India economic surgical strike on Bangladesh: ढाका से अगरतला जाने वाले ट्रकों के पहिए अचानक थम गए हैं। अफसर परेशान हैं। बांग्लादेश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में हलचल बढ़ गई है। मोहम्मद यूनुस सरकार ने चाइना प्रेम में खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। हुआ यूं है कि भारत ने बांग्लादेश को खैरात में दी जा रही ट्रांसशिपमेंट सुविधा को बंद कर दिया है। क्योंकि, अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने चाइना में जाकर भारत को आंख दिखाई थी। अब बांग्लादेश की टैक्सटाइल इंडस्ट्री गर्त में जाती नजर आ रही है। हालांकि, इससे के बाद भी वहां के नेता समस्या से उबरने की बात तो कर रहे हैं लेकिन ये मानने से इनकार कर रहे हैं कि इससे उनके देश को कोई समस्या होगी।
आइये जानते हैं आखिर भारत के तरफ से रद्द की गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा क्या है? मोहम्मद यूनुस के रवैये के कारण उठाए गए इस कदम से बांग्लादेश को कितना नुकसान पहुंच सकता है। क्या यह सिर्फ एक कूटनीतिक संदेश है, या किसी बड़ी रणनीति की आहट?
शॉर्ट में समझें पूरी कहानी
बांग्लादेश में शेख हसीना का सरकार गिरने के बाद अंतरिम सरकार का गठन होता है। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया यानी मुख सलाहकार बनाया गया। उन्होंने आंदोलनकारी छात्र नेताओं और अन्य के साथ अपनी सलाहकार समिति बनाई। दावा किया को वो बांग्लादेश को विकास के रास्तों पर तेजी से दौड़ाएंगे। दुनिया को उनसे उम्मीद भी थी। हालांकि, सब इससे उलट हुआ। उनके कमान संभालने के बाद भी देश में हिंदुओं को लगातार टारगेट किया जाता रहा।
मोहम्मद यूनुस ने दुनियाभर में संबंधों को मजबूत बनाने के लिए दौरे करने शुरू किए। हालांकि, इस दौरान उनका चीन के प्रति झुकाव बदस्तूर दिखता रहा। मार्च के आखिरी हफ्ते में वो 4 दिनों की यात्रा पर चीन गए। इस दौरान एशिया सम्मेलन में भाग लिया और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इसे वो अपनी बड़ी रणनीति प्रचारित करते रहे। अपने अहंकार और चीन के प्रेम में वो इतना बह गए की भारत को नजरें दिखाने लगे। यूनुस ने भारत के सेवन सिस्टर राज्यों को लैंड कॉक बताया और खुद को ‘समंदर का गार्जियन’ बताते हुए बंगाल की खाड़ी में डेवलपमेंट के लिए चाइना को आमंत्रित कर दिया।
भारत ने की आर्थिक ‘सर्जिकल स्ट्राइक’
चीन में मोहम्मद यूनुस ने व्यापार बढ़ाने की आशा के साथ भारत के खिलाफ बनाय दिया। इसके बाद से भारत में उन्हें कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी। आखिरकार भारत सरकार भी एक्शन में आई और बांग्लादेश को मिल रही ट्रांसशिपमेंट सुविधा को बंद कर दिया। इसे बांग्लादेश पर भारत की आर्थिक ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कहा जा रहा है। भारत के इस कदम के बाद बांग्लादेश का भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। उनकी एक्सपोर्ट लागत बढ़ेगी।
भारत लंबे समय से बांग्लादेश को एकतरफा रियायत देता रहा था। उससे अपने माल को भारतीय जमीन के इस्तेमाल पर कोई ट्रांजिट शुल्क नहीं ली जा रही थी। भारत ने ये क्लियर कर दिया कि उसकी सहिष्णुता असीमित समय के लिए नहीं है। अगर हिंदुस्तान पर कोई नजर उठाकर देखेगा तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा।
बांग्लादेश को होगा बड़ा आर्थिक नुकसान
भारत से मिल रही ट्रांसशिपमेंट सुविधा के कारण बांग्लादेश का भूटान, नेपाल और म्यांमार के साथ व्यापार आसान हो गया था। इसके साथ ही भारत के बाजार में शराब और सिगरेट को छोड़कर बांग्लादेश का सामान बिना टैरिफ के आ जाते थे। यह सुविधा साल 2020 से दी जा रही थी। इससे बांग्लादेश की इंडस्ट्री तेजी से फल फूल रही थी। उनका एक्सपोर्ट तेजी से बढ़ रहा था। इससे देश को रेवेन्यू तो हो ही रहा था। इसके साथ कंपनियों को फायदा होने के साथ ही रोजगार भी मिल रहा था। शांति से काम करने में बांग्लादेश भारत का विश्वास भी जीत रही था। हालांकि, मोहम्मद यूनुस ने ये सब बर्बाद कर दिया है।
- रेवेन्यू में भारी गिरावट आएगी
- कंपनियों की आय और एक्सपोर्ट पर असर होगा
- बेरोजगारी के साथ और आंतरिक दबाव बढ़ेगा
- क्षेत्रीय विश्वास के साथ भारत के संबंधों पर बुरा असर
भारत के सहारे बांग्लादेश का व्यापार
भारत से मिल रही खैरात ने बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच को सस्ता और आसान बना दिया था। इससे रेडीमेड गारमेंट उद्योग तेजी से बढ़ा। साल 2024 में बांग्लादेश का कुल निर्यात ऐतिहासिक रूप से 50 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री और चमड़ा और चमड़ा उत्पाद अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गए। साल 2024 के आंकड़ों के अनुसार, चमड़ा उद्योग से निर्यात 10.44% बढ़कर 577.29 मिलियन डॉलर हो गया है। कपास उत्पादों का निर्यात 16.32% बढ़कर 319.06 मिलियन डॉलर हो गया है। अब इसमें तेजी से गिरावट आएगी।
भारत को होगा लाभ
बांग्लादेश के नेता भले ही इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं लेकिन उनकी तरक्की के पीछे भारत बैकबोन की तरह काम कर रहा था। लेकिन अब बांग्लादेश में व्यापारिक अस्थिरता के कारण अंतरराष्ट्रीय डिमांड कम होगी। भारतीय लॉजिस्टिक्स प्रणाली का सपोर्ट न मिलने से टेक्सटाइल उद्योग बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएगा। वहीं इन तमाम चीजों का असर भारत को व्यापारिक फायदे के रूप में होगा। बांग्लादेश की फैक्ट्रियों को मिलने वाला ऑर्डर अब भारत की कंपनियों को मिलने लगेगा।
बांग्लादेश में होगी बत्ती गुल
साल 2023 में भारत का बांग्लादेश को कुल निर्यात 11.3 बिलियन डॉलर का था। सबसे ज्यादा 1.42 बिलियन डॉलर की बिजली हमने बांग्लादेश को दी थी। यह कुल निर्यात का 12.5 प्रतिशत था। 2024 में बांग्लादेश ने 115 टेरावॉट बिजली उपयोग की इसमें भारत की 12 टेरावॉट बिजली थी। इससे वहां की फैक्ट्रियां चल रही थी। ट्रांसशिपमेंट सुविधा बंद करने के बाद अगर भारत बिजली को लेकर कोई फैसला ले लेता है तो इससे वहां की इंडस्ट्री ठप हो सकती हैं।
भारत ने दिखा दिया कि यदि कोई पड़ोसी उसकी कूटनीतिक उदारता को कमजोरी समझता है तो यह उसकी भूल होगी। बांग्लादेश अब इसकी सीधी कीमत चुका रहा है। हालांकि, अभी भी अंतरिम सरकार के वाणिज्य सलाहकार शेख बशीर उद्दीन इसी कोई समस्या मानने से इनकार कर रहे हैं। उनका मानना है कि ढाका खुद ही स्थिति पर काबू पा लेगा। अब देखना होगा कि मोहम्मद यूनुस अपनी भूल सुधारते हैं या देश को इसी तरह गर्त में जाने देते हैं। हालांकि, इससे भारत की कूटनीतिक स्थिति आस पड़ोस में और अधिक तेजी से उभरेगी।