अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद-35A हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर के हालात और माहौल में तेजी से बदलाव आया। इसी कड़ी में बीते 2 साल में 83000 से अधिक बाहरी लोग जम्मू-कश्मीर के निवासी बन गए हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार ने विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर में PDP विधायक वहीद पारा ने राज्य सरकार से बाहरी लोगों को दिए गए निवास प्रमाण पत्र को लेकर सवाल पूछा था। इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि बीते 2 वर्षों में राज्य के बाहर से 83,742 लोगों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र दिया गया है। यह आंकड़ा सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि यह कश्मीरी घाटी में अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद-35A हटने का असर है।
उल्लेखनीय है कि अनुच्छेद-370 और 35A भारत के संविधान में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान थे। अनुच्छेद-370 के तहत राज्य सरकार को अपना संविधान और कानून बनाने का अधिकार था, सिवाय रक्षा, विदेश और संचार जैसे क्षेत्रों के, जो कि केंद्र सरकर के अधीन थे। वहीं, अनुच्छेद-35A में स्थायी निवासियों को परिभाषित किया गया था, साथ ही उन्हें संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरियों और अन्य सुविधाओं में विशेष अधिकार दिए गए थे। 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटा दिया, जिससे 35A भी स्वतः समाप्त हो गया था।
चूंकि अनुच्छेद-370 हटने के साथ ही 35A भी खत्म हो चुका है। ऐसे में राज्य के बाहर के लोगों को भी संपत्ति खरीदने, जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरी करने, आरक्षण प्राप्त करने समेत अन्य सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं। ऐसे में पहले की अपेक्षा बड़े पैमाने पर लोग जम्मू-कश्मीर में रहने के लिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में बीते 2 वर्षों में 83 हजार से अधिक लोगों ने जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। यानी ये सभी लोग जम्मू-कश्मीर के आधिकारिक निवासी बन गए हैं।
बता दें राज्य का निवासी बनने के लिए केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (राज्य कानूनों का अनुकूलन) आदेश 2020 जारी किया था, जिसमें स्थायी निवासी को परिभाषित किया गया था। इसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो, जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में 15 वर्षों तक रहा हो या जिसने 7 वर्षों तक वहां पढ़ाई की हो और 10वीं/12वीं कक्षा की परीक्षा वहां के किसी शैक्षणिक संस्थान से दी हो, को राज्य का निवासी माना जा सकता है। इससे वे लोग, जो पहले स्थायी निवासी की श्रेणी में नहीं थे, लेकिन इस मानदंड को पूरा करते थे, जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के नागरिकों की गणना में शामिल हो सके।
निवास प्रमाण पत्र हासिल करने में तेजी से हुआ इजाफा:
गौरतलब है कि साल 2023 में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से बाहर से आए 185 लोगों ने जम्मू-कश्मीर में जमीनें खरीदी हैं। सरकार ने यह भी कहा था कि साल 2020 में जम्मू-कश्मीर में एक, 2021 में 57 जबकि 2022 में 127 बाहरियों ने जमीनें खरीदीं।
ऐसे में यदि 2022 तक जमीन खरीदने के आंकड़ों और अब बीते 2 वर्षों में निवास प्रमाण पत्र हासिल करने वालों की संख्या को देखा जाए तो यह समझ आता है कि बीते 2 वर्षों में घाटी के हालात और भी अधिक सामान्य हुए हैं। तब भी बाहरियों का मन जम्मू-कश्मीर की ओर खिंचा चला आ रहा है।