TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर पर ऐक्टरों की खामोशी को लेकर उठे सवाल

    सलमान से शाहरुख तक, ऑपरेशन सिंदूर पर क्यों खामोश रहे ‘रील हीरोज़’?

    पाकिस्तान से खाड़ी देशों पर मंडराता तात्कालिक ख़तरा

    पाकिस्तान से खाड़ी देशों पर मंडराता तात्कालिक ख़तरा

    भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है

    ऑपरेशन सिंदूर: झूठे नैरेटिव के शोर में सेना के पराक्रम की गूंज न दबने दें

    Assam Panchayat Chunav 2025

    असम में सिक्का उछाल कर हुआ चुनावी जीत-हार का अनोखा फैसला

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    अमेरिका पर भारत लगाएगा रेसिप्रोकाल टैरिफ

    टैरिफ पर भारत का बड़ा एलान, एल्युमिनियम-स्टील इंपोर्ट पर 25% ड्यूटी वसूल रहे US पर लगाई जायेगी रेसिप्रोकाल टैरिफ

    Meta Facebook Double Face

    फेसबुक का दोगला चेहरा! फाइनेंशियल फ्रॉड को बढ़ावा, राष्ट्रवादी विचार पर एक्शन; क्या ये जानबूझकर कर रहा है मेटा?

    GST On UPI Transactions

    क्या सच में 2000 रुपये से ऊपर के UPI ट्रांजेक्शन पर लगेगा GST? जानें सरकार का स्पष्टीकरण

    15 दिन में तीसरी बार डाउन हुआ UPI, लोग बोले- ‘फिर कैश की और बढ़ रहे हैं हम’

    15 दिन में तीसरी बार डाउन हुआ UPI, लोग बोले- ‘फिर कैश की और बढ़ रहे हैं हम’

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    Drone Warfare india pakistan

    प्रथम विश्व युद्ध से भारत-पाक तक: ड्रोन कैसे बदल रहे हैं जंग की दिशा?; जानें इतिहास, टेक्नोलॉजी और उपयोग की पूरी कहानी

    BrahMos

    पाकिस्तान में तबाही मचाने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘BrahMos’ की पूरी कहानी, जानें क्या है अब्दुल कलाम से संबंध?

    China Pakistan Operation Sindoor India

    ऑपरेशन सिंदूर से ड्रैगन की खुली पोल: पाकिस्तान की हार में चीन को क्यों हो रहा है दर्द?

    India Pakistan Ceasefire

    परमाणु विहीन हो जाता पाकिस्तान! आखिर कैसे भारत ने घुटनों पर लाया?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    पाकिस्तान से खाड़ी देशों पर मंडराता तात्कालिक ख़तरा

    पाकिस्तान से खाड़ी देशों पर मंडराता तात्कालिक ख़तरा

    जॉन स्पेंसर

    टॉम कूपर के बाद अब अमेरिकी सैन्य विश्लेषक ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को बताया निर्णायक जीत, कहा- केवल विराम नहीं है, यह एक स्पष्ट सैन्य जीत

    अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल

    विदेश मंत्रालय ने नकारा डोनाल्ड ट्रंप का दावा, कहा- कश्मीर मामले में किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे

    Taliban Ban Chess In Afghanistan

    ‘शरिया के खिलाफ है शतरंज’, तालिबान के निशाने पर राजा, वजीर और प्यादे; अफगानिस्तान में लगा बैन

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बुद्ध के जन्म को ‘वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है

    भगवान बुद्ध: मानवता के लिए शांति और करुणा का रास्ता

    RSS के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी

    RSS के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी का 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान दिया गया संदेश

    28 अगस्त के भारतीय सैनिकों ने रणनीतिक हाजी पीर दर्रे पर कब्जा कर लिया था (सोर्स: www.adityaaryaarchive.com)

    हाजी पीर दर्रा: भूली हुई जीत, जिंदा ज़ख्म — पुरानी भूल सुधारने का यही वक्त है

    उरुकागिना सुधार से वैदिक साहित्य तक, प्राचीन सभ्यताओं में छिपी हैं मानवाधिकार की जड़ें

    उरुकागिना सुधार से वैदिक साहित्य तक, प्राचीन सभ्यताओं में छिपी हैं मानवाधिकार की जड़ें

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    IPL 2025 Suspended

    भारत पाकिस्तान तनाव के बीच IPL-2025 सस्पेंड, बचे हुए थे 16 मैच

    NC Classic Arshad Nadeem Neeraj Chopra

    नीरज चोपड़ा ने पाकिस्तान के अरशद नदीम को NC क्लासिक में खेलने का दिया न्यौता, आलोचना के बाद दी सफाई

    IPL 2025: पहलगाम आंतकी हमले के बाद MI vs SRH मैच में होंगे ये बदलाव; विराट-पांड्या समेत कई क्रिकेटर्स ने जताया शोक

    IPL 2025: पहलगाम आंतकी हमले के बाद MI vs SRH मैच में होंगे ये बदलाव; विराट-पांड्या समेत कई क्रिकेटर्स ने जताया शोक

    Loud Horns Health Minister Nitin Gadkari

    तेज हॉर्न सेहत पर कैसे डालते हैं असर? नितिन गडकरी निकालेंगे समाधान

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    ऑपरेशन सिंदूर पर ऐक्टरों की खामोशी को लेकर उठे सवाल

    सलमान से शाहरुख तक, ऑपरेशन सिंदूर पर क्यों खामोश रहे ‘रील हीरोज़’?

    पाकिस्तान से खाड़ी देशों पर मंडराता तात्कालिक ख़तरा

    पाकिस्तान से खाड़ी देशों पर मंडराता तात्कालिक ख़तरा

    भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है

    ऑपरेशन सिंदूर: झूठे नैरेटिव के शोर में सेना के पराक्रम की गूंज न दबने दें

    Assam Panchayat Chunav 2025

    असम में सिक्का उछाल कर हुआ चुनावी जीत-हार का अनोखा फैसला

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    अमेरिका पर भारत लगाएगा रेसिप्रोकाल टैरिफ

    टैरिफ पर भारत का बड़ा एलान, एल्युमिनियम-स्टील इंपोर्ट पर 25% ड्यूटी वसूल रहे US पर लगाई जायेगी रेसिप्रोकाल टैरिफ

    Meta Facebook Double Face

    फेसबुक का दोगला चेहरा! फाइनेंशियल फ्रॉड को बढ़ावा, राष्ट्रवादी विचार पर एक्शन; क्या ये जानबूझकर कर रहा है मेटा?

    GST On UPI Transactions

    क्या सच में 2000 रुपये से ऊपर के UPI ट्रांजेक्शन पर लगेगा GST? जानें सरकार का स्पष्टीकरण

    15 दिन में तीसरी बार डाउन हुआ UPI, लोग बोले- ‘फिर कैश की और बढ़ रहे हैं हम’

    15 दिन में तीसरी बार डाउन हुआ UPI, लोग बोले- ‘फिर कैश की और बढ़ रहे हैं हम’

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    Drone Warfare india pakistan

    प्रथम विश्व युद्ध से भारत-पाक तक: ड्रोन कैसे बदल रहे हैं जंग की दिशा?; जानें इतिहास, टेक्नोलॉजी और उपयोग की पूरी कहानी

    BrahMos

    पाकिस्तान में तबाही मचाने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘BrahMos’ की पूरी कहानी, जानें क्या है अब्दुल कलाम से संबंध?

    China Pakistan Operation Sindoor India

    ऑपरेशन सिंदूर से ड्रैगन की खुली पोल: पाकिस्तान की हार में चीन को क्यों हो रहा है दर्द?

    India Pakistan Ceasefire

    परमाणु विहीन हो जाता पाकिस्तान! आखिर कैसे भारत ने घुटनों पर लाया?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    पाकिस्तान से खाड़ी देशों पर मंडराता तात्कालिक ख़तरा

    पाकिस्तान से खाड़ी देशों पर मंडराता तात्कालिक ख़तरा

    जॉन स्पेंसर

    टॉम कूपर के बाद अब अमेरिकी सैन्य विश्लेषक ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को बताया निर्णायक जीत, कहा- केवल विराम नहीं है, यह एक स्पष्ट सैन्य जीत

    अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल

    विदेश मंत्रालय ने नकारा डोनाल्ड ट्रंप का दावा, कहा- कश्मीर मामले में किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे

    Taliban Ban Chess In Afghanistan

    ‘शरिया के खिलाफ है शतरंज’, तालिबान के निशाने पर राजा, वजीर और प्यादे; अफगानिस्तान में लगा बैन

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बुद्ध के जन्म को ‘वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है

    भगवान बुद्ध: मानवता के लिए शांति और करुणा का रास्ता

    RSS के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी

    RSS के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी का 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान दिया गया संदेश

    28 अगस्त के भारतीय सैनिकों ने रणनीतिक हाजी पीर दर्रे पर कब्जा कर लिया था (सोर्स: www.adityaaryaarchive.com)

    हाजी पीर दर्रा: भूली हुई जीत, जिंदा ज़ख्म — पुरानी भूल सुधारने का यही वक्त है

    उरुकागिना सुधार से वैदिक साहित्य तक, प्राचीन सभ्यताओं में छिपी हैं मानवाधिकार की जड़ें

    उरुकागिना सुधार से वैदिक साहित्य तक, प्राचीन सभ्यताओं में छिपी हैं मानवाधिकार की जड़ें

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    IPL 2025 Suspended

    भारत पाकिस्तान तनाव के बीच IPL-2025 सस्पेंड, बचे हुए थे 16 मैच

    NC Classic Arshad Nadeem Neeraj Chopra

    नीरज चोपड़ा ने पाकिस्तान के अरशद नदीम को NC क्लासिक में खेलने का दिया न्यौता, आलोचना के बाद दी सफाई

    IPL 2025: पहलगाम आंतकी हमले के बाद MI vs SRH मैच में होंगे ये बदलाव; विराट-पांड्या समेत कई क्रिकेटर्स ने जताया शोक

    IPL 2025: पहलगाम आंतकी हमले के बाद MI vs SRH मैच में होंगे ये बदलाव; विराट-पांड्या समेत कई क्रिकेटर्स ने जताया शोक

    Loud Horns Health Minister Nitin Gadkari

    तेज हॉर्न सेहत पर कैसे डालते हैं असर? नितिन गडकरी निकालेंगे समाधान

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

यदि सद्गुणों से हानि होने लगे तो वे ‘सद्गुण’ नहीं ‘विकृति’ हैं

जब तक वेद, वाल्मीकी रामायण, महाभारत और उपनिषद् जैसे शास्त्र हिन्दुओं के मान्य ग्रन्थ रहेंगे, जब तक हिन्दू अपनी गुरु परम्परा का निर्वहन करेंगे, जब तक हिन्दू समाज सनातन को धर्म मानकर कार्य करेगा नाकि रिलिजन, तब तक हिन्दुत्व की जीवन ज्योति सतत जलती रहेगी और समय पाकर यह पुनः पूर्ण रूप से प्रज्वलित हो उठेगी।

drmahender द्वारा drmahender
24 April 2025
in इतिहास, मत
यदि सद्गुणों से हानि होने लगे तो वे ‘सद्गुण’ नहीं ‘विकृति’ हैं

वॉर ऑफ़ नैरेटिव में सारे खेल फिर से शुरू हो गए हैं, ऐसे में हर हिन्दू को विचार करना ही होगा । उस विचार विमर्श के लिए बिंदु इस लेख में देने का प्रयास किया जा रहा है ।

Share on FacebookShare on X

कुछ दिन पहले बंगाल के मुर्शिदाबाद की हिन्दू उत्पीड़न की घटना और अब पिछले कल कश्मीर घाटी के पहलगाम में रेडिकल इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा हिन्दू पहचान पूछकर चुन चुन कर गोली मार कर हिन्दुओं के नरसंहार की घटना के कारण यह लेख अद्यतित करना आवश्यक हो गया। वॉर ऑफ़ नैरेटिव में सारे खेल फिर से शुरू हो गए हैं, ऐसे में हर हिन्दू को विचार करना ही होगा। उस विचार विमर्श के लिए बिंदु इस लेख में देने का प्रयास किया जा रहा है ।

स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर ने अपने अमर लेखन में एक शब्द का कई बार उल्लेख किया है, वह शब्द है ‘सदगुणविकृति’ । जब व्यक्ति या समाज के सद्गुण विकृत हो जाते हैं या उन सद्गुणों का अतिरेक होकर नुक्सान होने लगे तब वे सद्गुण एक विकृति बन जाते हैं, उन विकृत हुए सद्गुणों के लिए ही सदगुणविकृति शब्द का उपयोग किया गया है। स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर ने निःसंदेह हिन्दू समाज के लिए इस  ‘सदगुणविकृति’ नामक शब्द का उल्लेख किया था। वर्तमान समय में इस ‘सदगुणविकृति’ शब्द पर चर्चा करना आवश्यक हो गया है क्योंकि कदाचित भारत में रहने वाला हिन्दू समाज आज इस विकृति से बुरी तरह ग्रसित प्रतीत होता है। इसको प्रमाणित करने के लिए हमें इतिहास पर दृष्टि डालना आवश्यक है।

संबंधितपोस्ट

प्रथम विश्व युद्ध से भारत-पाक तक: ड्रोन कैसे बदल रहे हैं जंग की दिशा?; जानें इतिहास, टेक्नोलॉजी और उपयोग की पूरी कहानी

भारत के खिलाफ पाकिस्तान की मदद क्यों कर रहा है तुर्की?

पहलगाम हमला और अमेरिकी सैटेलाइट कंपनी का क्या है कनेक्शन? पाकिस्तान से ऐसे जुड़े हैं तार

और लोड करें

“कपटी गौरी के कुचक्र में पृथ्वीराज छले जाते,

शकुनि जाल में फसने देखो धर्मराज खुद ही आते,

भस्मासुर को भी वर देकर, भोले खुद फिसले जाते

वह गोकुल क्या कुटिल पूतना, पय से पूत पले जाते,

सद्गुण बन जाता है दुर्गुण जब हो जाता गुणातिरेक । ”

‘अति सर्वत्र वर्जयेत’ या यूँ कहें किसी भी चीज की ‘अति’ घातक होती है। यह वाक्य हमारे आसपास लोगों की चर्चाओं में अनेक बार आता रहता है। बचपन में स्कूल में एक दोहा भी पढ़ा था:

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,

अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।

 इस दोहे से हमें इस ‘अति’ नामक शब्द पर और जानकारी मिलती है। बोलना और चुप रहना व्यक्ति का स्वाभाव होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो बोलना और चुप रहना सदगुण भी है और दुर्गुण भी हो सकता है। यह निर्भर करता है समय और परिस्थित पर।

विगत एक हज़ार वर्ष की अवधि में भारत ने अगणित उतार चढ़ावों का साक्षात्कार किया। एक तरफ भारत को लूटने वाली विदेशी आक्रान्तायें और उनके साथ नैन मट्टका करने वाले देश और धर्मद्रोही लोग थे तो दूसरी तरफ इस पूण्यभूमि की विराट संस्कृति, स्वराज्य तथा स्वातंत्र्य के लिए संघर्ष करने वाले राष्ट्र भक्त वीर पुरुष थे। ग्यारवीं शताब्दी में इसी ‘सदगुणविकृति’ के कारण पृथ्वीराज चौहान का हिन्दू साम्राज्य के ढह गया। विजयनगर जैसा विराट  साम्राज्य भी शीघ्र ही खंडहर में बदल गया था। भारत को लूटने की दूषित मंशा से विदेशी आक्रांताओं ने इस देश पर बार बार आक्रमण किये, और ये भी सत्य है कि इस देश के वीरों ने उन आक्रांताओं का पुरजोर प्रतिकार करते हुए इस पावन धरा से खदेड़ा भी था। भारत के वीर पुत्रों के हाथों मार खाने के कारण उपजे भय के कारण ही विदेशी आक्रान्ताओं ने “भारत सोने की चिड़िया है” जैसे शिगूफे छोड़े, ताकि अपनी सेनाओं को भारत पर आक्रमण करने  के लिए प्रेरित किया जा सके। “भारत सोने की चिड़िया थी” इस बात पर सीना चौड़ा करने वालों ने कभी सोचा है कि इस वाक्य की जगह “भारत सोने का बाज है” या “भारत सोने का शेर है” क्यों नही कहा गया? चिड़िया सबसे कमजोर पक्षी होता है जिसका शिकार आसानी से किया जा सकता है। लेकिन भारत के विदेशी भक्त तथाकथित इतिहासकारों ने इतिहास लेखन में ऐसे षड्यंत्र रचे कि भारत के लोग “भारत सोने की चिड़िया है” जैसे वाक्यों पर गर्व महसूस करने लग गए। हिन्दुओं का आंख बंद करके किसी भी बात पर भरोसा करके उसको सही बात या इतिहास मान लेना विकृति नही तो और क्या? महर्षि वेदव्यास के वंशजों की आत्मविस्मृति को क्या कहेंगे?

विधर्मी इतिहासकारों ने हिन्दू राजाओं के संघर्ष के उस कालखंड को योजनाबद्ध तरीके से गुलामी का काल बनाकर प्रस्तुत करने का कुत्सित खेल खेला। विदेशियों के गुलाम इन इतिहासकारों ने जो किया वो किया, उनको दोष देना उचित नही है क्योंकि उनके नाम के साथ ‘गुलाम’ शब्द जुड़ा हुआ है। दोष देना है तो इन मुट्ठी भर गुलामों के अलावा विकृति से ग्रसित बाकी हिन्दुओं को देना चाहिए जिन्होंने इस तरह का इतिहास लेखन होने दिया या स्वयं इतिहास नही लिखा और यदि लिखा तो हिन्दू विरोधी इतिहास की तरह सामने क्यों नही आया? कहते हैं जो अपने इतिहास को भूल जाते हैं या उससे सीख नही लेते हैं उनका भूगोल बदल जाता है। हिन्दुस्तान के साथ तो यही हो रहा है और हिन्दू समाज में पलायन की वृति पनपने लगी है। महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान इसी कायरता से बचाने के लिए ही दिया था। यह बात हिन्दू अच्छी तरह से जानते हैं फिर शक्तिशाली होने के बाबजूद पलायन और चुपचाप बैठे रहने की वृति को क्या कहेंगे सद्गुणविकृति या विकृति?

राजनीतिक स्वार्थों और यहाँ के जनमानस के मनोबल को गिराने के लिए आस्था से खिलवाड़ करने की अनेक गाथाओं से भारत का इतिहास भरा पड़ा है। आस्था का सीधा सम्बन्ध व्यक्ति या राष्ट्र के इतिहास से होता है। इतिहास को भी गुलाम मानसिकता वाले राजनीति के कुटिल कलाकारों ने अपने अपने हिसाब से घुमा फिरा कर प्रस्तुत किया। पुर्तगाली, फ्रांसीसी, मुस्लिम आक्रांता और गोरी चमड़ी वालों ने हिन्दुस्तानियों को बारी बारी से लूटा। लूट के प्रयास बहुत आक्रामक थे लेकिन भारत के पुरुषार्थी पुत्रों के शौर्य पर खड़ी भारत की समृद्ध धरोहर का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऐसे असंख्य जख्मों के बाद भी भारत की मूल धरोहर उसकी संस्कृति और सनातन सभ्यता आज भी अक्षुण्ण खड़े हैं। जबकि दुनिया की कई सभ्यताएँ आज धूल धूसरित हैं। आखिर भारतीय इतिहास के साथ छेड़छाड़ क्यों की गई ? इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने की जिम्मेदारी किसकी? और यदि उत्तर मिल गया है तो हर हिन्दू तक उस बात को कौन पहुंचाएगा ? यदि अहिंदू ये काम करेंगे ऐसा हिन्दू समाज सोचता है तो फिर क्या कहने! पृथ्वीराज चौहान जिस सद्गुणविकृति के कारण एक लुटेरे के हाथों परिणिति को प्राप्त हुए थे वही हाल आज हिन्दू समाज का होने वाला है। आज अधिकांश हिन्दू इस कडवे सत्य को जानते हैं लेकिन इस विकृति से बाहर आने की दिशा में प्रयास के नाम पर कुछ नही कर रहे।

जो भी आक्रांता भारत को लूटने आए उन्होंने भारत के सामर्थ्य और शक्तिशाली सभ्यता को पूरी तरह मिटाकर अपने महिमामंडन को आगे रखा। उन्होंने अपनी भाषाओं में भारतीय ज्ञान और साहित्य का अपने हिसाब से अनुवाद किया और मूल प्रतियों और उनके जानकार भारतीयों को नष्ट करने का षड्यंत्र भी रचा। इस घृणित षड्यंत्र का ही प्रभाव है कि आज भी हमारे देश में वो लोग बड़ी तादात में मौजूद हैं जो हमारे गौरवशाली इतिहास और भारत की समृद्ध धरोहर पर ही प्रश्न खड़े कर देते हैं। इसका समाधान प्रमाणिक तरीके से कौन करेगा?

भारत में विदेशी शिक्षा की नींव रखने वाले मैकॉले की सोच और योजना क्या थी आज अधिकांश हिन्दू शायद जानते हैं और समझते भी हैं। लेकिन उस विकृत सोच से हिन्दुओं की आने वाली पीढ़ियों को कैसे बचाना है इसकी योजना न जाने कहाँ कार्यन्वित है? रोज कहीं न कहीं कॉन्वेंट स्कूलों में हिन्दू विद्यार्थियों के रुद्राक्ष, माला, तिलक आदि लगाने पर उनके साथ होने वाली मारपीट के समाचार हिन्दू पढ़ते रहते हैं और सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देते रहते हैं। लेकिन अगले दिन उनके बच्चे फिर उसी कॉन्वेंट स्कूल में होते हैं। यह विकृति अथवा सद्गुणविकृति नही तो और क्या?

हर चीज को विदेशी चश्में से देखना आज शोभाचार हो गया है। इसी शोभाचार की मांग पर इसके अनुयायी अपने ही देश की संस्कृति की निंदा करने में भी नही हिचकिचाते। बात इससे अधिक खतरनाक हो गयी है और जितना कोई पाश्चात्य सभ्यता की प्रशंसा करता है और भारत की बुराई करता है उसको आज इस देश में एक नायक की तरह सम्मान प्राप्त होता है। और यह सम्मान देने वाले अधिकांश हिन्दू हैं। दूसरी ओर प्राचीन ज्ञान, प्राचीन रीति-रिवाज, प्राचीन धर्म को लेकर यदि कोई अच्छी बात करे तो यही हिन्दू या तो उसका उपहास उड़ायेंगे या फिर अकारण ही नकार देंगे। हिन्दुओं की ऐसी ही मानसिकता ने प्राचीन ज्ञान, जिस पर हिन्दू समाज का ढांचा बना था, उसके नीचे बारूद रख दिया है। मैकॉले ने जिस मूर्तिभंजक हिन्दू पीढ़ी की कल्पना की थी वह आज साकार होती दिख रही है।

आज के हिन्दू की आस्था का केंद्र पाश्चात्य जगत हो गया है और भारतीय लेखकों, दार्शनिकों और विचारकों की जगह विदेशी लेखकों या विचारकों ने ले ली है। और यह पीडादायक हो जाता है जब हिन्दू समाज चेतन भगत जैसे लोगों को पढने लगता है, उनकी कपोल कल्पनाओं पर लट्टू होता है। देवदत्त पटनायक जैसे मिथोलोजिस्ट फलने फूलने लगते हैं। उनके लिखे हुए झूठ के आधार पर अपने ही गुरुओं और साधू संतों पर प्रश्न चिन्ह लगाने लगते हैं। हिन्दुओं के देश में संस्कृत और हिंदी भाषा के साथ होने वाला सौतेला व्यवहार इसका दूसरा प्रमाण है। क्या अब्राह्मिक पन्थ के अनुयायियों (ईसाई, मुस्लिम) से हिन्दू समाज यह आशा करता है कि वो संस्कृत या हिंदी के उत्थान या पुनरुत्थान का काम करेंगे? यदि ऐसी आशा हिन्दू समाज रखता है तो इसको मूढ़ता नही कहें तो और क्या कहेंगे? क्या कभी हिन्दुओं ने सोचा है कि विदेशी आक्रान्ताओं ने विशेषकर अंग्रेजों ने अपनी भाषा को योजनाबद्ध तरीके से भारतीयों पर क्यों थोपा?

हिन्दू समाज यदि इस प्रश्न के उत्तर को ढूंढने का प्रयास करे तो एक युक्ति बता देता हूँ कि हिन्दुओं के शास्त्रों में ही लिखा है ‘अक्षर में शक्ति होती है’। विदेशियों ने हिन्दुओं की ही ताकत को आज तक उनके विरुद्ध प्रयोग किया इस बात को कोई नकार नही सकता। पाश्चात्य जगत शब्दों के साथ खेलने में माहिर है। लेफ्ट विंग, राईट विंग, फेमिनिज्म, लिबरल, सेक्युलर, डेमोक्रेसी, इक्वैलिटी और न जाने क्या क्या। और हिन्दू समाज षड्यन्त्र पूर्वक गढ़े ऐसे असंख्य शब्दों के जाल में उलझा हुआ है। शब्दों के इस मकडजाल से बाहर आना है तो हिन्दू समाज को सोचना या खोज करनी होगी कि क्या भारत के बाहर इन शब्दों का धरातल पर कोई अस्तित्व है? उत्तर मिलेगा- नही। इस परिप्रेक्ष्य में इस्लामिक जगत की बात करना बईमानी होगा क्योंकि वहां तो सब कुछ हराम है । भारत में इस्लामिक और ईसाई लोग ऐसे शब्दों का उपयोग हथियार की तरह करते हैं यह भी हिन्दू समाज अच्छे से जानता है । लेकिन हिन्दू ‘गंगा जमुनी तहजीब’ के आत्मघाती अहिंदू ट्रैप में स्वेच्छा से फसा हुआ है । यदि बड़ी मुश्किल से कोई दूसरा हिन्दू इस ट्रैप से बाहर निकलने या लोगों को निकालने का कोई प्रयास करने लगता है तो हिन्दू ही उसके विरोध में खड़े हो जाते हैं, सहयोग करना तो दूर की बात। हिन्दुओं की मुर्खता का ऐसा बहुत लम्बा इतिहास भी है।

अल्लमा इकबाल द्वारा कहे शब्दों ‘यूनान, मिस्र, रोम मिट गये जहाँ से, कुछ बात तो है कि हस्ती मिटती नही हमारी’ जैसी बातें करने वाले क्या हिन्दुओं को मुर्ख नहीं बना रहे हैं? वो कदाचित यह बताने की कोशिश नही करते कि हिन्दुओं के साथ कश्मीर, बंगाल, केरल में क्या हो रहा है, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल के ऊपर खतरा मंडरा रहा है और पंजाब धर्मांतरण से पीड़ित है। हरिद्वार, ऋषिकेश और बद्रीनाथ जैसे हिन्दू तीर्थ स्थलों पर यही हिन्दू किसी अहिंदू से फूल मालाएं खरीद रहा है, उनके द्वारा बना भोजन खा रहा है, उनके होटल्स में रह रहा है । तो हिन्दुओं की इस मुर्खता को क्या कहेंगे?  

इतिहास में भी हिन्दू जागरण के कुछ प्रयास हुए थे लेकिन उनकी परिणिति क्या हुई यह जानना अत्यावश्यक है ताकि हिन्दू इस विकृति या सद्गुणविकृति की बीमारी से बाहर आ सके । हिन्दुओं की वर्तमान शुतुरमुर्ग अवस्था को देखने से तो यही लग रहा है कि इस दिशा में प्रयास न के बराबर हो रहे हैं ।

हिन्दुत्व की रक्षा और जागरण का एक अप्रतिम प्रयास सन 1857 का स्वतन्त्रता संग्राम को माना जा सकता है। क्योंकि इसके मूल में तात्या टोपे, कुंवर सिंह, रानी लक्ष्मीबाई जैसे हिन्दू ही थे। यह आंदोलन प्रारम्भ में हिन्दू ही था। क्या हिन्दू जानता है कि इस संग्राम की असफलता के पीछे मुख्य कारण क्या थे? क्या हिन्दू जानता है कि दिल्ली के अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह ने इस संग्राम में शामिल होने के लिए क्या शर्त रखी थी? हिन्दू धर्म के अभिन्न अंग सिख सैनिक इस धर्मयुद्ध में शामिल क्यों नही हुए? एक हिन्दू लड़ रहा है और दूसरा हिन्दू अंग्रेजों का सिपाही बनकर उसी हिन्दू से लड़  रहा है? इसे क्या कहेंगे? 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के विफल होने के बाद अंग्रेजों ने जिस प्रकार प्रतिशोध लिया उससे हिन्दुत्व की जो अपार क्षति हुई, क्या उसका कारण हिन्दुओं की सद्गुण विकृति नही थी?

विनायक दामोदर  सावरकर जैसे प्रखर हिन्दू योद्धा को आज भी सेकुलरिज्म की बीमारी से पीड़ित हिन्दुओं और हिन्दू धर्म  विरोधियों के हाथों अपमानित होना पड़ता है । क्या हिन्दुओं का ये धर्म नही है कि उनको मुंहतोड़ उत्तर दे? क्या हिन्दू ऐसा करता है? करना तो दूर की बात अधिकांश हिन्दुओं को महान सावरकर कौन थे?  ये भी पता न होगा । और यदि गिने चुने लोगों को पता भी होगा तो यह मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की उन्होंने बाकी हिन्दुओं को बताने का यत्न न किया होगा, और यदि यत्न किया होगा तो बाकी हिन्दुओं ने उन्हें गम्भीरता से न लिया होगा । और तो और उन जानकार लोगों के घरों में, उनके बच्चों को भी सावरकर के बारे में पता न होगा। क्या इस प्रकार की मानसिकता हिन्दुओं की सद्गुण विकृति नही है? 

आखिर हिंदुत्व में बाधा किस कारण पड़ी थी ? यह एक निश्चित मत है कि हिन्दू अर्थात् प्राचीन भारतीय संस्कृति में कोई दोष नहीं है। यदि हम हिन्दुत्व विरोधी कारणों का विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि हिन्दू समाज में अंधश्रद्धा और अंग्रेजी की विकृत शिक्षा ही कारण हैं। इन दोनों ने क्या किया, उसको निम्न बिंदुओं द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है :

(1) भारत में हिन्दू विरोधी तत्त्वों को उभारा और उन्हें पुष्ट किया।

(2) हिन्दुओं की मान्यताओं को क्षीण किया।

(3) प्राचीन भारत के गौरवशाली काल को इतिहास पूर्व का काल और मिथ्यावाद (Mythology) बनाकर विख्यात किया।

(4) अपनी प्राचीन श्रेष्ठता को विस्मृत करके ईसाई, मुसलमानों की हीन और कुत्सित जीवन-मीमांसा की महिमा का बखान किया।

(5) अपने धर्म शास्त्रों, धर्म गुरुओं, उनकी शिक्षाओं को संदेह की दृष्टि से देखने के लिए प्रेरित किया ।

हिंदुत्व पर ग्रहण लगाने का खेल जो मैकॉले के समय से खुलकर शुरू हुआ था वह आज तक जारी है । और हिन्दू चिर निंद्रा में सोया हुआ है। बात यहाँ तक आ गयी है कि घोर वामपंथी और आजकल बंगाल में हिन्दुओं के नरसंहार पर मजे लेने वाली तृणमूल कांग्रेस के टिकट से राज्यसभा के मजे लेने वाली सागारिका घोष  ने ‘इन्टरनेट हिन्दू’ जैसा शब्द उछाल दिया था । इसके पीछे कारण केवल एक ही है कि उनको पता है कि हिन्दू केवल इन्टरनेट पर ही मुंह चलाएगा ।    

आज हिन्दुओं के मन्दिरों की क्या दशा है? उस दशा का जिम्मेदार कौन है?  आज जब हिन्दुओं के मदिर टूटते हैं या अन्य कोई मंदिर विरोधी घटना होती है तब सोशल मीडिया पर हल्ला मचाने वाले लोग मिल जाते हैं लेकिन धरातल पर इस दिशा में काम करने वालों की संख्या न के बराबर है । यह संख्या बढ़ाना किसका काम है? हिन्दू विरोधी मत पन्थ आज सडकों पर उतर आयें हैं, यहाँ तक हिन्दुओं के घरों में घुसकर नमाज पढ़ने जैसी घटनाएँ देश में होने लगी है लेकिन इसके विपरीत हिन्दुओं के मंदिरों में संध्या के समय घंटी और ढोलक बजाने के लिए बिजली की मोटर का उपयोग होने लगा है। क्या यह हिन्दुओं की विकृति या सद्गुणविकृति नही है? इसी विकृति का फायदा आज की सत्ता लोभी सरकारें उठा रही है और मुल्ला मौलवियों को अच्छा खासा मानदेय दिया जा रहा है और हिन्दू मंदिरों के पुजारियों की पिटाई और संतों की हत्या हो रही है।

भारत जैसे हिन्दू बहुल देश में वामपंथी लेखकों की पुस्तकें चुटकियों में बिक जाती हैं, उनके लिखे लेख रातों रात वायरल हो जाते हैं । लेकिन सनातन हिन्दू धर्म और राष्ट्र को ध्यान में रखने वाले हिन्दू लेखकों की पुस्तकें पाठकों की राह देखती रहती हैं । बड़े बड़े हिन्दू संगठन भी अपने हिन्दू विचारकों को प्रोत्साहित करने का विचार तक न करते। यह मानसिकता कि ‘सब चल रहा है’ क्या हिन्दुओं की विकृति नही है? क्या सनातन हिन्दू धर्म पर हिन्दू विचार के लेखकों द्वारा लिखी पुस्तकें अहिंदू पढ़ेंगे? क्या वे उन पुस्तकों को हर हिन्दू के हाथ तक पहुंचाएंगे? क्या हिन्दू जागरण के उद्देश्य से बनने वाली फिल्मों को, विडियो को अहिंदू देखकर पॉपुलर करेंगे? ऐसे बहुत से प्रश्न हैं जिनका उत्तर केवल हिन्दुओं को इस दिशा में कार्य करके देना है, यदि ऐसा न हुआ तो इस्लाम ईसाइयत ने दुनिया में कई सभ्यताओं को संग्राहलयों में पहुंचाया है । हिन्दुओं के साथ ऐसा नही होगा ऐसा सोचना हिन्दुओं की मूढ़ता है । पाकिस्तान कभी हिन्दू भारत का भाग था, बंगलादेश भी भारत का अंग था, लेकिन आज ये स्थान क्या हैं? सब जानते हैं । जो भी हिन्दुओं के आराध्य राम, कृष्ण, शिव, शक्ति और अन्य देवी देवताओं को नही मानता वह आज नही तो कल हिन्दुओं से भिड़ेगा ही । यह कटु सत्य है जिसे हिन्दू जितना जल्दी स्वीकार करेगा और उस भिडंत की तैयारी करेगा उतना ही अच्छा रहेगा । हिन्दुओं को यह बात अवश्य ध्यान देनी चाहिए कि आज जिम ट्रेनर अधिक संख्या में कौन हैं? नाई, दर्जी, सब्जी फल बेचने वाले, ड्राईवर आदि हर जगह कौन हैं? और हिन्दुओं को यह भी चिंता करनी होगी कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं? नशा किसके भविष्य को समाप्त कर रहा है? क्योंकि नशा करने वाला जिम नही जाता । लव जिहाद, लैंड जिहाद, कुकुरमुत्ते की तरह उग रही मजारें, मस्जिदें, और चर्चों में रामायण पाठ नही होगा। सेकुलरिज्म का विषैला कीड़ा किसके घरों में लोगों को काट रहा है? और यह कीड़ा किनके लिए हथियार का काम कर रहा है? जितना जल्दी हिन्दू समाज इस वास्तविकता को समझ लेगा उतना अच्छा। नही तो ‘यह घर बिकाऊ है’ ऐसे बोर्ड कुछ जगहों पर लगने लगे हैं।

हिन्दू त्योहारों के समय प्रतिबन्ध लगना अब सामान्य बात होने लगी है और हिन्दू समाज चुपचाप आँख मूंदकर सब सह रहा है या आधुनिकता के नाम पर नियम पालन करने का हवाला देकर अपने दब्बूपन का प्रदर्शन कर रहा है । रोजी रोटी का हवाला देकर अपने डर का प्रदर्शन हमेशा हिन्दू करते रहते हैं, लेकिन क्या वो ये नही जानते कि भारत कि जिन जगहों में अहिंदू बहुसंख्यक हो गए हैं उन जगहों पर हिन्दुओं की स्थिति कैसी है या कैसी होती जा रही है? सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से रोज ऐसी जानकारी मिलती रहती है । एक तरह से देखें तो परिवार या नौकरी या रोजी रोटी की ऐसी चिंता करना ठीक भी है पर जब आपका सब कुछ मिटाने वाले सामने खड़े हों तो क्या ऐसे रोने बिलखने से काम चलेगा या इस संकट निवारण के लिए कार्य करना होगा।

कॉन्वेंट स्कूल, कॉलेज किसके बच्चों के कारण फल फूल रहे हैं? उत्तर- हिन्दू। जिन कॉन्वेंट स्कूलों की स्थापना मूर्तिपूजक हिन्दुओं का नामोंनिशान मिटाने के लिए हुई थी आज भी हिन्दुओं के बच्चे यहाँ तक कि अपने आपको हिन्दू नेता कहने वाले या संगठनों के पदाधिकारियों के बच्चे इन स्कूलों में पढ़ते है, इस मानसिकता को मुर्खता नही कहेंगे तो क्या कहेंगे? सब जानते हुए अनजान बनकर व्यवहार करना ही सद्गुणविकृति है। हर बात के लिए विदेशियों से प्रमाण पत्र लेने के लिए पागलों की तरह लगे रहना ही हिन्दू समाज की सद्गुणविकृति है। विश्व को हिन्दुओं की देन ज्योतिष विज्ञान का आज सड़क के किनारे मजाक उड़ना हिन्दुओं की मानसिक विकृति का ही परिणाम है। अपने ही देश में हिन्दुओं का विस्थापित कैम्पों में रहना हिन्दुओं की सद्गुणविकृति नही तो और क्या? अपने पिता के आदेश का पालन करने वाले श्री राम को अपना आराध्य मानने वाले हिन्दुओं के देश में वृद्धा आश्रमों का निर्माण होना और उनकी संख्या बढ़ना क्या विकृति नही है? लव जिहाद के षडयन्त्र में हिन्दुओं की बहन बेटियों का फसना क्या सद्गुणविकृति नही है? सन 1925 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा संगठन हिन्दू समाज को संगठित करने में लगा हुआ है, संघ के स्वयंसेवकों की कितनी पीढियां इस काम में खप गयी, संघ के कार्यकर्ता और यहाँ तक सरसंघचालक भी हिन्दुओं का संघ से जुड़ने या संगठित होकर कार्य करने का आवाहन करते आ रहे हैं। लेकिन सब कुछ जानते हुए हिन्दू समाज नीरस व्यवहार कर रहा है क्या यह सद्गुणविकृति नही हैं?

गौहत्या करने वाले अहिंदू की अगर किसी कारण वश मृत्यु हो जाए तो पूरे देश दुनिया में बवाल हो जाता है लेकिन संघ के स्वयंसेवकों की नृशंस हत्या पर सबके मुंह में सीमेंट लग जाता है, इस मानसिक कोढ़ को क्या कहेंगे?

हिन्दुओं को यदि कुछ सीखना है तो नेपाल जैसे देश से सीखे जहाँ कम्युनिस्ट सरकारों के होते हुए भी सारे काम नेपाली भाषा में होते हैं अंग्रेजी में नही, ग्रेगोरियन कैलेंडर का प्रचलन वहां नही है, यहाँ तक कि भूमि सम्बन्धित दस्तावेज भी नेपाली भाषा में ही बनाये जाते हैं । लेकिन भारत जैसे देश में सब कुछ उल्टा है । क्या नेपाल का वैश्विक अस्तित्व नही है ? क्या नेपाल दुनिया के साथ नही चल रहा है?  जब अपनी मूल भाषा का उपयोग और संस्कृति का सम्वर्धन करते हुए नेपाल दुनिया में अपना अस्तित्व बनाकर चल सकता है तो भारत क्यों नही? दुनिया में नेपाल जैसे और कितने देश हैं जहाँ अंग्रेजी का प्रभाव नही है लेकिन ‘टॉक इंग्लिश वाक इंग्लिश’ ऐसी मानसिकता क्या हिन्दुओं की सद्गुणविकृति नही है?

हिन्दू समाज की इस विकृति और सद्गुणविकृति नामक बीमारी पर बहुत कुछ लिखा सकता है परन्तु यह भी उतना ही है सत्य है कि भारतीयता अर्थात हिन्दुत्व में अभी भी जीवन बाकी है। जब तक वेद, वाल्मीकी रामायण, महाभारत और उपनिषद् जैसे शास्त्र हिन्दुओं के मान्य ग्रन्थ रहेंगे, जब तक हिन्दू अपनी गुरु परम्परा का निर्वहन करेंगे, जब तक हिन्दू समाज सनातन को धर्म मानकर कार्य करेगा ना कि रिलिजन, तब तक हिन्दुत्व की जीवन ज्योति सतत जलती रहेगी और समय पाकर यह पुनः पूर्ण रूप से प्रज्वलित हो उठेगी। इसके लिए केवल और केवल एक ही काम करना आवश्यक है, और वह काम है हिन्दुओं का अपनी इस मानसिक विकृति और सद्गुणविकृति से बाहर आकर अपने घर से हिन्दू जागरण और हित में मन वचन कर्म से कार्य करना। नही तो संग्रहालय भी नही मिलेगा ।

नारायणायेती समर्पयामि…

Tags: dr mahender thakurdrmahenderthakurFree Hindu TemplesHindu MythologyIslamMurshidabadMurshidabad ViolenceMythologyPahalgam Attackrssआरएसएसचेतन भगतमाइथोलॉजीराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघविनायक दामोदर सावरकरवीर सावरकरसद्गुणविकृतिसागरिका घोषसावरकरस्वातंत्र्यवीर सावरकरस्वातंत्र्यवीर सावरकर फिल्म
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

PAK पर PM मोदी का कड़ा प्रहार, अटारी बॉर्डर सील कर सिंधु जल समझौता किया रद्द; भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे का समय

अगली पोस्ट

बारामूला के बाद कुलगाम और अब उधमपुर, पहलगाम हमले के बाद J&K में 24 घंटे भीतर शुरू हुई तीसरी मुठभेड़

संबंधित पोस्ट

पाकिस्तान से खाड़ी देशों पर मंडराता तात्कालिक ख़तरा
मत

पाकिस्तान से खाड़ी देशों पर मंडराता तात्कालिक ख़तरा

14 May 2025

जैसे-जैसे खाड़ी देश आधुनिक बन रहे हैं और पाकिस्तान को पैसा देना बंद कर रहे हैं, इस्लामाबाद उन्हें “सच्चे इस्लाम” से भटकता हुआ मानता है।...

भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है
मत

ऑपरेशन सिंदूर: झूठे नैरेटिव के शोर में सेना के पराक्रम की गूंज न दबने दें

14 May 2025

भारत-पाकिस्तान के बीच सैनिक संघर्ष रुकने पर हम देश की प्रतिक्रिया देखें तो बड़ा वर्ग, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मोदी सरकार और भाजपा के समर्थक...

RSS के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी
इतिहास

RSS के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी का 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान दिया गया संदेश

10 May 2025

पहलगाम में स्थानीय रेडिकल इस्लामिक आतंकियों की मदद से पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा पहचान पूछकर हिन्दू पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Pakistan needs money from IMF to feed their people

Pakistan needs money from IMF to feed their people

00:15:20

Vacate PoK and more: Steps Pakistan needs to take to avoid Indian military action

00:06:36

Taking The Wire’s Propaganda Piece on VP to the Cleaners – Feat. Prof. Kapil Kumar

00:09:19

Rahul Gandhi Undermines India’s Electoral Integrity as Trump Applauds It

00:07:09

Why Pakistan army chief reminds two nation theory| what is the plan| Waqf Bill |Asim Munir| Jinnah

00:13:02
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited