Indian Defence Power: भारत लगातार रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है। मोदी सरकार ने साल 2014 में ‘मेक इन इंडिया’ का प्लान देश के सामने रखा था। इसके बाद से लेकर अभी तक देश में कई चीजें बने लगी है। रक्षा क्षेत्र के निर्माण में भी इस प्लान के कारण काफी बूम आया है। साल 2014 से लेकर अभी कर भारत ने रक्षा क्षेत्र में मील के पत्थर गाड़े हैं। भारत की ये तरक्की सिर्फ मिसाइलों, युद्धक टैंकों या आधुनिक हथियारों की नहीं है। बल्कि यह संकल्प, स्वदेशी सोच और रणनीतिक दृढ़ता की कहानी है। इसने भारत को दुनिया के शीर्ष रक्षा उत्पादक देशों की लाइन में खड़ा कर दिया।
जब 2014 में भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ का उद्घोष हुआ था तो कल्पना की गई थी कि हम अपने देश में निर्माण को बढ़ावा देंगे। हालांकि, रक्षा के क्षेत्र को लेकर ऐसा सोचा नहीं गया था। हालांकि, भारतीय सेना, भारत सरकार और भारतीय कंपनियों के सहयोग के आज हम रक्षा के क्षेत्र में अव्वल (Indian Defence Power) हो गए हैं। आइये जानें हमने कौन सी उपलब्धियों को अपने खाते में जोड़ा है।
साल दर साल कैसे बढ़ा उत्पादन और निर्यात
2014-15: इस साल में 46,400 करोड़ का रक्षा उत्पादन हुआ और 1,940 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ।
2022-23: इस साल 95,000 करोड़ से ज्यादा का उत्पादन हुआ और 16,000 करोड़ का निर्यात किया गया।
2023-24: इस साल 1,27,000 करोड़ का उत्पादन हुआ। इस साल सबसे ज्यादा निर्यात भी किया गया।
2025: इस साल देश में 1.5 लाख करोड़ के उत्पादन और 20,000 करोड़ से ज्यादा निर्यात का लक्ष्य रखा गया है।
स्वदेशी उपकरणों की शुरुआत
P17A स्टेल्थ फ्रिगेट प्रोजेक्ट का पहला पोत INS नीलगिरी 15 जनवरी 2025 को कमीशन हुआ। यह शिप शिवालिक से अधिक उन्नत और आधुनिक तकनीकों से लैस है। टाटा-एयरबस C-295 एयरक्राफ्ट से वायुसेना के पुराने एवरो विमानों को बदला जा रहा है। वहीं भारतीय नौसेना को स्वदेशी UAV Drishti 10 Starliner मिल चुका है जो 36 घंटे की उड़ान क्षमता और 450 किलोग्राम पेलोड के साथ एक एडवांस निगरानी ड्रोन है।
थलसेना में आत्मनिर्भरता की नई मिसाल (Army Defence Power)
साल 2024 में DRDO ने ‘अस्मी’ मशीन पिस्टल बनाई। वहीं सेना में हैक्साकॉप्टर ड्रोन को भी शामिल किया गया। थल सेना के लिए DRDO और Larsen & Toubro ने हल्का युद्धक टैंक Zorawar भी बनाया जो पहाड़ी इलाकों में भारत की धाक बताता है।
हथियार और मिसाइल सिस्टम (Air Force Defence Power)
भारत ने Rudram-II एंटी रेडिएशन मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह दुश्मन के रडार और संचार प्रणाली को खत्म करने में सक्षम है। वहीं DRDO ने स्वदेशी नागास्त्र-1 नाम का “लॉइटरिंग म्यूनिशन” भी सेना को सौंपा दिया है। नागस्त्र-1 किसी आत्मघाती की तरह दुश्मन के घर में हमला कर देता है। वहीं अग्नि-V और अग्नि-P जैसी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ भारत मजबूती से सामने आया है।
समुद्री सुरक्षा में भारत का आत्मविश्वास (Navy Defence Power)
स्वदेशी INS कवरत्ती, INS अर्नाला और P1135.6 ट्रिपुट फ्रिगेट जैसी युद्धपोतों को नौसेना में शामिल किया गया। NASM-SR नामक पहली एयर लॉन्चेड एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण हो चुका है। पहली बार नौसेना ने मिसाइल और गोला-बारूद बार्ज यार्ड 75 (LSAM7) को भी अपनाया है।
देखें सेना को कब क्या मिला?
2014: – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की शुरुआत की
– भारत की पहली स्वदेशी BVR एयर-टू-एयर मिसाइल। सेना में शामिल हुई।
2015: – रक्षा उत्पादन में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधार किए गए।
– भारतीय वायुसेना को ‘मेड इन इंडिया’ लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस मिला।
– सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-5’ का परीक्षण हुआ।
2016: DRDO ने स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस का सीमित स्केल उत्पादन शुरू किया।
2017: INS कलवरी, भारत की पहली स्वदेशी स्कॉर्पीन पनडुब्बी, नौसेना में शामिल हुई।
2018: DRDO ने नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ।
2019: आकाश मिसाइल सिस्टम को निर्यात के लिए तैयार किया गया और सेना में शामिल किया गया।
2020: भारत ने पहली बार 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगाई गई।
2021: रक्षा उत्पादन 85,000 करोड़ के पार पहुंचा।
2022: भारत ने NASM-SR (पहली एयर-लॉन्च एंटी शिप मिसाइल) का सफल परीक्षण किया।
2023: भारतीय सेना ने देश में विकसित अस्मी मशीन पिस्टल और Zorawar लाइट टैंक को अपनाया।
2024: – नौसेना ने पहली बार देशी ड्रोन Drishti 10 Starliner को निगरानी के लिए तैनात किया।
– सेना में हेक्साकॉप्टर अटैक ड्रोन शामिल हुआ, जो ग्रेनेड लॉन्चर और मशीन गन के साथ लैस है।
– रुद्रम-II एंटी रेडिएशन मिसाइल का सफल परीक्षण, जो दुश्मन के रडार को नष्ट कर सकती है।
– रक्षा उत्पादन ₹1.27 लाख करोड़ पहुंचा, जिसमें निजी क्षेत्र का योगदान 21% रहा।
2025: – INS नीलगिरी, प्रोजेक्ट 17A के तहत निर्मित सबसे एडवांस स्टेल्थ फ्रिगेट लॉन्च किया गया।
– टाटा-एयरबस C-295 असेंबली लाइन शुरू हुई
– लॉइटरिंग म्यूनिशन ‘नागस्त्र-1’ की तैनाती शुरू हुई, जो आत्मघाती ड्रोन सिस्टम है।
– DRDO ने अगले चरण की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली पर काम शुरू किया।
साल 2014 से लेकर 2025 तक भारत ने रक्षा क्षेत्र में जो ऐतिहासिक मील के पत्थर तय किए हैं। सेना, नौसेना और वायुसेना में अब स्वदेशी हथियार के साथ प्लेटफॉर्म और तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। निश्चित रूप से ये आने वाले समय में भारत को वैश्विक बाजार में एक पावर के रूप में पहचान दिलाएंगे। इससे हम तो आत्मनिर्भर बनेंगे ही। इसके साथ ही आर्थिक और रणनीतिक मजबूती भी देश को मिलेगी।