TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने 'चिकन नेक' को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    भारत ने ‘चिकन नेक’ को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने 'चिकन नेक' को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    भारत ने ‘चिकन नेक’ को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

प्लेग महामारी में दुर्व्यवहार कर रहे अंग्रेज अधिकारी को सरेआम मारी गोली और हाथ में गीता लिए चूम लिया फंदा: कहानी दामोदर चापेकर की

हाथ में गीता मंद मुस्कान के साथ फँसी के फंदे को लगाया था गला

himanshumishra द्वारा himanshumishra
18 April 2025
in इतिहास, चर्चित
दामोदर हरी चाफेकर

दामोदर हरी चाफेकर (Image Source: File Pic)

Share on FacebookShare on X

आज, 18 अप्रैल को उस महान राष्ट्रभक्त दामोदर हरी चापेकर की पुण्यतिथि है जिस वीर ने विदेशी सत्ता की जड़ें हिलाने वाली पहली क्रांति की चिंगारी जलाई और जिसके सनातन समर्पण ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की वैचारिक नींव रखी। चापेकर बंधुओं में से एक दामोदर हरी चापेकर का जीवन केवल ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विद्रोह नहीं था, बल्कि यह राष्ट्र, संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए उठाए गए आत्मबलिदान की गाथा थी। उनका पूरा परिवार राष्ट्रधर्म की वेदी पर समर्पित था तीनों भाइयों ने हंसते-हंसते फाँसी का फंदा स्वीकार किया, लेकिन कभी अपने सिद्धांतों से विचलित नहीं हुए। उनका संघर्ष राजनीतिक सत्ता के लिए नहीं, बल्कि भारत की आत्मा उसकी सनातन संस्कृति और सामाजिक चेतना की रक्षा के लिए था। दामोदर हरी चापेकर ने जिस वातावरण में जन्म लिया, उसी में राष्ट्र के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया।

आज उनकी पुण्यतिथि पर यह लेख उन विस्मृत क्रांतिकारियों को मुख्यधारा में लाने का एक प्रयास है, जिन्हें वामपंथी इतिहासकारों ने सुनियोजित तरीके से इतिहास से बाहर रखा। यह तिथि स्मरण कराती है कि भारत की स्वतंत्रता कोई राजनीतिक समझौता नहीं, बल्कि ऐसे बलिदानों की बुनियाद पर हासिल हुई थी, जिन्हें दशकों तक ऐतिहासिक विमर्श से दरकिनार किया गया।

संबंधितपोस्ट

सॉफ्टवेयर इंजीनियर से कट्टर जिहादी तक: जुबैर की गिरफ्तारी ने खोले अल-कायदा और आईएस के डिजिटल नेटवर्क के पते

शनिवार वाड़ा की मर्यादा भंग: मराठा गौरव के प्रतीक स्थल पर नमाज, हिंदू अस्मिता के अपमान की कहानीू

“शिवाजी का अपमान बर्दाश्त नहीं”: पुणे में जोरदार प्रदर्शन, आरोपी अमीन सैयद गिरफ्तार

और लोड करें

तिलक थे प्रेरणा स्रोत

दामोदर हरि चापेकर उस वीर परिवार के अग्रज थे, जिन्होंने भारत माता की अस्मिता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनका जन्म 25 जून, 1869 को पुणे में प्रसिद्ध कथावाचक श्री हरि विनायक पन्त के घर हुआ था। दामोदर के बाद उनके छोटे भाई बालकृष्ण (1873) और वासुदेव (1879) का जन्म हुआ। तीनों भाई बचपन से ही अपने पिता के साथ भजन-कीर्तन में भाग लेते थे, लेकिन उनका दिल मात्र धार्मिक कार्यों में नहीं, बल्कि राष्ट्र की सेवा में भी लगा था।

तीनों भाई दामोदर, बालकृष्ण और वासुदेव इन वीर कथाओं को बचपन से ही सुनते-सुनते बड़े हुए। इन कहानियों ने उनके मन में परतंत्रता के खिलाफ आक्रोश और स्वराज्य के प्रति आत्मगौरव से भरी भावना को जन्म दिया। इन्हीं प्रेरणाओं के बीच दामोदर के हृदय में सैनिक बनने की प्रबल इच्छा जगी एक ऐसा सिपाही जो मातृभूमि की रक्षा के लिए जीए और बलिदान दे।

दामोदर को गायन के साथ काव्यपाठ और व्यायाम का भी शौक था। उनके घर में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का ‘केसरी’ नामक समाचार पत्र आता था, जिसे पूरे परिवार के साथ-साथ आस-पास के लोग भी पढ़ते थे। तिलक के विचारों से प्रेरित होकर, दामोदर ने युवकों का एक संगठन ‘व्यायाम मंडल’ तैयार किया और ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति तिरस्कार की भावना को बढ़ावा दिया। जब तिलक जी को गिरफ्तार किया गया, तो दामोदर की आँखों में आँसू थे, परंतु उनकी माँ ने कहा, “तिलक जी ने हमें रोना नहीं, लड़ना सिखाया है।” यह बात दामोदर के दिल में बैठ गई, और उन्होंने जीवनभर उसी संघर्ष और समर्पण की राह पर चलने का संकल्प लिया।

इसके बाद दामोदर ने ‘राष्ट्र हितेच्छु मंडल’ के नाम से एक संगठन गठित किया, जिसमें युवकों को व्यायाम और शारीरिक सशक्तिकरण का प्रशिक्षण दिया जाता था। जब उन्हें वासुदेव बलवन्त फड़के की अमानवीय मृत्यु का समाचार मिला, तो दामोदर और उनके साथी सिंहगढ़ दुर्ग पर गए और वहाँ से यह संकल्प लिया कि वे फड़के के अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे।

यही नहीं राष्ट्रनिष्ठ परिवार की जड़ें वीरता और बलिदान से सिंचित थीं। इनके पूर्वजों ने छत्रपति शिवाजी महाराज की हिंदवी स्वराज्य स्थापना से लेकर बाजीराव पेशवा के अभियानों तक अनेक युद्धों में भाग लिया था और वीरगति को प्राप्त हुए थे। ऐसे बलिदानी पूर्वजों की गौरवगाथाएँ इस घर में बड़े गर्व से सुनाई जाती थीं। तीनों भाई दामोदर, बालकृष्ण और वासुदेव इन वीर कथाओं को बचपन से ही सुनते-सुनते बड़े हुए। इन कहानियों ने उनके मन में परतंत्रता के खिलाफ आक्रोश और स्वराज्य के प्रति आत्मगौरव से भरी भावना को जन्म दिया। इन्हीं प्रेरणाओं के बीच दामोदर के हृदय में सैनिक बनने की प्रबल इच्छा जगी। यही कारण था की आगे चलकर उन्होंने शस्त्र संचालन सीखने के लिए सेना में भर्ती होने का प्रयास किया पर उन्हें भर्ती नहीं किया गया। जिसके बाद उन्होएँ अपने पिता की तरह कीर्तन-प्रवचन करने लगे।

जब गुलामी की प्रतीक मूर्ति को पहनाई गई जूतों की माला

बात उन दिनों की है जब हरी चापेकर मुंबई पहुँचे थे। वहाँ एक सभा हो रही थी, रानी विक्टोरिया की मूर्ति के सामने जहाँ उसे देवी की तरह पूजने की कोशिश की जा रही थी। अंग्रेजों के अत्याचारों को सहते हुए भी जनता अगर गुलामी को सम्मान देने लगे, तो इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता था? यही बात हरी चापेकर को भीतर तक झकझोर गई।

उन्होंने रातों-रात उस रानी विक्टोरिया की मूर्ति पर कालिख पोत दी और उसके गले में जूतों की माला लटका दी। ये कोई सामान्य विरोध नहीं था बल्कि ब्रिटिश हुकूमत को दी गई खुली चेतावनी थी कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा। इसी समय पुणे प्लेग की मार झेल रहा था। अंग्रेज सरकार ने ‘प्लेग कमिश्नर’ बनाकर मिस्टर रैण्ड को वहाँ तैनात किया। लेकिन बीमारी से ज्यादा डरावना बन गया उसका अमानवीय रवैया। रैण्ड अपने सिपाहियों के साथ हिंदुओं के घरों में बूट पहनकर घुसता, पूजाघरों को अपवित्र करता, और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करता। ये सब अब ‘सरकारी कार्यवाही’ के नाम पर हो रहा था।

हरी चापेकर और उनके साथियों ने तय कर लिया अब चुप नहीं बैठना है। ये सिर्फ विरोध नहीं था, ये एक जवाब था। और जब उन्होंने अपने इस फैसले के बारे में लोकमान्य तिलक को बताया, तो तिलक ने सिर्फ समर्थन ही नहीं दिया, बल्कि आशीर्वाद भी दिया।

मुस्कुराते हुए फाँसी के तख्ते पर झूल गए

सन 1897 में जब प्लेग की बीमारी ने भारत के कई हिस्सों में कहर बरपाना शुरू किया, पुणे भी उसकी चपेट में आ गया। बीमारी जितनी भयावह थी, उससे कहीं ज़्यादा निर्दयी था ब्रिटिश प्रशासन का रवैया। दो अंग्रेज अफसर वाल्टर चार्ल्स रैण्ड और आयर्स्ट को इस महामारी से निपटने के नाम पर पुणे भेजा गया, लेकिन इनका असली काम अंग्रेज अधिकारियों और उनके परिवारों को संक्रमण से बचाने के बहाने आम जनता पर दमन करना था।

इनके आदेश से पुलिसकर्मी बूट पहने हुए हिंदू घरों में घुस जाते। पूजा स्थलों तक की पवित्रता को नहीं बख्शा जाता। लोग बीमार थे, डरे हुए थे, लेकिन शासन की क्रूरता ने उनकी पीड़ा को और बढ़ा दिया। ज़्यादा दुख की बात ये थी कि महिलाओं को भी अपमानित किया जाने लगा, रसोई और मंदिर तक सुरक्षित नहीं बचे थे। चापेकर बंधु दामोदर, बालकृष्ण और वासुदेव इन हालातों से भीतर तक विचलित हो चुके थे। वे देश और धर्म की मर्यादा को इस तरह कुचले जाते नहीं देख सकते थे। इन हालातों से कोई समाधान मिले, इस आस में वे लोकमान्य तिलक के पास पहुँचे। तिलक जी ने उन्हें शिवाजी महाराज का उदाहरण देते हुए कहा “अत्याचार के सामने झुकना कभी वीरों की परंपरा नहीं रही।” बस, यही एक बात थी जिसने तीनों भाइयों के मन में आग भर दी।

अब वे सिर्फ बोलने वाले नहीं थे, अब उन्होंने हथियार उठाने की ठान ली थी। उनका लक्ष्य साफ़ था अपने देशवासियों को इस अपमान से मुक्ति दिलानी है। 22 जून 1897 को पुणे के गवर्नमेंट हाउस में महारानी विक्टोरिया के शासन के साठ साल पूरे होने पर भव्य समारोह हो रहा था। रैण्ड और आयर्स्ट भी इस कार्यक्रम में शामिल थे। उसी रात, दामोदर और बालकृष्ण अपने साथी विनायक रानडे के साथ वहां पहुँचे और इन अधिकारियों के लौटने का इंतज़ार करने लगे।

रात के क़रीब सवा बारह बजे, दोनों अंग्रेज अफसर अपनी-अपनी बग्घियों में सवार होकर निकले। जैसे ही रैण्ड की बग्घी आगे बढ़ी, दामोदर पीछे से चढ़ गए और गोली चला दी। उधर बालकृष्ण ने आयर्स्ट को निशाना बनाया। आयर्स्ट मौके पर ही मारा गया, जबकि रैण्ड ज़ख़्मी हो गया और कुछ दिन बाद अस्पताल में उसकी भी मौत हो गई।

इस साहसिक कार्रवाई की खबर पूरे शहर में फैल गई। जहाँ एक ओर पुणे की जनता ने चापेकर बंधुओं को हीरो की तरह देखा, वहीं अंग्रेज सरकार बौखला गई। बड़े पैमाने पर छापेमारी शुरू हुई। हर घर की तलाशी ली गई। चापेकर बंधुओं से जुड़े लोगों पर ज़ुल्म ढाया गया, लेकिन फिर भी वे पकड़ में नहीं आए। गुप्तचर विभाग के प्रमुख ब्रुइन ने ऐलान किया कि जो भी चापेकर बंधुओं के बारे में जानकारी देगा, उसे 20,000 रुपये इनाम मिलेगा। दुखद यह रहा कि उसी क्रांतिकारी संगठन में शामिल गणेश शंकर द्रविड़ और रामचंद्र द्रविड़ नामक दो भाई लालच में आकर पुलिस से जा मिले और दामोदर का पता दे दिया।

इसके बाद दामोदर गिरफ्तार कर लिए गए। बालकृष्ण बच निकलने में सफल रहे। जब दामोदर को अदालत में पेश किया गया, तो उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई गई। उन्होंने चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान के साथ यह फैसला सुना जैसे कोई विजयी योद्धा अंतिम युद्ध की तैयारी कर रहा हो। जेल में उनसे मिलने तिलक जी पहुँचे और उन्हें श्रीमद्भगवद्गीता भेंट की। 18 अप्रैल 1898, सुबह का समय। दामोदर हरि चापेकर हाथ में गीता लेकर शांति से फांसी के तख़्ते की ओर बढ़े। उनके चेहरे पर कोई भय नहीं, सिर्फ आत्मविश्वास था। उन्होंने मुस्कुराते हुए फांसी को गले लगाया।

स्रोत: दामोदर चापेकर, बलिदान दिवस, पुणे, बाल गंगाधर तिलक
Tags: Bal Gangadhar TilakDamodar ChapekarMartyrdom DayPuneदामोदर चाफेकरपुणेबलिदान दिवसबाल गंगाधर तिलकहरी चापेकर
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

काशी विश्वनाथ मंदिर मार्ग का होगा विस्तार: रास्ते में आने वाली 6 मस्जिदें हटेंगी, सैकड़ों दुकानें भी होंगी शिफ्ट

अगली पोस्ट

मुर्शिदाबाद का भयावह सच

संबंधित पोस्ट

उज्जैन की 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद का विध्वंस: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर महाकाल मंदिर के विकास और पार्किंग विस्तार को दिया संरक्षण
चर्चित

उज्जैन की 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद का विध्वंस: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर महाकाल मंदिर के विकास और पार्किंग विस्तार को दिया संरक्षण

8 November 2025

उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर के विकास और पार्किंग सुविधा के विस्तार को लेकर हुई भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई में लगभग 200 साल पुरानी तकिया...

वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव
इतिहास

वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

7 November 2025

भारत के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब एक गीत, एक पंक्ति, या एक विचार समूचे राष्ट्र की आत्मा बन जाता है। वंदे...

रूस हारा, अमेरिका हारा, अब पाकिस्तान की तालिबान से जंग की डींगे: अंतरराष्ट्रीय मज़ाक और उसकी वास्तविक कमजोरी
आयुध

रूस हारा, अमेरिका हारा, अब पाकिस्तान की तालिबान से जंग की डींगे: अंतरराष्ट्रीय मज़ाक और उसकी वास्तविक कमजोरी

6 November 2025

अफगानिस्तान और पाकिस्तान का नाम एक साथ आते ही दुनिया के दिमाग में एक जटिल और खतरनाक समीकरण उभरता है, जो केवल भौगोलिक सीमाओं तक...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why India’s “Chicken’s Neck” Defence Strategy Is a Warning to Dhaka & Islamabad

Why India’s “Chicken’s Neck” Defence Strategy Is a Warning to Dhaka & Islamabad

00:06:48

How Trump’s Numbers Reveal the Hidden Story of Pakistan’s Lost Jets?

00:05:17

How an Unverified US Shoplifting Incident Is Turned Into A Political Attack Against India & Modi

00:07:47

How Astra Mk-I Based VL-SRSAM will Power India’s Naval Air Defense Network?

00:05:52

What Is The Reason Behind India’s Withdrawal from Tajikistan’s Ayni Air Base?

00:06:48
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited