सीएम योगी को फ्रांस भेजने की कर चुका है मांग
ये पहला मौका नहीं है जब आरोपित ने ब्रिटिश डॉक्टर एन जॉन केम की पहचान का इस्तेमाल करते हुए धोखाधड़ी की हो। जुलाई 2023 में आरोपी ने एक विवादित ट्वीट किया था, जिसमें उसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फ्रांस भेजने की मांग की थी ताकि वहां हो रहे दंगों को रोका जा सके।

उस वक्त आरोपी का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना था और कई राजनीतिक नेताओं ने इस पर तंज कसा था। यही नहीं, आरोपी की सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ फोटोशॉप की गई कई फर्जी तस्वीरें भी इंटरनेट पर सामने आई थीं, जो बाद में वायरल हो गईं।