राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने पहलगाम में हुए आंतकी हमले को लेकर सख्त टिप्पणी की है। भागवत ने गुरुवार (24 अप्रैल) को मुंबई में आयोजित पंडित दीनानाथ मंगेशकर की 83वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में पहलगाम आतंकी हमले को लेकर कहा कि अभी जो लड़ाई चल रही है तो किसी पंथ या संप्रदाय की लड़ाई नहीं है, यह लड़ाई धर्म और अधर्म के बीच है। पहलगाम में आतंकियों ने लोगों को धर्म पूछकर मारा था और उनकी पैंट तक उतारकर देखा गया था, भागवत ने इसे लेकर कहा, “जिन लोगों को मारा गया, उनसे पहले उनके धर्म के बारे में पूछा गया। हिंदू ऐसा कभी नहीं करेगा क्योंकि वह धैर्यवान है। बल्कि अपने मजहब को लेकर गलत मतलब निकालने वाले कट्टरपंथी ही ऐसा कर सकते हैं।”
‘हमें ताकत दिखानी चाहिए’
मोहन भागवत ने इस दौरान उम्मीद जताई है कि भारत इस हमले का करारा जवाब देगा। उन्होंने कहा, “दुश्मनी और दुश्मनी हमारी फितरत नहीं है लेकिन नुकसान सहना भी हमारी फितरत नहीं है। अगर ताकत है तो उसका प्रदर्शन करना चाहिए, ऐसे समय में ताकत दिखानी चाहिए क्योंकि इससे दुनिया को संदेश जाता है कि ताकत का सामना करने वाला मजबूत है।” भागवत ने आगे कहा कि हमें भारत को मजबूत बनाना होगा और हमारी अष्टभुजा शक्ति से असुरों का नाश होना चाहिए।
भागवत ने रावण का दिया उदाहरण
RSS प्रमुख ने अपने बयान में रामायण का हवाला देते हुए पहलगाम के आतंकियों को सबक सिखाने को लेकर कहा कि सृष्टि में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें समय के साथ सुधारा जा सकता है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो नहीं बदलते क्योंकि उन्होंने जो शरीर, बुद्धि और मन अपनाया होता है तो उसमें कोई परिवर्तन संभव नहीं रह जाता है। भागवत ने कहा, “जैसे रावण को लीजिए, वह वेद और शास्त्रों का ज्ञाता था लेकिन जिस शरीर और स्वभाव को उसने धारण किया था, उसमें बदलाव की कोई इच्छा नहीं थी। यानी जब तक वह अपना यह शरीर नहीं छोड़ता, तब तक तर्कों से उसका सुधरना मुमकिन नहीं था। रावण को सुधरना चाहिए, इसी उद्देश्य से भगवान श्रीराम ने उसका वध किया।”